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Delhi Water Crisis: प्यासी दिल्ली पर गरमाई राजनीति, हिमाचल बोला- हम नहीं कर रहे विरोध, दे रहे पूरा पानी, हरियाणा ने किया इनकार

Delhi water crisis दिल्ली में जल संकट गंभीर हो गया है। जैसे-जैसे दिल्ली की प्यास बढ़ रही है वैसे ही इस पर राजनीति भी गरमा रही है। हिमाचल ने कहा कि हम कोई विरोध नहीं कर रहे हैं। हम पूरा पानी दे रहे हैं। वहीं हरियाणा ने इससे इनकार किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार दिल्ली को बिना किसी रुकावट के पानी दे रही है।

By Anil Thakur Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 13 Jun 2024 03:38 PM (IST)
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Delhi water crisis: पानी पर गरमाई सियासत, हरियाणा ने पानी मिलने से किया इनकार।
जागरण संवाददाता, शिमला। दिल्ली में जल संकट गंभीर हो गया है। पानी के मामले पर कानूनी लड़ाई तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को आदेश दिया है कि वह तत्काल प्रभाव से 137 क्यूसेक पानी हरियाणा को दे, जो पानी दिल्ली में छोड़ा जाएगा। इससे प्यासी दिल्ली को राहत मिल सकेगी।

हिमाचल सरकार का कहना है कि दिल्ली को पानी देने के लिए हमारा न तो पहले विरोध था और न ही आगे हैं। नदी में जितना पानी है बेरोकटोक उसे छोड़ा जा रहा है। बड़ा सवाल ये है कि जब हिमाचल पानी छोड़ रहा है तो यह पानी जा कहां रहा है। यह अपने आप में एक रहस्य बना हुआ है। कानून ही इस के ऊपर से पर्दा उठाएगा।

छोड़ा जा रहा 11 क्यूमिक्स पानी

केंद्रीय जल आयोग अप्पर यमुना कंट्रोल रूम देहरादून रिजन के अधीन यह नदी आती है। केंद्रिय जल आयोग (सीडब्लूसी) इसमें पानी मापने का कार्य करता है। इसकी रिपोर्ट जल शक्ति मंत्रालय को भेजी जाती है। पिछले सप्ताह की रिपोर्ट के अनुसार यमुना नदी पांवटा साहिब से हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज के लिए पांवटा साहिब से 11 क्यूमिक्स पानी लगातार छोड़ा जा रहा है। एक क्यूमिक्स में 3 मीटर पानी प्रति सेकंड जाता है।

इन दिनों 11 क्यूमिक्स के अनुसार 33 हजार लीटर पानी प्रति सेकंड पांवटा साहिब से हथनी कुंड बैराज की ओर छोड़ा जा रहा है। 1 मिनट में 1 लाख 98 हजार लीटर पानी भेजा जा रहा है। यानि 24 घंटे में 2851.2 लाख लीटर पानी छोड़ा जा रहा है। हालांकि, पानी का फ्लो रोजाना बदलता है। इसमें उतार चढ़ाव आता रहता है। पानी दिनभर कम ज्यादा होता रहता है।

यमुना का जलस्तर काफी कम

सुप्रीम कोर्ट ने 137 क्यूसेक पानी छोड़ने के निर्देश दिए हैं। 137 क्यूसेक के अनुसार 33 लाख 10 हजार 847 लीटर पानी 24 घंटे में छोड़ा जाना चाहिए। पानी को क्यूबिक, क्यूसेक व क्यूमिक्स तीन तरह से मापा जाता है। हिमाचल की सतलुज व ब्यास नदी में गर्मियों में जल स्तर बढ़ता है क्योंकि ग्लेशियर पिघलते हैं। यमुना में जल स्तर बरसात में ही बढ़ता है। इन दिनों गर्मियां है और बारिश नहीं हो रही। गर्मियों में यमुना का जल स्तर कम होता है।

16 किलोमीटर बहती है नदी

यमुना नदी 16 किलोमीटर हिमाचल में बहती है। उत्तराखंड से जिला सिरमौर में भगानी के समीप गोजर माजरी गांव में की सीमा में प्रवेश करती है। उत्तराखंड के डाकपत्थर बैराज से काफी कम पानी होता है। हिमाचल की तीन सहायक नदियां टौंस, गिरी व बाता इसके फ्लो को बढ़ाती है।

पांवटा साहिब के रामपुर घाट के समीप गिरी नदी अपने पूरे पानी के प्रभाव के साथ यमुना में मिलती है, जो कि यमुना के पानी की मात्रा को बढ़ाती है। फिर बातापुल के समीप बाता नदी का पानी यमुना में बढ़ोतरी करता है। यमुना नदी के पानी को हरियाणा सरकार हथिनी कुंड बैराज में रोकती हैं।

हथनी कुंड बैराज से ईस्टर्न टनल से उत्तर प्रदेश को पानी दिया जाता है, जबकि वेस्टर्न टनल से हरियाणा को पानी दिया जाता है। शेष पानी को हथिनीकुंड से यमुना नदी में छोड़कर दिल्ली के लिए भेजा जाता है। 16 किलोमीटर में न तो बिजली परियोजना है और न ही कोई सिंचाई योजना न ही बैराज में पानी छोड़ा जाता है।

