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Masjid Dispute: मुस्लिम पक्ष गिराएगा मस्जिद का अवैध ढांचा, खुद ही उठाना होगा खर्च; कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

शिमला के संजौली मस्जिद विवाद में बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध घोषित करते हुए उसे ढहाने का आदेश दिया है। मस्जिद कमेटी को दो महीने के अंदर अवैध हिस्सा तोड़ना होगा। मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने का खर्च भी स्वयं मस्जिद कमेटी को ही उठाना होगा। इस मामले में स्थानीय लोगों को पार्टी बनाने की याचिका को भी रद्द कर दिया गया।

By rohit nagpal Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 06 Oct 2024 08:21 AM (IST)
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मस्जिद कमेटी स्वयं गिराएगी अवैध ढांचा (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध हिस्से को मस्जिद कमेटी स्वयं गिराएगी। मस्जिद विवाद पर नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री की अदालत में शनिवार को सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी को तीन मंजिलें गिराने की अनुमति दी। मस्जिद के शेष ढांचे के वैध या अवैध निर्माण पर 21 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी।

अवैध हिस्सा तोड़ने का खर्च भी उठाना होगा

वहीं, अदालत ने स्थानीय लोगों को इस मामले में पार्टी बनाने की याचिका को रद्द कर दिया है। मस्जिद कमेटी व वक्फ बोर्ड ने आयुक्त से अवैध हिस्सा गिराने की अनुमति देने के लिए आवेदन किए थे। अवैध हिस्सा तोड़ने का खर्च भी इन्हें स्वयं उठाना होगा।

इस मामले पर दो बार हुई सुनवाई

आयुक्त की अदालत में शनिवार को इस मामले पर दो बार सुनवाई हुई। पहले दिन में 11:08 बजे सुनवाई शुरू हुई और 12.22 मिनट तक चली। दिन में मामले में स्थानीय लोगों को पार्टी बनाने पर बहस हुई। अदालत ने मस्जिद कमेटी व वक्फ बोर्ड के आवेदनों को औपचारिक तौर पर शामिल किया। ये आवेदन दोनों ही संस्थाओं ने आयुक्त के कार्यालय में सौंपे थे।

इसके बाद शाम चार बजे फिर सुनवाई शुरू हुई और आयुक्त ने दोनों आवेदनों को स्वीकार कर लिया। नगर निगम के कनिष्ठ अभियंता की स्टेटस रिपोर्ट का आकलन करने के बाद आयुक्त ने फैसला सुनाया है। वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता बीएस ठाकुर, नगर निगम के अधिवक्ता विकास धौल्टा व स्थानीय लोगों की ओर से अधिवक्ता जगत पाल ने मामले की पैरवी की।

फैसले को चुनौती नहीं देंगे- कमेटी

संजौली मस्जिद कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे। कमेटी या वक्फ बोर्ड इसे चुनौती नहीं देंगे। अदालत ने यह फैसला उनके आवेदन पर किया है। इससे भाईचारा बना रहेगा। लिखित आदेश आने के बाद इसे देखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि मस्जिद बनाने के लिए तो सभी पैसा दे देते हैं, लेकिन अब तोड़ने के लिए लोगों से पैसा देने का आग्रह करेंगे। वक्फ बोर्ड की निगरानी में कमेटी अवैध हिस्से को तोड़ेगी।

हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे स्थानीय लोग

संजौली के स्थानीय लोगों की अधिवक्ता पारुल वर्मा ने कहा कि वे हाई कोर्ट जाएंगे। हाई कोर्ट से आग्रह करेंगे कि इस मामले में स्थानीय लोगों को पार्टी बनाने का आदेश दें। साथ ही मस्जिद की नीचे की दो मंजिलों पर जल्द फैसला हो, इसके लिए हाई कोर्ट से निर्देश जारी करने का आग्रह करेंगे। उन्होंने दावा किया कि पूरी मस्जिद का अवैध निर्माण किया है।

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शिमला से सुलगी थी विरोध की चिंगारी

हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण का मामला पहली सितंबर को शहर के मल्याणा वार्ड में हिंदू युवक की पिटाई के बाद सुलग गया। उस दौरान जिला प्रशासन ने मामले की जल्द सुनवाई का भरोसा दिया। पांच सितंबर को हिंदू संगठनों ने यहां प्रदर्शन किया।

सात सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त कोर्ट में मस्जिद कमेटी व वक्फ बोर्ड यह नहीं बता सके कि कुल पांच मंजिलों में ऊपर की तीन मंजिलें किसने बनाई। सुनवाई पांच अक्टूबर को तय हुई। 11 सितंबर को संजौली में हिंदू संगठनों ने बड़ा प्रदर्शन किया।

इस दौरान पत्थरबाजी भी हुई। 12 सितंबर को मस्जिद कमेटी के पदाधिकारियों ने नगर निगम आयुक्त के कार्यालय में जाकर अवैध हिस्से को तोड़ने की अनुमति मांगी। 13 सितंबर को वक्फ बोर्ड ने भी ऐसा ही आवेदन किया।

कुल्लू और मंडी में भी अवैध मस्जिद के खिलाफ आवाज

शिमला के मस्जिद मामले के बाद कुल्लू व मंडी शहर में भी मस्जिद के अवैध निर्माण के खिलाफ आवाज उठी। मंडी में जेल रोड के साथ बनी मस्जिद का मामला भी नगर निगम मंडी के आयुक्त के कोर्ट में चल रहा है। यहां सड़क के साथ अवैध निर्माण को मस्जिद कमेटी ने खुद गिरा दिया है, जबकि अन्य निर्माण का मामला आयुक्त के न्यायालय में है।

13 सिंतबर को आयुक्त कोर्ट ने एक माह में पुरानी स्थिति बहाल करने का आदेश दिया है। इसी बीच मंडी प्रशासन ने मस्जिद का बिजली-पानी कनेक्शन काट दिया है। मस्जिदों के अवैध निर्माण के खिलाफ ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर के घुमारवीं में भी लोग मुखर हुए हैं। इन क्षेत्रों में जांच का जिम्मा जिला प्रशासन के पास है।

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