कांग्रेस के हाथ से फिसल चुकी है सत्ता
भाजपा में गुटबंदी को सिरे से नकारने वाले देहरा के विधायक के साथ मौजूदा सियासी परिदृश्य राज्य ब्यूरो प्रमुख प्रकाश भारद्वाज की बातचीत के कुछ अंश....
By Babita KashyapEdited By: Updated: Thu, 07 Sep 2017 11:14 AM (IST)
विकास नहीं, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अभूतपूर्व भ्रष्टाचार किया है... विभिन्न माफिया इसके कारण फले हैं, फूले हैं...राजनीति के संदर्भ में सबसे सामरिक जिले कांगड़ा को प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने विकास के मामले में हाशिये पर रखा है...धर्मशाला का स्मार्ट सिटी के लिए चयन हुआ, लेकिन शहर स्मार्ट नहीं हो पाया... दूसरी राजधानी बनाने का दाव भी कांग्रेस ने चला तो जरूर लेकिन बेअसर रहा। यह कहना है विधानसभा चुनाव के लिए तैयार दिखते भाजपा केवरिष्ठ नेता,पूर्व मंत्री और पांच बार के विधायक रविंद्र रवि का। भले ही वह संवेदनशील सवालों को आलाकमान पर डालते हैं लेकिन प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर उनकी दृष्टि तीखी और साफ है। भाजपा में गुटबंदी को सिरे से नकारने वाले देहरा के विधायक के साथ मौजूदा सियासी परिदृश्य राज्य ब्यूरो प्रमुख प्रकाश भारद्वाज की बातचीत के कुछ अंश....
प्रदेश में सरकार बनाने का रास्ता कांगड़ा जिला से निकलता है। इस बार कांगड़ा किस राह पर जाएगा?-इस बार विधानसभा चुनाव में कांगड़ा जिला से 10-12 सीटें भाजपा को मिलेगी। कांगड़ा से कांग्रेस नहीं, भाजपा का रास्ता बनेगा। इसके पीछे ठोस कारण यह है कि पांच वर्षो के दौरान सरकार ने विकास के मामले में कांगड़ा जिला को नजरअंदाज किया। केंद्र से मिली योजनाओं को छोड़ दिया जाए तो कांगड़ा के साथ हर स्तर पर भेदभाव हुआ है।
आप विधानसभा चुनाव कहां से लड़ेंगे?-जो पार्टी आलाकमान कहेगी, उसका अनुसरण किया जाएगा। फिलहाल मैं देहरा का विधायक हूं। किसे टिकट देना है और कहां से देना है... यह आला कमान सुनिश्चित करेगी। हम तो पार्टी के सिपाही हैं, जो आदेश होंगे, उसका पालन किया जाएगा।
पिछली बार कांगड़ा में हुई गलतियों के कारण सरकार बनते-बनते रह गई थी। स्वयं आप इस जिला के बड़े नेता हैं?-पुरानी बात भूलना उचित रहेगा। अब तो नए सूरज के साथ आने वाले कल का स्वागत करने की जरूरत है। प्रदेश की तरह कांगड़ा जिला में भी माहौल कांग्रेस विरोधी है। लोग कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाने के लिए केवल चुनाव होने का इंतजार कर रहे हैं।
भाजपा में टिकट देने का आधार क्या रहेगा। क्या हालत 'एक अनार सौ बीमारÓ वाली नहीं है?-भाजपा आलाकमान ने तय किया है कि केवल जिताऊ उम्मीदवारों को ही टिकट मिलेगा। जिसकेलिए कई स्तर पर सर्वेक्षण हो रहे हैं। भारत तो कांग्रेसमुक्त हो चुका है, अब तो सशक्त भारत की दिशा में हिमाचल को आगे ले जाने की जरूरत है। इसलिए भाजपा किसी भी प्रकार की गफलत नहीं होने देगी। सबको टिकट मिलना तो मुमकिन नहीं है। टिकट बंटने के बाद सभी दूसरे नेता एकजुट होकर काम करेंगे।
मुख्यमंत्री कहते हैं कि मैं चुनाव से हट जाऊंगा, भाजपा को इससे लाभ मिलेगा?-मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बहुत स्मार्ट हैं। जब भी कमजोर होते हैं तो कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने का खेल खेलते हैं। यूं कहा जाए कि दबाव की राजनीति करना वीरभद्र सिंह की आदत है। मुझे सीएम पर आयु का प्रभाव नजर आ रहा है। जहां तक राजनीतिक लाभ मिलने का सवाल है तो सत्ता कांग्रेस के हाथों से फिसल चुकी है। अब तो विधानसभा चुनाव का इंतजार हो रहा है।
