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Shimla: वाइल्ड फ्लावर होटल केस में 24 नवंबर तक HC ने सुनवाई टाली, हिमाचल सरकार ने अपने कब्जे में लेने के दिए थे आदेश

वाइल्ड फ्लावर हॉल से जुड़े मामले पर सुनवाई 24 नवंबर के लिए टल गई। बता दें कि प्रदेश सरकार ने बीते शुक्रवार को वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल का प्रबंधन और संपत्ति पर कब्जा अपने हाथों में लेने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किए थे। ओबेरॉय होटल ग्रुप ईआईएच कंपनी लिमिटेड ने शनिवार को हाईकोर्ट में आवेदन दायर कर कोर्ट से उक्त सरकारी आदेशों पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Tue, 21 Nov 2023 03:27 PM (IST)
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वाइल्ड फ्लावर होटल केस में 24 नवंबर तक HC ने सुनवाई टाली, File Photo
जागरण संवाददाता, शिमला।  प्रदेश हाईकोर्ट में वाइल्ड फ्लावर हॉल (Wild Flower Hall hotel) से जुड़े मामले पर सुनवाई 24 नवंबर के लिए टल गई। इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल, छराबड़ा को अपने कब्जे में लेने के आदेशों पर रोक लगा रखी है। बता दें कि प्रदेश सरकार ने बीते शुक्रवार को वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल का प्रबंधन और संपत्ति पर कब्जा अपने हाथों में लेने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किए थे। 

ओबेरॉय होटल ग्रुप ने HC में लगाई थी गुहार

ओबेरॉय होटल ग्रुप ईआईएच कंपनी लिमिटेड ने शनिवार को हाईकोर्ट में आवेदन दायर कर कोर्ट से उक्त सरकारी आदेशों पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। सरकार का कहना था कि उसके आदेश हाईकोर्ट द्वारा इसी मुद्दे से जुड़े मामले में पारित आदेशों की अनुपालना में जारी किए गए थे। जबकि कंपनी का कहना था कि हाईकोर्ट ने उक्त होटल की संपत्ति और प्रबंधन को अपने अधीन लेने के कोई आदेश पारित नहीं किए हैं।

HC के आदेशों को न मान कर सरकार ने जारी किए आदेश

हाईकोर्ट ने तो होटल की संपत्ति को अपने कब्जे में लेने बारे सरकार से उसका विकल्प पूछा था। सरकार को अपना विकल्प 15 दिसम्बर को कोर्ट के समक्ष रखना था। इसके बाद हाईकोर्ट ने आर्बिट्रेशन अवार्ड में दिए आदेशों की अनुपालना करवाने बारे वांछित आदेश पारित करने थे। कंपनी की दलील थी कि सरकार ने जल्दबाजी दिखाते हुए हाईकोर्ट के आदेशों को अन्यथा लेते हुए उनकी कंपनी के वाइल्ड फ्लावर हॉल का प्रबंधन और संपत्ति को अपने अधीन लेने के आदेश जारी कर दिए। 

HC ने सराकर के आदेशों पर लगाई रोक

कोर्ट ने प्रार्थी कंपनी की दलीलों से फिलहाल सहमति जताते हुए कहा कि  कोर्ट ने केवल सरकार से उसका विकल्प पूछा था न कि संपत्ति और प्रबंधन को अपने अधीन लेने के आदेश दिए। कोर्ट ने उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए सरकार के आदेशों पर रोक लगाई और आदेश दिए थे कि वह वह होटल के प्रबंधन और संपत्ति के कब्जे में दखल न दे।

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