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Himachal Apple: क्या बढ़ जाएंगे सेब के दाम? बारिश की आस में बागवान, सूखी पड़ी जमीन-नहीं हो रहा उत्पादन

Himachal Apple शिमला के रामपुर उपमंडल में सेब के बागवान बारिश न होने के कारण पूरी तरह से परेशान हो गए हैं।बारिश न होने से जमीन पूरी तरह से सूखी हो गई है और सेब के नए पौधों को लगाने के लिए बागवान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। बारिश के बाद ही नए पौधों को लगाया जा सकता है।

By narveda kaundal Edited By: Preeti Gupta Updated: Sun, 07 Jan 2024 11:50 AM (IST)
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बारिश न होने से सेब की फसल पर पड़ रहा असर

संजय भागड़ा, रामपुर बुशहर/शिमला। Apple production in Himachal:   शिमला के रामपुर उपमंडल में सेब के बागवान बारिश न होने के कारण पूरी तरह से परेशान हो गए हैं। इन दिनों बागीचों में होने वाले सभी जरूरी कामकाज रुके हुए हैं। इसके कारण आने वाले समय में सेब की फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

बारिश न होने से सूखी जमीन

बारिश न होने से जमीन पूरी तरह से सूखी हो गई है और सेब के नए पौधों को लगाने के लिए बागवान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। जमीन में नमी न होने के कारण नए पौधों को लगाने के लिए गड्ढों को बनाना भी मुश्किल हो गया है। यदि बारिश कुछ दिन और न हुई तो नए पौधों को लगाने का समय भी निकल जाएगा।

सेब बगीचों में रुके सभी जरुरी काम

नवंबर माह के अंत से सेब के बगीचों में हर साल नई फसल को पाने की उम्मीद हर बागवान को रहती है। लेकिन इस बार लगातार दो माह से अब तक बारिश का नामोनिशान तक नहीं है और सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है। इसके कारण सेब के बागीचों में सभी जरूरी काम रुके हुए हैं।

सेब के बागवान परेशान

बागवान फिर भी कुछ कार्यों को निपटाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इन दिनों सेब के बागीचों में स्प्रे और कटिंग का कामकाज किया जा रहा है। नए पौधों को लगाने के लिए बागीचों में नमी न होने के कारण गड्ढे बनाना मुश्किल है। बागवान नए सेब के पौधों को लगाने का जोखिम नहीं उठा रहे हैं, क्योंकि गड्ढे करने के बाद बारिश से गड्ढों में पानी से नमी होना जरूरी है।

बारिश के बाद ही लगाए जाएंगे नए पौधे

बारिश के बाद ही नए पौधों को लगाया जा सकता है। इससे पौधों के पूरी तरह फलने-फूलने की संभावना अधिक रहती है। अन्यथा सूखे में नए पौधे लगाने से नुकसान हो सकता है। बीते साल भी मौसम की बेरुखी का खामियाजा बागवान भुगत चुके हैं। बीते साल भी सर्दियों में बारिश न होने से सेब की फसल काफी कम हुई थी और बागवानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। हर साल मौसम के साथ न देने के कारण बागवानी घाटे का सौदा बनती जा रही है।

सेब के अलावा अन्य नगदी फसलें भी हो रही प्रभावित

बारिश समय पर न होने का नुकसान अन्य नगदी फसलों को भी हो रहा है। रामपुर उपमंडल में बीते साल राजमाह, माश, कुल्थ, दालें व अन्य फसलें उम्मीद से काफी कम हुई हैं और आने वाले समय में भी आसार ऐसे ही नजर आ रहे हैं। लोगों की आर्थिकी का मुख्य जरिया नकदी फसलें और फल हैं। लेकिन मौसम के साथ न देने के कारण हर साल लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

बारिश ने होने से कम होगी सेब की पैदावार

यहां तक कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बाजार से सामान खरीदने को मजबूर हो रहे हैं, जिन्हें वे अपने खेतों में उगाया करते थे। हालांकि अभी कुछ दिनों का समय और शेष है, जिसमें कम ऊंचाई वाले बागवान सेब के पौधों को लगा सकते हैं। यदि बारिश न हुई तो इस साल सेब के पौधों को लगाना नामुमकिन लग रहा है।

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सेब के पौधों के लिए जरुरी बर्फबारी

 इस समय सेब पौधों के लिए बर्फबारी की अधिक आवश्यकता है। इन दिनों सेब पौधे सुशुप्त अवस्था में होते हैं जिसके लिए बर्फबारी का होना जरूरी है। बर्फ के होने से तापमान में गिरावट आएगी जिससे सेब पौधों के लिए लिचिंग पीरियड पूरा होने की संभावना बन जाएगी।

बागवानी विशेषज्ञ ने क्या कहा?

इससे सेब के पौधों में कलियां बनना और फूल आना शुरू होते हैं। वहीं बारिश के होने से बागवानों को तौलिए करने और नए पौधों को लगाने के लिए गड्ढे करने में आसानी हो जाती है। आगामी सेब की फसल के लिए बागवानों को बर्फबारी की अधिक आवश्यकता है जिससे कि चिलिंग ऑवर पूरे हो सकें।- देशराज शर्मा, बागवानी विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त उपनिदेशक बागवानी विभाग।

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