Himanchal: भूस्खलन से क्षतिग्रस्त शिमला-कालका रेल ट्रैक रिकॉर्ड समय में तैयार, इस दिन से फिर दौड़ेंगी ट्रेनें
14 अगस्त को भूस्खलन के कारण 60 मीटर ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था। पटरी हवा में लटक गई थी और नीचे खाई बन गई थी। 27 सितंबर को तारादेवी तक रेलगाड़ी चलाई थी। अब इसे शिमला तक चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। 20 करोड़ रुपये खर्च हुए 60 मीटर लंबा लोहे का पुल बनाने पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
By Shubham SharmaEdited By: Shubham SharmaUpdated: Mon, 02 Oct 2023 05:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, शिमला : विश्व धरोहर शिमला-कालका रेल ट्रैक तीन या चार दिन में पूरी तरह बहाल हो जाएगा। अभी कालका से तारादेवी तक रेलगाड़ी चल रही है। शिमला के बालूगंज के समीप भूस्खलन से क्षतिग्रस्त ट्रैक पर लोहे का पुल बनाकर दोबारा पटरी बिछा दी गई है। रविवार को इसका ट्रायल किया गया, जो सफल रहा।
तकनीकी कमियां को किया जा रहा है दूर
पहला ट्रायल दोपहर बाद 4:30 बजे किया गया। इस दौरान शिमला से तारादेवी तक रेलगाड़ी चलाई। दूसरा ट्रायल ट्रायल रात 10 बजे बाद किया गया। इस दौरान जो तकनीकी कमियां दिखी हैं, उन्हें दूर किया जा रहा है। रेलवे इस ट्रैक पर चार या पांच अक्टूबर से नियमित रेल सेवा शुरू कर देगा। इस पुल को रिकार्ड समय में तैयार किया गया है। रेलवे के इंजीनियर लगातार इसके कामकाज को देख रहे थे।
14 अगस्त को भूस्खलन के कारण 60 मीटर ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था। पटरी हवा में लटक गई थी और नीचे खाई बन गई थी। 27 सितंबर को तारादेवी तक रेलगाड़ी चलाई थी। अब इसे शिमला तक चलाने की तैयारी शुरू हो गई है। 20 करोड़ रुपये खर्च हुए 60 मीटर लंबा लोहे का पुल बनाने पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पूरा लोहे का ढांचा ही बनाया गया है।
पर्यटन कारोबार को मिलेगी गति
दिल्ली से आए रेलवे के इंजीनियरों की देखरेख में यह सारा काम हुआ है। पर्यटन कारोबार को मिलेगी गति शिमला तक रेलगाड़ी पहुंचने से पर्यटन कारोबार को भी गति मिलेगी। शिमला आने वाले अधिकतर पर्यटक रेलगाड़ी में सफर करना पसंद करते हैं। नवरात्र के दौरान भारी तादात में पर्यटक शिमला घूमने के लिए आते हैं। इसके बाद क्रिसमस, नववर्ष के मौके पर भी भारी संख्या में पर्यटक शिमला पहुंचते हैं।यह भी पढ़ें: सुक्खू ने PTC डरोह में किया पासिंग आउट परेड को संबोधित, बोले- 'हिमाचल पुलिस में तैयार किए जाएंगे 1200 जवान'
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