Move to Jagran APP

पानी में जहर घोलती प्लास्टिक की बोतलें, कैंसर ही नहीं और भी कई बीमारियों की है जड़

बोतलबंद पानी को सुरक्षित मानकर हम लोग खरीदकर पी तो लेते हैं लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि ऐसा करके हम अपने सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं

By Babita kashyapEdited By: Updated: Thu, 22 Aug 2019 08:21 AM (IST)
Hero Image
पानी में जहर घोलती प्लास्टिक की बोतलें, कैंसर ही नहीं और भी कई बीमारियों की है जड़
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। अधिकतर लोग यह सोचते हैं कि बोतलबंद पानी साफ व बेहतर होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। बोतलबंद पानी को लेकर न्यूयार्क की स्टेट यूनिवर्सिटी के शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके आधार पर बोतलबंद पानी जब तक किसी व्यक्ति तक पहुंचता है तब तक वह पीने लायक नहीं रहता है। उसमें प्लास्टिक के कण होने के साथ कई तरह के रसायन शामिल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक हैं। इतने कि कैंसर हो सकता है।

बोतलबंद पानी की गुणवत्ता का कोई पता नहीं होता है। लोग जिस बोतलबंद पानी को सुरक्षित मानकर पैसे देकर खरीद रहे हैं, वो उन्हें बीमार कर रहा है। बोतलबंद पानी की पैकिंग स्वास्थ्य के लिए कितनी सुरक्षित है, इसकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। शोधकर्ताओं ने भारत के अलावा अमेरिका, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मैक्सिको, केन्या व लेबनान के बोतलबंद पानी के नमूनों की जांच की। शोधकर्ताओं का मानना है कि बोतलबंद पानी में प्रदूषण पैकिंग के दौरान पनपता है। सामान्य पानी को उबाल कर इस्तेमाल करने से उसमें जो भी कीटाणु या वायरस होते हैं, वे नष्ट हो जाते हैं। लेकिन बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के जो घातक कण होते हैं, उनका कोई हल नहीं है।

 

बोतलबंद पानी की प्लास्टिक की बोतलें व पाउच पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। यह प्लास्टिक कई दशक तक नहीं गलता है। अधिक तापमान से पानी में घुलते हैं प्लास्टिक के कण प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी की बोतलें जब कंपनियों से निकाल कर दुकानों व गोदामों में जाने के लिए ट्रकों में लोड होती हैं तो उस समय बाहर का तापमान अगर 35 से 40 डिग्री सेल्सियस है तो ट्रक के अंदर का तापमान 50 से 60 डिग्री सेल्सियस होता है। उस दौरान कई केमिकल से बनी प्लास्टिक की बोतलों में केमिकल मिलना शुरू हो जाता है। यह केमिकल पानी में मिल जाता है। इसके अलावा पानी में प्लास्टिक के कण घुल जाते हैं। इससे पानी प्रदूषित हो जाता है। पानी की जांच की तो व्यवस्था की जाती है लेकिन जिन बोतलों, प्लास्टिक की थैलियों या कप में पानी भरा जाता है, उनकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। हिमाचल सहित कई राज्यों में इनकी जांच के लिए उपकरणनहीं हैं।

प्लास्टिक बोतल में पानी के नुकसान 

जब प्लास्टिक बोतलें गर्मी के संपर्क में आती हैं तो इनसे 55 से 60 जहरीले रसायन निकलते हैं जो पानी में मिल जाते हैं। ऐसा पानी सेहत के लिए हानिकारक होता है।

ये बरतें एहतियात

  • पानी पीने से पहले उसे प्लास्टिक बोतल से शीशे की बोतल, स्टेनलेस स्टील या तांबे के बर्तन में डालें। खाने को प्लास्टिक के बर्तनों में नहीं बल्कि स्टेनलेस स्टील या शीशे के बर्तन में रखें। यदि आप बाहर खाना चाहते हैं तो किसी होटल या रेस्टोरेंट में जाएं न कि खाना घर पर मंगवाने के लिए ऑर्डर करें। घर पर खाना प्लास्टिक के बर्तन में लाया जाएगा जो सेहत के लिएघातक होगा।
  • महिलाओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को प्लास्टिक की बोतल में दूध न पिलाएं। इसके लिए  शीशे की बोतल सबसे बेहतर उपाय है। अपने बच्चों को स्कूल के लिए भोजन प्लास्टिक के टिफिन में न भेजकर स्टेनलेस स्टीन के बॉक्स में दें। 
सेहत के लिए रसायन हानिकारक

  •  देश के अधिकांश राज्यों में कंपनियां पानी की बोतलों के लिए पीवीसी पाइपों में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक और बीपीए पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक व बिसफेनोल नामक रसायनों का प्रयोग करती हैं। ये रसायन सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। 

  •  अधिकतर लोग गर्म खाने व पानी को भी प्लास्टिक कंटेनर में रखते हैं। लेकिन खाना व पानी गर्म होने की वजह से प्लास्टिक से जहरीले रसायन इसमें मिल जाते हैं। यदि गर्म खाना रेफ्रिजरेटर में भी रखा जाए तो भी खाने की गर्मी के कारण जहरीले रसायन मिलने से वह नुकसान पहुंचाता है। ऐसा खाना खाने से हार्मोंन का असंतुलन हो सकता है। इससे पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज (पीसीओडी), ओवरी से संबंधित समस्याएं, ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर आदि कई रोग हो सकते हैं।
  • खाने में रसायनों की वजह से पुरुषों में हार्मोन असंतुलन हो सकता है। इससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। इसके अलावा प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ऩे से महिलाओं को गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है। इससे बांझपन की समस्या भी हो सकती है।
गुणवत्ता जांचने की नहीं व्यवस्था

बोतलबंद पानी को लेकर शिकायत आने पर सैंपल लेकर जांच की जाती है। सैंपल सही न पाए जाने पर नियमों के अनुसार कार्रवाई होती है। लोगों को चाहिए कि ऐसी बोतलों को इस्तेमाल के बाद नष्ट कर या छेद कर फेंका जाए जिससे उनका दुरुपयोग न हो सके। पानी की बोतलों की गुणवत्ता जांचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

-नरेश कुमार लट्ठ, निदेशक,

स्वास्थ्य सुरक्षा विनियमन निदेशालय।

बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के कण

गर्मी के कारण प्लास्टिक बोतल में इस्तेमाल रसायन पानी में मिल जाते हैं। इसके अलावा प्लास्टिक के कण भी बोतलबंद पानी में घुल जाते हैं। प्लास्टिक की बोतल पुरानी होने और उसमें बहुत पुराना पानी होने पर इसका इस्तेमाल करने से कब्ज, पेट गैस, कैंसर सहित अन्य बीमारियां हो सकती हैं।

-डॉ. प्रेम मच्छान,

मेडिसन विशेषज्ञ, आइजीएमसी

हिमाचल की अन्य खबरें पढऩे के लिए यहां क्लिक करें 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।