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हिमाचल में घाटे के और रूट होंगे बंद, बस बेड़ा कम करेगा निगम, HRTC पेंशनर्स ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) घाटे में चल रहे रूटों को बंद करने की तैयारी में है। अभी तक 275 रूट बंद किए जा चुके हैं और 168 को बंद करने की प्रक्रिया जारी है। निगम ऐसे रूटों को चिह्नित कर रहा है जिन पर बस चलाना घाटे का सौदा है। एचआरटीसी का घाटा 1650 करोड़ रुपये है और इसे कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 13 Nov 2024 12:14 PM (IST)
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घाटे के रूटों को बंद करने की तैयारी में है HRTC (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के घाटे के रूटों को बंद करने की तैयारी है। अभी तक राज्य सरकार ने 275 रूटों को बंद करने की स्वीकृति दी है। इसमें 107 रूट बंद किए हैं, जबकि 168 को बंद करने की प्रक्रिया जारी है। निगम ऐसे रूटों को चिह्नित कर रहा है, जिस पर बस चलाना घाटे का सौदा है।

उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सोमवार देर सायं परिवहन विभाग व एचआरटीसी के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें एचआरटीसी के एमडी रोहन चंद ठाकुर, परिवहन निदेशक डीसी नेगी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में हर योजना पर विस्तृत चर्चा की गई।

HRTC के घाटे को कम करने पर हुई चर्चा

एचआरटीसी का घाटा 1650 करोड़ रुपये है। इसको कैसे कम किया जा सकता है इस पर विस्तृत चर्चा की गई। निगम बसों के बेड़े (बस फ्लीट) को कम करेगा। इसकी शुरुआत चरणबद्ध तरीके से होगी। बैठक में अधिकारियों ने अन्य राज्यों के परिवहन निगमों के उदाहरण भी दिए।

हिमाचल के पास सबसे अधिक बसों का बेड़ा

इसमें बताया कि हिमाचल ही ऐसा राज्य है जहां पर बसों का बेड़ा अधिक है। इसे कम करना होगा तभी निगम को घाटे से उबारा जा सकता है। उप मुख्यमंत्री ने निगम के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिए कि प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाएगी। अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल की बैठक में होगा।

80 रूट ठीक, अब दोबारा बनेगी सूची

राज्य सरकार ने इससे पहले एचआरटीसी के 168 घाटे के रूट निजी बस संचालकों को देने का निर्णय लिया था, लेकिन इस पर संचालकों ने आपत्ति जताई थी। इनमें कई रूट ऐसे थे जो परिवहन विभाग से मंजूर ही नहीं थे।

परिवहन विभाग ने निगम को सूची को संशोधित करने को कहा था। निगम ने जब इन रूटों का आंकलन किया तो 80 रूट ठीक पाए गए। उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि 80 रूटों को विज्ञापित कर दें। 88 रूट नए सिरे से चिह्नित करें।

राज्य सरकार देती है 700 करोड़ रुपये की ग्रांट

वर्तमान में प्रदेश सरकार एचआरटीसी को 700 करोड़ रुपये वार्षिक अनुदान दे रही है। निगम 27 श्रेणियों के लोगों को निश्शुल्क यात्रा की सुविधा देता है। इसके अतिरिक्त बच्चों को रियायती दरों पर बसों में सफर भी करवाया जाता है।

एचआरटीसी के 31 डिपो और 3180 बसें

एचआरटीसी के 31 डिपो और चार मंडल हैं। 3180 बसें हैं जो प्रतिदिन 5.60 लाख किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। 2684 रूट पर निगम की बसें सेवाएं देती हैं। निगम की दैनिक आय 2.25 करोड़ रुपये है।

हिमाचल में भी स्क्रैप होंगे पुराने वाहन

हिमाचल में भी पुराने वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। परिवहन विभाग ने प्रदेश की दो कंपनियों को पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग फैसिलिटी सेंटर खोलने की मंजूरी दे दी है। वाहनों की स्क्रैपिंग के लिए सेटअप तैयार करने के बाद इन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया जाएगा।

जिला सोलन में अमन साहनी और हमीरपुर जिला में पूर्णिमा चौहान को सेंटर खोले जाने की अप्रूवल दी गई है। ये सेंटर सोलन जिला के प्लाट पांच इंडस्ट्रियल एरिया बनालगी और हमीरपुर के गौना करोर में स्थापित किए जाएंगे।

केंद्र सरकार ने इस नियम को 25 सितंबर 2021 को लागू किया था। प्रदेश में 31 मार्च 2023 तक 15 साल पूरा कर चुके सरकारी वाहनों की संख्या 7,436 थी, जो आठ जुलाई, 2024 को बढ़कर 7,554 तक पहुंच चुकी है।

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एचआरटीसी को नए रूट आवंटित किए तो जाएंगे कोर्ट

निजी बस संचालक संघ ने कहा कि यदि एचआरटीसी को अस्थायी रूप से नए रूट आवंटित किए गए तो कोर्ट जाएंगे। यह अदालत के आदेशों की अवमानना होगी। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार एचआरटीसी को नए परमिट नहीं दिए जा सकते। उन्होंने न्यायालय के पुराने आदेशों की प्रतियां भी सौंपी।

मंगलवार को परिवहन निदेशक डीसी नेगी व एचआरटीसी अधिकारियों के साथ बैठक में निजी बस संचालक संघ ने यह आपत्ति जताई। निजी बस संचालक संघ के अध्यक्ष राजेश पराशर व महासचिव रमेश कमल ने कहा कि जेएनएनयूआरएम की बसें कलस्टर के बाहर चलाई जा रही हैं।

परिवहन निदेशक ने 10 दिन बाद दोबारा बैठक करने को कहा। एचआरटीसी की तरफ से पंकज सिंघल व देवासेन नेगी मौजूद थे। संघ ने कहा कि यदि कोई बस कलस्टर से बाहर चल रही है तो उसे हटा दिया जाएगा।

उच्च न्यायालय के आदेशानुसार एचआरटीसी को जो रूट परमिट जारी किए गए थे वे तब तक वैध होंगे जब तक इसकी तिथि समाप्त नहीं होती है। इन परमिट का दोबारा नवीनीकरण नहीं किया जा सकता। न ही अस्थायी परमिट जारी किया जा सकता है।

एचआरटीसी पेंशनर्स ने सरकार के विरुद्ध खोला मोर्चा

हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) पेंशनर्स ने समय पर पेंशन न मिलने व लंबित भत्तों के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को पेंशनरों ने शिमला की तारादेवी स्थित कर्मशाला में बैठक से पहले धरना-प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

प्रदेश सरकार ने निगम के कर्मचारियों व पेंशनरों को 28 अक्टूबर को वेतन/पेंशन डीए बढ़ोतरी के साथ देने का निर्णय लिया था, लेकिन पेंशनरों को पेंशन नहीं मिल पाई। एचआरटीसी पेंशनर्स कल्याण संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि सरकार ने परिवहन निगम के कर्मचारियों और पेंशनरों को 28 अक्टूबर को वेतन/पेंशन डीए बढ़ोतरी के साथ देने का निर्णय लिया था।

पेंशनर्स की दीपावली फीकी रही। उन्हें मजबूरन उम्र के इस पड़ाव में सड़क पर उतरना पड़ रहा है। सरकार की घोषणा के बाद भी उन्हें 11 नवंबर को पेंशन मिली। सरकार के पास उनकी करोड़ों रुपये की देनदारियां लंबित हैं। भत्ते तो दूर पेंशन भी सरकार के वादे के अनुसार समय पर नहीं मिली।

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