Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

HC के फैसले का SFI ने किया स्‍वागत; कहा- पिछले पांच साल में HPU में हुई भर्तियों की न्‍यायिक जांच करवाए सरकार

Shimla News हिमाचल प्रदेश के शिमला में हाईकोर्ट के फैसले का एसएफआई ने स्‍वागत किया है। पिछले पांच वर्षों में सैकड़ों नियुक्तियां की गई हैं जो फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र फर्जी ओबीसी प्रमाणपत्र संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी किए गए फर्जी नेट छूट प्रमाण पत्र विभिन्न निजी संस्थानों द्वारा जारी किए गए अनुभव और फर्जी प्रकाशनों जैसे फर्जी प्रमाणपत्रों पर आधारित हैं।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Thu, 07 Sep 2023 08:15 PM (IST)
Hero Image
HC के फैसले का SFI ने किया स्‍वागत

शिमला, जागरण संवाददाता: एसएफआई ने फर्जी प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में उच्च न्यायालय के फैंसले का स्वागत किया है। प्रेस को जारी ब्यान में राज्य अध्यक्ष रमन थारटा व राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि एसएफआई फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र के आधार पर वर्तमान नौकरी हथियाने वाले उम्मीदवार की नियुक्ति को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में न्यायालय आशा की उम्मीद है।

निजी संस्थानों द्वारा जारी किए गए अनुभव

पिछले पांच वर्षों में सैकड़ों नियुक्तियां की गई हैं जो फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र, फर्जी ओबीसी प्रमाणपत्र, संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी किए गए फर्जी नेट छूट प्रमाण पत्र, विभिन्न निजी संस्थानों द्वारा जारी किए गए अनुभव और फर्जी प्रकाशनों जैसे फर्जी प्रमाणपत्रों पर आधारित हैं।

कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए नहीं थे पात्र

उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन कुलपति जो स्वयं कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं थे, अन्य लोगों के साथ मुख्य दोषी हैं। जिसके लिए उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में सूक्ष्म स्तर की जांच की तत्काल आवश्यकता है। एसएफआई ने आरोप लगाया कि कई बार विज्ञापन की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद भी ऑनलाइन पोर्टल खोला गया।

उपरोक्त अनियमितताएं पाई गई

एसएफआई ने 154 शिक्षकों के 13000 से अधिक कागजात का रिकॉर्ड एकत्र किया है जिसमें उपरोक्त अनियमितताएं पाई गई हैं। इसमें कड़ी जांच की आवश्यकता है। एसएफआई पिछले पांच वर्षों के दौरान हुई सभी नियुक्तियों की न्यायिक जांच की मांग करती है। वह जांच समिति उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश के अधीन गठित की जानी चाहिए।

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई सूचनाओं के निष्कर्षों को रखने का अवसर एसएफआई को प्रदान किया जाए। सूचनाओं के तहत जब एसएफआई ने छानबीन की तो लगभग 80 फीसद अभ्यार्थी आयोग्य पाए गए। एसएफआई का मानना है कि यदि आयोग्य प्रोफ़ेसर छात्रों को पढ़ायेंगे को शिक्षा का स्तर और ज्यादा गिरेगा।

एसएफआई लगातार भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठा रही

जो खुद आयोग्य हैं वह किस तरह की शिक्षा छात्रों को देंगे इस बात को हम भलीभांति समझ सकते हैं। एसएफआई लगातार भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है। इस से पहले एसएफआई ने इस मामले को राज्यपाल के समक्ष ज्ञापन के जरिए भी रखा। पूर्व भाजपा सरकार को भी इसमें हस्तक्षेप और निष्पक्ष जांच करने के लिए ज्ञापन दिए थे और धरने प्रदर्शन भी किए थे।

इन धांधलियों में कहीं न कहीं पूर्व भाजपा सरकार के पिछलग्गू लोग होने के कारण भाजपा सरकार ने इसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की। उसके बाद सत्ता में कांग्रेस सरकार आई और एसएफआई का प्रतिनिधित्व मंडल शिक्षा मंत्री से भी इस मुद्दे को लेकर मिला और धरने प्रदर्शन भी लगातार कर रही है। परंतु सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। एसएफआई ने इन भर्तियों की न्यायिक जांच की मांग की है।