Himachal Politics: बागी विधायक लोकसभा चुनावों में बिगाड़ेंगे पार्टी का खेल, घायल कांग्रेस को सुक्खू की घोषणाओं का सहारा
Himachal Political Crisis हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक उठापटक से कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनावों में खतरा हो सकता है। बागी विधायक चुनाव का खेल बिगड़ सकते हैं। अब इस बीच कांग्रेस को सुक्खू की घोषणाओं का ही सहारा बचा है। वहीं अपनों की बागवत से आहत कांग्रेस को सरकार व संगठन के बीच में समन्वय बनाकर चुनावों में उतरना भी चुनौती होगा।
रोहित नागपाल, शिमला। हिमाचल प्रदेश में चल रहे वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम से अब लोकसभा चुनाव में होने वाले लाभ और हानि पर दोनों ही राजनीतिक दलों में मंथन शुरू हो गया है। कांग्रेस के छह बागी नेता व तीन निर्दलीय नेता भाजपा को इन चुनावों के लिए लाभदायक हो सकते हैं। बागी विधायक तीन संसदीय क्षेत्र से हैं, वहीं तीन निर्दलीय विधायक तीन संसदीय क्षेत्र से हैं, यहां से भाजपा को बढ़त मिल सकता है।
वहीं अपनों की बागवत से आहत कांग्रेस को सरकार व संगठन के बीच में समन्वय बनाकर चुनावों में उतरना भी चुनौती होगा। भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में कम संख्याबल के बावजूद जीत हासिल की है, इसलिए उसका मनोबल बढ़ा हुआ है। यह लाभ उस लाभ के अतिरिक्त है जो उसे मोदी के होने से प्राप्त है। कांग्रेस सकपकाई हुई इसलिए है क्योंकि बहुमत के बावजूद राज्यसभा सीट गंवाई और उसके बाद सरकार पर संकट आ गया। फिलहाल संकट टला हुआ है, समाप्त नहीं हुआ।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लंबित गारंटियों की भी की घोषणा
इस बीच सरकार और संगठन को हानि बहुत हुई, जिसकी भरपाई करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लंबित गारंटियों की घोषणा भी की और छह विधायकों की दल बदल कानून के चलते सदस्यता तक रद कर दी। जनता के साथ संवाद करने में भाजपा आगे है जबकि कांग्रेस राजनीतिक अग्निशमन में उलझी हुई है, संवाद अभी न आरंभ हुआ, न संभव है। कांग्रेस सरकार, संख्या बल कम न हो जाए, इसके लिए असंतोष को दूर करने के लिए विधायकों की ताजपोशी कर रही है। एक बड़ी पराजय और झटके के बाद चुनावी तैयारी में मुख्यमंत्री ने मोर्चा संभाल रखा है।यह भी पढ़ें: सुक्खू सरकार को हाई कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, वाटर सेस अधिनियम किया निरस्त; अदालत ने बताया असंवैधानिक
कांग्रेस का हर नेता अपने लिए कोई पद या इस समय में दबाव बनाकर अपना काम निकलवाने में जुटा है। आंकड़ों पर गौर करें तो राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पास महज 25 विधायक थे। 40 विधायकों वाली कांग्रेस के साथ राज्यसभा के चुनाव में परिणाम टाई करवाया। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा का साथ दिया। इसके बाद किस्मत ने भी भाजपा का साथ दिया और पर्ची निकालने के दौरान हुई जीत भी भाजपा के हिस्से आई। भाजपा इस चुनाव में पूरी तरह से कांग्रेस पर भारी रही।
इस तरह से मिलेगा हमीरपुर में लाभ
हिमाचल प्रदेश में चार संसदीय क्षेत्र हैं। चारों में 17-17 विधानसभा क्षेत्र हैं। भाजपा का पहले से मजबूत गढ़ माना जाता रहा हमीरपुर राज्यसभा के चुनाव में मिली जीत के बाद और ज्यादा मजबूत दिख रहा है। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चार कांग्रेस के विधायकों ने भाजपा के पक्ष में राज्यसभा चुनावों में वोट किया है। यह संसदीय क्षेत्र जगत प्रकाश नड्डा और अनुराग ठाकुर का है। अब कांग्रेस के बागी विधायकों के समर्थक भाजपा के साथ प्रचार में होंगे। हालांकि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी इसी संसदीय क्षेत्र से हैं।
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