Move to Jagran APP

बर्फबारी की बजाए धुएं से ढके पहाड़, अपर शिमला में सूखे के कारण बढ़ रही आग की घटनाएं; मौसम का किसानों पर पड़ रहा असर

जनवरी के महीने में जहां राजधानी शिमला सहित जिले में पहाड़ो की चोटियों बर्फबारी के कारण सफेद होती थी तो वहीं इस बार धुएं से चोटियां (Fog on Mountains) सफेद हो गई है। ऊपरी शिमला में सूखे मौसम के कारण आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है। ऐसे में आम लोगों के साथ साथ किसानों बागवानों की मुश्किलें भी बढ़ गई है।

By Jagran News Edited By: Preeti Gupta Updated: Tue, 02 Jan 2024 12:41 PM (IST)
Hero Image
बर्फबारी की बजाए धुएं से ढके पहाड़, अपर शिमला में सूखे के कारण बढ़ रही आग की घटनाएं
जागरण संवाददाता, शिमला। Himachal Weather: जनवरी के महीने में जहां राजधानी शिमला सहित जिले में पहाड़ो की चोटियों बर्फबारी के कारण सफेद होती थी, तो वहीं इस बार धुएं से चोटियां (Fog on Mountains) सफेद हो गई है।

ऊपरी शिमला में सूखे मौसम के कारण आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है। आग की घटनाओं के कारण पूरे वातारण में धुंआ पसरा हुआ है। इससे जहां पर्यावरण को नुकसान हो रहा हैं तो वहीं बागवानी पर भी उल्टा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में आम लोगों के साथ साथ किसानों बागवानों की मुश्किलें भी बढ़ गई है।

मौसम की मार का किसानों पर पड़ रहा असर

प्रोग्रेसिव गोवर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ठ ने बताया कि कुदरत की मार किसानों बागवानों को झेलने पड़ रही है। सेब के बागीचों में जहां अभी तक 70 प्रतिशत चिलिंग प्रक्रिया पूरी हो जाया करती थी।

तो वहीं दूसरी ओर से अभी तक सेब के बागीचों में 50 प्रतिशत चिलिंग ऑवर भी पूरे नहीं हुए है। इसका सेब की फसल पर काफी प्रभाव पड़ेगा, अगर सेब के पौधों के लिए अनिवार्य चिलिंग आवर्स पूरे नहीं होते हैं।

माइनस की बजाए 3-5 डिग्री तापमान

चिलिंग प्रक्रिया का पूरा होना काफी जरूरी है। इस प्रक्रिया के पूरे हो जाने से अगले वर्ष की सेब की फसल पर काफी ज्यादा असर पड़ता है।

उन्होंने बताया कि अब तक शिमला के ज्यादात्तर क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान जहां माइनस में चल रहा होता था, तो वहीं इस बार यह तापमान 3 से 5 डिग्री तक है। इसके अलावा आग की घटनाओं से भी तापमान बढ़ रहा है। इससे वायुमंडल में एक परत बन रही है। यह परत मौसम को भी प्रभावित कर रही है।

आने वाले दिनों में बढ़ सकती है किसानों की परेशानी

लोकेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि बारिश-बर्फबारी न होने के कारण सेब के पौधों में काफी ज्यादा बीमारियों का असर पर पड़ रहा है। बर्फबारी के कारण सेब के पौधों में लगने वाली वूली एफिड, कैंकर और अन्य फसलों पर प्राकृतिक नियंत्रण हो जाता था।

ऐसे में इस बार बर्फबारी न होने के कारण यह बीमारियां भी काफी ज्यादा पनप रही है। ऐसे में अगर आने वाले समय में भी मौसम ऐसा ही बना रहता हैं तो फिर किसानों-बागवानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें- Weather News: हिमाचल के कई जिलों में आज और कल धुंध का यलो अलर्ट जारी, बर्फबारी के कोई आसार नहीं

मानवीय भूल से लग रही आग

बागवानों का कहना है कि अपर शिमला की पहाड़ियों में आग लगने के ज्यादात्तर कारण मानवीय भूलें है। सूखे मौसम में बागवानों ने बागीचों में प्रूनिंग का ज्यादातर कार्य पूरा कर लिया है। ऐसे में सेब के पौधों में प्रूनिंग के दौरान निकलने वाली सेब की टहनियों व पत्तियों को बागवान आग लगा रहे हैं।

इसके अलावा झाड़ियों को जलाने का भी प्रयास कर रहे हैं। इसके कारण बागीचों के साथ लगते जंगलों व घासनियों में आग पकड़ रही है। यह आग आसपास के जंगलों व घासनियों को जलाकर राख कर रही है।

यह भी पढ़ें- Himachal: कल दिल्ली दौरे पर CM सुक्खू, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से SJVN की तीन परियोजनाओं के मुद्दों पर करेंगे बात

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।