Himachal Pradesh: सरकारी कार्यक्रमों में नहीं दिए जाएंगे शॉल, टोपी व पुष्पगुच्छ; आपदा के चलते लिया फैसला
Himachal Pradesh News हिमाचल सरकार ने 31 अक्टूबर तक सरकारी कार्यक्रमों के दौरान शॉल टोपी व पुष्पगुच्छ इत्यादि देकर अतिथियों को सम्मानित करने की रस्म पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार का यह निर्णय प्राकृतिक आपदा के प्रबंधन के लिए संसाधनों के समुचित उपयोग तथा प्रशासन में संवेदनशील व प्रभावी कार्य संस्कृति के समावेश को भी रेखांकित करता है।
By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Mon, 28 Aug 2023 05:30 AM (IST)
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल सरकार ने 31 अक्टूबर तक सरकारी कार्यक्रमों के दौरान शॉल, टोपी व पुष्पगुच्छ इत्यादि देकर अतिथियों को सम्मानित करने की रस्म पर रोक लगा दी है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण उत्पन्न स्थिति के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है। 31 अक्टूबर तक सरकारी कार्यक्रमों में कोई औपचारिक सम्मान समारोह नहीं किया जाएगा।Himachal Disaster: आपदा के बाद हिमाचल के पर्यटन कारोबार में छाई मंदी, होटलों में बुकिंग 3 फीसद से भी कम
राज्य सरकार का यह निर्णय प्राकृतिक आपदा के प्रबंधन के लिए संसाधनों के समुचित उपयोग तथा प्रशासन में संवेदनशील व प्रभावी कार्य संस्कृति के समावेश को भी रेखांकित करता है।
गार्ड ऑफ ऑनर पर भी लगी रोक
इससे पहले हिमाचल सरकार द्वारा 15 सितंबर तक क्षेत्र के दौरे के दौरान अति विशिष्ट व्यक्तियों को पारंपरिक रूप से दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर को भी निलंबित किया गया है।10 हजार रुपये तक आता है सम्मान समारोह में खर्च
आमतौर पर कहीं भी मुख्यमंत्री का कार्यक्रम रहता है तो उसमें सम्मानित करने पर न्यूनतम 10 हजार रुपये खर्च होते हैं। उनके साथ कार्यक्रम में आने वाले अन्य अतिथियों को भी उसी प्रोटोकाल के तहत सम्मान दिया जाता है।
एक शाल 1500 से 3000 रुपये मूल्य की होती है। उसके बाद साधारण गुणवत्ता की टोपी का मूल्य 350 रुपये से लेकर 500 रुपये तक होता है। सामान्य तौर पर किसी भी कार्यक्रम में भेंट किए जाने वाले पुष्पगुच्छ 350 रुपये से लेकर 700 रुपये के रहते हैं। यदि दूसरे राज्यों से सरकारी मेहमान आते हैं तो शाल, मफलर, टोपी और पुष्पगुच्छ का मूल्य गुणवत्ता को देखते हुए कुछ अधिक रहता है।
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