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Masjid Controversy: संजौली मस्जिद पर फैसले से पहले होगा हनुमान चालीसा का पाठ, देवभूमि संघर्ष समिति ने किया एलान

संजौली मस्जिद विवाद पर 5 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई से पहले देवभूमि संघर्ष समिति ने 4 अक्टूबर को प्रदेशभर के मंदिरों में हनुमान चालीसा पाठ करने का फैसला किया है। समिति का कहना है कि हिंदू समाज को उम्मीद है कि इस दिन अवैध मस्जिद पर हिमाचल के हित में फैसला आएगा। ग्राम पंचायतों से भी अवैध रूप से रह रहे लोगों पर कार्रवाई की मांग की है।

By Rohit Sharma Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 02 Oct 2024 09:32 AM (IST)
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संजौली मस्जिद पर फैसले से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करेगी देवभूमि संघर्ष समिति (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, शिमला। संजौली मस्जिद विवाद पर पांच अक्टूबर को नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत में सुनवाई होगी। इस विवाद पर कोई फैसला आने से पूर्व देवभूमि संघर्ष समिति की ओर से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा।

देवभूमि संघर्ष समिति के संयोजक भरत भूषण ने कहा कि समिति ने चार अक्टूबर को प्रदेशभर में मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ करने का फैसला किया है। हमीरपुर में प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले वीरेंद्र परमार को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके हिंदू समाज के लिए दिए बलिदान को भी याद किया जाएगा।

कोर्ट के फैसले पर टिकी लोगों की नजरें

उन्होंने कहा कि संजौली मस्जिद विवाद पर पांच अक्टूबर को आने वाले फैसले पर प्रदेश के लोगों की नजर टिकी हुई है। हिंदू समाज उम्मीद कर रहा है कि इस दिन अवैध मस्जिद पर हिमाचल के हित में जरूर फैसला आएगा। इससे एक दिन पहले प्रदेश सरकार और प्रशासन को सद्बुद्धि प्रदान करने के लिए मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा।

भरत भूषण ने कहा कि बहुसंख्यक समाज की भावनाओं के मुताबिक अवैध मस्जिद पर फैसला आए। जिस तरह हमारे पूर्वजों ने सुरक्षित हिमाचल हमें सौंपा था, उसी तरह यह आगे भी सुरक्षित रहे और यहां देवाज्ञा के अनुसार कार्य हो, यही उम्मीद हम कर रहे हैं।

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पंचायतों से प्रस्ताव पारित करने की अपील

भरत भूषण ने संघर्ष समिति के माध्यम से प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों से भी अवैध रूप से रह रहे अन्य राज्यों के लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। सभी पंचायतों से आग्रह किया कि वे दो अक्टूबर को ग्राम सभाओं में प्रस्ताव पारित करें कि ऐसे लोगों को प्रवेश नहीं करने देंगे। फेरी लगाने या अन्य लोगों के सत्यापन के बाद ही उन्हें पंचायत में प्रवेश की अनुमति दी जाए।

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