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One Nation One Election: प्रस्ताव को कैबिनेट में पास कर PM मोदी ने रचा इतिहास, जयराम ठाकुर बोले- ऐतिहासिक फैसला

एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंज़ूरी मिलने से भारत के लोकतंत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इसे युगांतकारी कदम बताते हुए स्वागत किया है। इस नीति से जनहित के कामों में सुगमता आएगी और चुनाव खर्च भी कम होगा। चुनाव का खर्च घटेगा जो देश के विकास के कार्यों में खर्च हो सकेगा।

By rohit nagpal Edited By: Sushil Kumar Updated: Wed, 18 Sep 2024 10:51 PM (IST)
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जयराम ठाकुर बोले- वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव पर मंजूरी ऐतिहासिक फैसला।

जागरण संवाददाता, शिमला। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’के प्रस्ताव को इस सहमति प्रदान करने को युगांतकारी कदम बताते हुए स्वागत किया। उन्होंने कहा कि देश के लोकतांत्रिक हितो को सशक्त करने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’समय की जरूरत थी। जिसे पूरा करने का कार्य नरेंद्र मोदी की सरकार ने किया है।

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की नीती लागू होने से जनहित के कामो में सुगमता होगी। आचार संहिता के कारण विकास कार्यों में इस विलंब नहीं होगा, किसी प्रकार की रोकटोक नहीं होगी। चुनाव का खर्च घटेगा जो देश के विकास के कार्यों में खर्च हो सकेगा।

यह बहुत बड़ा निर्णय है, इतने बड़े लोकतांत्रिक सुधार सिर्फ भारत की यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा समेत समस्त केंद्रीय नेतृत्व का आभार जताया।

पहली बार भी एक साथ हुए थे सभी चुनाव

जयराम ठाकुर ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब देश में एक साथ सभी चुनाव होंगे। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए पहली बार आम चुनाव 1951-1952 में एक साथ आयोजित किए गए थे। यह प्रथा बाद के तीन लोकसभा चुनाव में 1967 तक जारी रही, जिसके बाद इसे बाधित कर दिया गया।

पहली बार अनुच्छेद 356 किया था लागू

यह चक्र पहली बार 1959 में टूटा जब केंद्र ने तत्कालीन केरल सरकार को बर्खास्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू किया। इसके बाद पार्टियों के बीच दल-बदल औ कारण 1960 के बाद कई विधानसभाएं भंग हो गईं। जिसके कारण अंततः लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग चुनाव हुए।

वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और ओडिशा राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होते हैं। 1999 में न्यायमूर्ति बीपी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले में भारतीय विधि आयोग ने भी एक साथ लोक सभा और विधान सभा चुनाव करवाने की वकालत की थी।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति का निर्माण किया था।

जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल थे।

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