Shimla News: किन्नौरी सेब की मंडी में घटी आमद, टापरी में दो दिन से नहीं हुआ कारोबार
किन्नौर के निगुलसरी में राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित होने के कारण किन्नौरी सेब की मंडियों में आमद घट गई है। रोजाना 34 से 35 हजार सेब की पेटियां बिकने के लिए किन्नौर से आ रही थीं जो दो दिन से बंद हैं। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) किन्नौर और शिमला जिला किन्नौर की टापरी मंडी में इस सीजन से किलो के हिसाब से सेब खरीद की व्यवस्था की है।
By Anil ThakurEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Sun, 10 Sep 2023 08:47 PM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता: जिला किन्नौर के निगुलसरी में राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित होने के कारण किन्नौरी सेब की मंडियों में आमद घट गई है। दो दिन से किन्नौर के टापरी व शिमला जिला की किसी भी मंडी में किन्नौर का सेब बिकने के लिए नहीं पहुंच रहा है।
निगुलसरी में वीरवार रात को पहाड़ी से भूस्खलन होने से राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह बाधित हो गया था। निगुलसरी में सड़क बंद होने से काजा से ग्रांफू मार्ग पर यातायात सुचारू रूप से जारी करने के आदेश जारी किए गए हैं। हालांकि फसलें यहां से ले जाना काफी दूर व महंगा पड़ेगा।
किन्नौर के सेब सीजन ने अब रफ्तार पकड़ ली है। रोजाना 34 से 35 हजार सेब की पेटियां बिकने के लिए किन्नौर से आ रही थीं, जो दो दिन से बंद हैं। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) किन्नौर और शिमला जिला किन्नौर की टापरी मंडी में इस सीजन से किलो के हिसाब से सेब खरीद की व्यवस्था की है।
ऊंचाई वाले स्थानों पर शुरू हुआ सेब का तुड़ान
शिमला जिला में भी सेब सीजन पीक पर पहुंच गया है। अब अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर तुड़ान शुरू हो गया है। मंडियों में सेब के दाम में काफी गिरावट आई है। पराला में रविवार को अधिकतम 126 रुपये प्रति किलो की दर से सेब बिका, जबकि औसतन सेब 20 से 80 रुपये तक मंडियों में बिका है।
देशभर की मंडियों में रहती है किन्नौर के सेब की मांग
किन्नौर के सेब की मांग देशभर की मंडियों में रहती है। किन्नौर का सेब अधिक रसीला, गहरे लाल रंग और आकार में बड़ा होता है। अगस्त के आखिर में किन्नौर के निचले इलाकों में सेब की फसल तैयार हो जाती है। किन्नौर के ऊंचाई वाले इलाकों से नवंबर तक सेब का सीजन जारी रहता है। किन्नौर में परंपरागत कूहलों से सेब के बगीचों में सिंचाई होती है। ग्लेशियर का पानी कूहलों के जरिये बगीचों तक पहुंचता है। किन्नौरी सेब प्राकृतिक रूप से अधिक ठोस होता है, जिसके चलते इसे अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वहीं शिमला जिला के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों का सेब भी गुणवत्ता में बेहतर होता है। इसकी डिमांड भी काफी ज्यादा रहती है।किस मंडी में कितना सेब पहुंचा
मंडी सेब पहुंचा (पेटी) दाम मिला (रुपये)
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