Shimla: सचिवालय के बाहर जेओए IT के छात्रों का हंगामा, मिलने का समय देने के बावजूद सीएम के न आने पर हुए आक्रोश
Shimla News तीन वर्ष से जेओए आइटी -817 व अन्य कोड के तहत लिखित परीक्षा पास कर चुके युवाओं ने शुक्रवार को शिमला स्थित सचिवालय के बाहर जोरदार हंगामा किया। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री ने दिन के 11 बजे उन्हें मिलने के लिए बुलाया था लेकिन वह नहीं आए।
शिमला, राज्य ब्यूरो। तीन वर्ष से जेओए आइटी -817 व अन्य कोड के तहत लिखित परीक्षा पास कर चुके युवाओं ने शुक्रवार को शिमला स्थित सचिवालय के बाहर जोरदार हंगामा किया। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिन के 11 बजे उन्हें मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन वह नहीं आए। इस दौरान लगभग 300 अभ्यर्थी मौजूद थे। गौर रहे कि यह भर्ती मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में कई युवा परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी ज्वाइन नहीं कर पाए हैं।
हालांकि देर शाम लगभग छह बजे मुख्यमंत्री सुक्खू ने इन युवाओं से बात कर उनका पक्ष जाना। उन्होंने कहा कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। ऐसे में इस पोस्ट कोड के तहत किसी अभ्यर्थी को ज्वाइनिंग नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि हिमाचल सरकार इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में पक्ष मजबूती के साथ रखेगी। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने यूआइटी की परीक्षा के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा रखी है।
पूरे प्रदेश से आए अभ्यर्थी 11 बजे सचिवालय में हुए एकत्र
प्रदेश के विभिन्न जिलों से अभ्यर्थी शुक्रवार को दिन के 11 बजे सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलने के लिए पहुंचे। वह सारा दिन इंतजार करते रहे। शाम तक मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हुई तो वे उग्र हो गए। उन्होंने सचिवालय के बाहर आकर कांग्रेस नेताओं के विधानसभा चुनाव से पहले किए वादों की प्रतियां दिखाई। उन्होंने कहा कि उनके मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।
पूर्व सरकार के समय जेओए आइटी का मामला लटक
एक युवा राहुल ने बताया कि चंबा और कांगड़ा सहित दूरदराज के जिलों से बर्फबारी और वर्षा के बीच अभ्यर्थी शिमला पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें शुक्रवार को मिलने का समय दिया था, लेकिन सारा दिन बीत गया। पूर्व सरकार के समय किए बदलाव के कारण जेओए आइटी का मामला लटक गया था। पहले यह मामला उच्च न्यायालय पहुंचा और फिर सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया। सर्वोच्च न्यायालय से इस मामले पर अभी तक रोक है।