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हिमाचल के पास पानी मापने के तंत्र भी नहीं

हिमाचल के पास नदी का पानी मापने का कोई तंत्र नहीं है। केंद्रीय जल आयोग नई दिल्ली ने बरसात में यमुना के पानी की मात्रा को नापने और बाढ़ से बचाने के लिए पांवटा साहिब में गेज एंड डिसचार्ज साइट, अपर यमुना कंट्रोल रूम देहरादून डिवीजन के तहत स्थापित किया है।

सप्ताह में एक दो बार डेपुटेशन पर देहरादून से ही कर्मचारियों को भेजा जाता है। बरसात के दौरान ही कर्मचारी उपलब्ध होते हैं।

उत्तराखंड से ऐसा आता है पानी

यमुना नदी उतराखंड से हिमाचल की सीमा में प्रवेश करती है। यमुनोत्री से निकलने वाली यमुना नदी का पानी उत्तराखंड डाकपत्थर बैराज में रोकता है। उसके बाद यमुना नदी के पानी को टनल के माध्यम से आसन बैराज पहुंचाया जाता है।

डाकपत्थर और आसन बैराज में उत्तराखंड सरकार बिजली बनाने के बाद नहर के द्वारा यमुना नदी के पानी को हथनी कुंड और ताजेवाला बैराज में पहुंचाया जाता है।

2019 में हुआ था एमओयू

दिसंबर 2019 में हिमाचल सरकार व दिल्ली सरकार के बीच एक एमओयू हस्ताक्षरित हुआ है। इसके तहत यमुना नदी से 137 क्यूसेक्स पानी छोड़ा जाना तय किया गया है। 32 रुपये प्रति क्यूसेक की दर तय की गई थी। लेकिन हिमाचल को हरियाणा से अभी तक कोई पैसा नहीं मिला।

हरियाणा पहले से यह तर्क देता है कि उन्हें पानी मिल ही नहीं रहा है तो फिर पैसा किस बात का दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा है कि हिमाचल अपने संसाधनों के एवज में कुछ शुल्क जरूर वसूलेगा।

6 जून को अप्पर यमुना बोर्ड में रखा यह पक्ष

सर्वोच्च न्यायलय के आदेशों के बाद 6 जून को दिल्ली में अप्पर यमुना बोर्ड की बैठक आयोजित हुई थी। बैठक हिमाचल जल शक्ति विभाग की प्रमुख अभियंता (ईएनसी) अंजू शर्मा ने हिमाचल का पक्ष रखा। इसमें कहा गया है कि जितना पानी यमुना नदी में बह रहा है हम उसे छोड़ रहे हैं। इसे कहीं नहीं रोका जा रहा है।

हम पानी रोक ही नहीं रहे: ओंकार

अतिरिक्त मुख्य सचिव जल शक्ति विभाग ओंकार शर्मा का कहना है कि एमओयू के तहत तय शर्तों के अनुसार यह पानी छोड़ा जा रहा है। एमओयू के तहत तय शर्तों के अनुसार पहले से 137 क्यूसेक्स पानी छोड़ रहा है। आगे भी एमओयू के तहत पानी छोड़ा जाएगा। हमारा कोई विरोध इसमें नहीं है। न ही हमने कोई पानी रोका है।

कौन दे रहा गलत जानकारी: सुक्खू

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार दिल्ली को बिना किसी रुकावट के पानी दे रही है। सरकार ने अपने वकीलों के माध्यम से यह जानकारी कोर्ट के समक्ष रखी है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने किस बात को लेकर लताड़ लगाई है, क्या फैंसला आया है इसकी अभी उन्हें जानकारी नहीं है।

पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है। पूरे देश के लोग वहां पर रहते हैं। हिमाचल से पानी हरियाणा से होकर जाएगा। पानी देना तो वैसे भी पुण्य का काम है। हमने इसमें कोई रूकावट पैदा नहीं की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह खुद चाहते हैं कि दिल्ली को पानी मिलना चाहिए क्योंकि वह देश की राजधानी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट को किसने गलत जानकारी दी है इसका भी पता लगाया जाएगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को 137 क्यूसिक पानी छोड़ने के आदेश दिए हैं। हिमाचल का तर्क है कि वह पहले ये यह पानी छोड़ रहा है।

क्या है मामला

दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। 31 मई को यह याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के लिए अप्पर यमुना रिवर बोर्ड की बैठक बुलाने के निर्देश दिए थे। 5 मई को दिल्ली में अप्पर यमुना रिवर बोर्ड की बैठक आयोजित हुई।

6 जून को सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को 137 क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा। हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा। हम पानी नहीं रोक रहे, पूरा पानी छोड़ा जा रहा है। 10 जून को दोबारा मामले की सुनवाई हुई। हिमाचल ने अपना पक्ष कोर्ट में यही रखा है कि वह पानी रोक नहीं रहा है।

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