Shimla News: सीएम सुक्खू ने करीबियों को मंत्री बनाकर दिखाया वही सर्वमान्य नेता
Shimla News इस बार प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार में शिमला जिला हावी रहा। सुक्खू ने संदेश दिया कि साथ देने वालों का वह साथ नहीं छोड़ने वाले है। वहीं विक्रमादित्य से पहले रोहित ठाकुर व अनिरुद्ध सिंह को शपथ दिलाकर उन्हें दिखा दिया कि वह करीबियों के साथ हैं।
By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 09 Jan 2023 12:36 PM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता। मंत्रिमंडल का विस्तार करने में भी कांग्रेस सरकार ने रिवाज बदला है। प्रदेश में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की कांगड़ा व मंडी जिलों का दबदबा रहता था। सबसे अधिक मंत्री इन दो जिलों से बनते थे। इस बार मंत्रिमंडल में शिमला जिला रहा हावी, इस जिला से तीन विधायक मंत्री और एक सीपीएस बना है।
सबसे बड़े जिले कांगड़ा के हिस्से केवल एक ही मंत्री व दो सीपीएस के पद आए हैं। कांग्रेस ने सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा और सत्ता प्राप्त की। इसके बाद मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान शुरू हुई। सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाने की बिसात शिमला में बिछाई गई।
करीबियों को मंत्री पद देकर निभाई दोस्ती
विधायक रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह सुक्खू के साथ खड़े रहे। अनिरुद्ध सिंह ने इसके लिए पूरी लाबिंग की। प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा शुरू हुई तो भी दोनों विधायक सुक्खू के साथ खड़े रहे। सुक्खू मुख्यमंत्री बन गए और मंत्रिमंडल के विस्तार की बारी आई तो क्षेत्रीय व जातीय समीकरण सामने आ गए। मुख्यमंत्री ने भी इनकी चिंता किए बिना करीबियों को मंत्री पद देकर दोस्ती निभाई है।अनिरुद्ध सिंह के नाम पर था संशय
रोहित ठाकुर वरिष्ठ विधायक हैं और वीरभद्र सरकार में सीपीएस रह चुके हैं, इसलिए उनका मंत्री बनना तय था। मुख्यमंत्री के सबसे करीबी विधायक अनिरुद्ध सिंह के नाम पर संशय था। लेकिन मुख्यमंत्री ने उन्हें भी मंत्री बनाकर दिखा दिया कि वह करीबियों के साथ हैं। सुक्खू ने संदेश दिया कि साथ देने वालों का वह साथ नहीं छोड़ने वाले है। विक्रमादित्य से पहले रोहित ठाकुर व अनिरुद्ध सिंह को शपथ दिलाकर उन्हें वरिष्ठ का दर्जा देकर उनका मान बढ़ाया।
विक्रमादित्य सिंह को उप मुख्यमंत्री बनाने पर चर्चा
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के पुत्र व शिमला ग्रामीण से दूसरी बार विधायक बने विक्रमादित्य सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल न करने का जोखिम हाईकमान नहीं लेना चाहता था। उन्हें पहले उप मुख्यमंत्री बनाने की भी चर्चा थी। हालांकि, उन्हें रोकने की कोशिश की गई, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के परिवार की अनदेखी भारी पड़ सकती थी, इसलिए हाईकमान ने कोई जोखिम नहीं लिया।शिमला में था पेच, इसलिए लटका था मंत्रिमंडल विस्तार
शिमला जिला से ही सबसे ज्यादा पेच था, इसलिए करीब एक माह तक मंत्रिमंडल का विस्तार लटका रहा। सात में से तीन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर कई तरह की रुकावटें मुख्यमंत्री के समक्ष आ रही थीं। चर्चा शुरू हुई कि मंत्री के बजाय मुख्य सचेतक या विधानसभा अध्यक्ष बनाकर मुख्यमंत्री अपने करीबियों को समायोजित करेंगे।
यह भी पढ़ें- कंधे पर हल, हाथ में तिरंगा लिए व्यक्ति को देख रुका मुख्यमंत्री का काफिला
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।