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वाटर सेस देने के बजाए निजी विद्युत कंपनियों ने जल उपकर आयोग से किए कई सवाल, कहा- पहले बताएं पानी कैसे मापा

निजी क्षेत्र की विद्युत कंपनियों ने जल उपकर चुकाने के बजाए उलटा राज्य जल उपकर आयोग से प्रश्न किया है कि उन्हें पानी उपयोग करने का बिल किस आधार पर थमाया गया है। राज्य जल उपकर आयोग की ओर से सभी विद्युत कंपनियों को बिल दिया गया था और 15 अक्टूबर तक बिल चुकाना था पर कपंनियों ने बिल नहीं भरा।

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Thu, 19 Oct 2023 11:32 AM (IST)
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वाटर सेस देने के बजाए निजी विद्युत कंपनियों ने जल उपकर आयोग से किए कई सवाल

राज्य ब्यूरो, शिमला। Himachal News: प्रदेश की निजी क्षेत्र की विद्युत कंपनियों ने जल उपकर चुकाने के बजाए उलटा राज्य जल उपकर आयोग से प्रश्न किया है कि उन्हें पानी उपयोग करने का बिल किस आधार पर थमाया गया है।

निजी क्षेत्र की ऐसी 50 से अधिक कंपनियों ने आयोग को लिखित तौर पर सूचित किया है कि पहले ये बताया जाए कि पानी से जुड़ा डाटा गलत है, वाटर हेड कैसे लिया गया, पानी को मापने का पैमाना क्या है, पानी कहां से मापा गया।

जल उपकर आयोग ने सभी विद्युत कंपनियों को थमाए थे बिल

निजी कंपनियों की ओर से लिखित जबाव में कहा गया है कि दिए गए बिलों में बुनियादी खामियां हैं, पहले आयोग को इस संबंध में हमारी आपत्तियों का जबाव देना होगा।

 उपकर चुकाने के लिए राज्य जल उपकर आयोग की ओर से सभी विद्युत कंपनियों चाहे, विद्युत कंपनियां सरकारी क्षेत्र की थी या फिर निजी क्षेत्र की, बिल दिए गए थे।

कंपनियों को पांच महीने का चुकाना था बिल

कंपनियों को लिखित तौर पर 15 अक्टूबर तक मार्च से लेकर जुलाई तक की अवधि का उपकर चुकाने के लिए कहा गया था। इसी पत्र में ये भी लिखा गया था कि जो कंपनियां उपकर नहीं चुकाएंगी, उन्हें एकमुश्त दस लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा या फिर दैनिक आधार पर 5 हजार रुपये हर्जाना देना होगा। विद्युत कंपनियों की ओर से उपकर की दरें अधिक होने की बात सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने उपकर दरों को संशोधित करते हुए न्यूनतम कर दिया था।

विद्युत कंपनियों की ओर से नहीं चुकाया गया उपकर

पहले की दरों के हिसाब से सरकार को सालाना 3800 करोड़ का उपकर प्राप्त होना था, लेकिन उपकर दरें संशोधित होने के बाद सरकार को उपकर के तौर पर 1500 से 1800 करोड़ रुपये आने थे।

प्रदेश सरकार के नियंत्रण वाली विद्युत कंपनियों की ओर से सरकार को 74 करोड़ रुपये के उपकर का भुगतान कर दिया गया है। लेकिन पंद्रह अक्टूबर की समयावधि गुजर जाने के बाद भी निजी क्षेत्र की विद्युत कंपनियों की ओर से उपकर चुकाने संबंधी कोई सार्थक पहल नहीं की गई है।

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अभी तक नहीं मिला दूसरा नोटिस

राज्य जल उपकर आयोग की ओर से सभी विद्युत कंपनियों को 15 अक्टूबर तक उपकर चुकाने का नोटिस दिया गया था। ये समयावधि गुजर जाने के बाद अभी तक आयोग की ओर से आगामी कार्रवाई नहीं की गई है। आयोग की ओर से कहा गया था कि उपकर नहीं चुकाने वाली विद्युत कंपनियों को एक मौका दिया जाएगा और बीस अक्टूबर के बाद कार्रवाई की जाएगी।

हम 112 सुक्ष्म एवं लघु विद्युत उत्पादक उपकर देने की स्थिति में बिलकुल भी नहीं हैं। बैंकों का ऋण लौटाना मुश्किल है, दूसरी ओर राज्य विद्युत बोर्ड उत्पादित विद्युत का बिल नहीं दे रहा है। हम तो पहले से स्पष्ट कर चुके हैं कि हम किसी भी हालत में विद्युत उपकर देने की स्थिति में नहीं हैं। अब चाहे सरकार कोई भी कदम उठा ले या फिर कुछ भी कर लें। -राजेश शर्मा, अध्यक्ष स्वतंत्र पावर प्रॉड्यूसर।

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