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Himachal News: प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर उपभोक्ताओं को जोर का झटका धीरे से, पहले करना होगा भुगतान फिर खाते में आएगी सब्सिडी

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh News) के लोगों को बिजली का उपयोग करने से पहले प्रीपेड स्मार्ट मीटर (Prepaid Smart Meter) को रिचार्ज करवाना होगा। ये भुगतान करने के बाद उनके खाते में पैसा वापस आएगा। हिमाचल प्रदेश में 125 यूनिट तक निशुल्क बिजली मिलती है। 125 यूनिट से कम बिजली की खपत करने वाले 12 लाख उपभोक्ताओं को भी पैसा देना होगा।

By rohit nagpal Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 08 Jul 2024 12:52 PM (IST)
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बिजली उपयोग करने से पहले प्रीपेड स्मार्ट मीटर को रिचार्ज करवाना होगा (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल में प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर लोगों को जोर का झटका धीरे से देंगे। किसी भी उपभोक्ता को बिजली का उपयोग करने से पहले प्रीपेड स्मार्ट मीटर को रिचार्ज करवाना होगा। इसके बाद इन्हें डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत पैसा वापस आएगा।

प्रदेश में वर्तमान में 12 लाख उपभोक्ता 125 यूनिट से कम बिजली उपयोग करते हैं, इन्हें भी पहले रिचार्ज करवाना पड़ेगा, उसके बाद ही सब्सिडी उनके खाते में आएगी।

300 यूनिट नि:शुल्क बिजली देने का किया था वादा

अभी प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली मिल रही है। सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने 300 यूनिट नि:शुल्क देने का वादा किया था, लेकिन अभी यह वादा पूरा नहीं हो पाया है। अगर प्रदेश सरकार 300 यूनिट बिजली नि:शुल्क करने की गारंटी को पूरा करती है तो ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 24 लाख तक हो जाएगी।

प्रदेश में वर्तमान में घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 27 लाख है। इसके बाद स्मार्ट मीटर से बिल देने का लाभ महज तीन लाख उपभोक्ताओं को ही होगा। इनके लिए 3100 करोड़ रुपये का खर्च बिजली बोर्ड से लेकर उपभोक्ताओं की आर्थिक सेहत को भी खराब कर सकता है ।

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कर्मचारियों ने की पूरे मामले की जांच की मांग

राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने बोर्ड प्रबंधन की ओर से यूनियन पर लगाए आरोपों को गलत बताया है। कहा कि प्रबंधन अपनी नाकामियों को कर्मचारियों पर डाल रहा है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर शर्मा ने कहा कि इस मामले से यूनियन का कोई लेना-देना नहीं है।

दूसरी बड़ी बात यूनियन निदेशक मंडल का हिस्सा नहीं है और न ही वह निदेशक मंडल की बैठक में थे। इस बैठक में क्या हुआ, उसकी जानकारी मात्र बैठक में उपस्थित प्रबंधन वर्ग को ही थी। वहीं मिनट्स आफ मीटिंग एक गोपनीय दस्तावेज है, वह विधायक तक रातों-रात कैसे पहुंचा यह सोचने का विषय है। कहीं न कहीं यह जानकारी प्रबंधन वर्ग से बाहर गई है, जो एक जांच का विषय है।

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