Shimla: राज्य सहकारी बैंक के उपभोक्ताओं के लिए बनेगी वन टाइम सेटलमेंट नीति, CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिए निर्देश
हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के उपभोक्ताओं के लिए वन टाइम सेटलमेंट नीति बनेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने आज ओक ओवर में बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम और प्रबंध निदेशक श्रवण मांटा के साथ हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को नाबार्ड और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर एक विस्तृत वन टाइम सेटलमेंट नीति विकसित करने के निर्देश दिए।
राज्य ब्यूरो, शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक को अपने ग्राहकों की सुविधा के लिए वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) नीति बनाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने आज ओक ओवर में बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम और प्रबंध निदेशक श्रवण मांटा के साथ हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को नाबार्ड और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर एक विस्तृत वन टाइम सेटलमेंट नीति विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस पहल का उद्देश्य हजारों किसानों, बागवानों और बैंक से जुड़े अन्य कर्जदारों को पर्याप्त सहायता प्रदान करना है, जिसे शीघ्र ही शुरू किया जाएगा।
क्रेडिट स्कोर में होगा सुधार
वन टाइम सेटलमेंट नीति बैंक के ऋणधारकों को रियायती दर पर अपने बकाया का निपटान करने का अवसर प्रदान करेगी। इससे कानूनी कार्रवाई से बचा जा सकेगा और सफल निपटान के बाद उनके क्रेडिट स्कोर में सुधार होगा। इसके साथ ही इससे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की पुनर्प्राप्ति करने, ऋण प्राप्ति और बैंक के समग्र वित्तीय सुधार होने से बैंक को भी लाभ मिलेगा।यह भी पढ़ें: Shimla: खत्म होगा इंतजार, बोर्ड निगमों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर जल्द होगी ताजपोशी; APMC शिमला-किन्नौर के चेयरमैन का नाम तय
5 हजार से अधिक लोगों को होगा लाभ
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वन टाइम सेटलमेंट की इस नीति से 5 हजार से अधिक लोगों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक और जोगिन्द्रा केंद्रीय सहकारी बैंक को भी अपने उपभोक्ताओं के हित में ऐसी वन टाइम सेटलमेंट नीति विकसित करने और लागू करने के लिए समान निर्देश जारी किए जाएंगे।नाबार्ड और आरबीआई के साथ मिलकर बनेगी वन टाइम सेटलमेंट नीति
भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया के देश के सभी बैंकों को दिशा-निर्देश हैं कि बैंक उपभोक्ताओं के वित्तीय लेनदेन को देखते हुए वन टाइम सेटलमेंट नीति के तहत काम करें। इसके पीछे कारण दिया गया कि न्यायालय में समय बर्बाद होता रहता है और अंत में आपसी सहमति का आधार तैयार करके ही मामलों का निपटारा होता है। ऐसे में राज्य के बैंक प्रबंधन नाबार्ड और आरबीआई के साथ मिलकर ऐसी नीति बनाएंगे ताकि बैंकों को होने वाला अधिक नुकसान रोका जाए।
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