भाजपा नेताओं के नाम पर गुटबाजी में उलझकर रह गई है?-यह तो माना जा सकता है कि कार्यकर्ताओं का किसी न किसी के प्रति सॉफ्ट कार्नर हो सकता है। लेकिन गुटबाजी का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। सभी विधायक और संगठन के पदाधिकारी व सबसे प्रमुख कार्यकर्ता एकजुट होकर काम कर रहे हैं। जो दिखाया जा रहा है वह असली तस्वीर नहीं है। दोनों नेताओं के नाम पर कांग्रेस उलझाने का प्रयास कर रही है।
लोग विधायक बनने की इच्छा से भाजपा में शामिल हो रहे हैं, क्या पार्टी टिकट देगी?-भाजपा में आने वाले नेताओं को टिकट देने की शर्त के साथ नहीं लिया जा रहा है। जो भी पार्टी में आ रहा है, वह स्वेच्छा से आ रहा है। ऐसे नेताओं को भाजपा ने टिकट देने का कोई वादा नहीं किया है। जो लोग आए हैं उनकी विचारधारा बदली है।
शिमला नगर निगम चुनाव में भाजपा मुश्किल से जीत पाई?-ऐसा बिलकुल नहीं है, भाजपा ने कांग्रेस के तीन दशकों से चली आ रही सत्ता का खात्मा किया। कामरेडों के कुशासन से शिमला की जनता को छुटकारा दिलाया।
कर्ज में डूबे प्रदेश को कैसा देखना चाहते हैं?-कांग्रेस सरकार ने राज्य को 50 हजार करोड़ के कर्ज के नीचे दबा दिया है। हालत ये है कि कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी सरकार कर्ज ले रही है। आने वाले समय में सबसे जरूरी है किप्रदेश में सड़क आधारभूत ढांचा विकसित किया जाए। जब प्रदेश में सड़कें अच्छी होंगी तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन में ग्रामीण पर्यटन, धार्मिक पर्यटन और साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इसके साथ-साथ जिस तरह से अटल जी ने हिमाचल को औद्योगिक पैकेज दिया था। उसी आधार पर मोदी सरकार ने जुलाई2027 तक जीएसटी से छुटकारा दिला दिया है।
आप भाजपा सरकार में आईपीएच मंत्री रहे हैं, क्या अब विभाग अच्छा काम कर रहा है?-राज्य में आईपीएच विभाग नाम की कोई चीज नहीं है। मैं स्वयं इस महकमे का मंत्री रह चुका हूं। जहां पर विभाग को पहुंचाया गया था, विभाग वहां से बहुत नीचे आ चुका है। भाजपा सरकार में वर्ष 2008 के दौरान टैंकरों से पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी। इसका मतलब ये हुआ कि प्रदेश के हर गांव में पेयजल उपलब्ध करवाया गया। अब तो हालत यह है कि सरकार इस जिम्मेदारी को निभाने में नाकाम रही है। नतीजा यह है कि प्रदेश में हर जगह बरसात में भी पेयजल संकट से लोग परेशान हैं। उस समय हर उप-मंडल स्तर पर एसडीओ को दो चैकडैम बनाने का दायित्व दिया गया था। जिसके फलस्वरूप सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी का स्तर बढ़ा।
प्रदेश सरकार राज्य में अभूतपूर्व विकास का दावा करती है? -विकास नहीं, अभूतपूर्व भ्रष्टाचार जरूर हुआ है। इन पांच वर्षो में प्रदेश माफियाराज से त्रस्त रहा। तारादेवी से शुरू हुआ वन माफिया, भरमौर होते हुए करसोग तक पहुंचा। खनन माफिया ने पहाड़ छलनी कर दिए तो नशा माफिया ने युवा पीढ़ी को अपनी गिरफ्त में लिया।
क्या भाजपा ने घोषणा पत्र की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है?-अभी तो पार्टी की ओर से विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। जिसके लिए भाजपा विधायक रणधीर शर्मा की अध्यक्षता में एक टीम समाज के सभी वर्गो से सुझाव लेकर... वर्तमान में प्रदेश की क्या जरूरतें हैं... उसपर काम कर रही है। जहां तक घोषणा पत्र का सवाल है तो विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा पत्र कमेटी बनेगी जो यह तय करेगी कि घोषणा पत्र में क्या रहेगा।
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