Shimla News: बढ़ रही बादल फटने की घटनाएं, पता लगाने के लिए कंपनियों से लिए जाएंगे आवेदन
बादल फटने के कारणों का पता लगाया जाएगा। SDRF पहली बार हिमाचल में बादल फटने के कारणों का पता लगाएगा। इसके लिए प्राधिकरण ने 10 लाख रूपये के बजट का भी प्रावधान कर लिया है। प्राधिकरण बादल फटने के कारणों का पता लगाने के लिए जल्द कंपनियों से आवेदन मांगेगी। प्रदेश में इस साल मानसून के दौरान प्रदेश में 14 बार बादल फटने की घटना पेश आई हैं।
राज्य ब्यूरो, शिमला। Cloud Burst Incident: राज्य में बादल फटने के कारणों का पता लगाया जाएगा। एसडीआरएफ (SDRF) पहली बार हिमाचल में बादल फटने के कारणों का पता लगाएगा। इसके लिए प्राधिकरण ने 10 लाख रूपये के बजट का भी प्रावधान कर लिया है। प्राधिकरण बादल फटने के कारणों का पता लगाने के लिए जल्द कंपनियों से आवेदन मांगेगी। प्रदेश में इस साल मानसून के दौरान प्रदेश में 14 बार बादल फटने की घटना पेश आई हैं।
मंड़ी में आठ बार फटा बादल
इसमें मंडी जिला में सबसे ज्यादा आठ बार बादल फटने की घटनाएं घटी है। सिरमौर में 5 और चंबा में एक जगह बदल फटा है। बादल फटने की इन घटनाओं से प्रदेश में जान माल को भारी नुकसान पहुंचा है। भविष्य में बादल फटने की इन घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्राधिकरण इसके कारणों का पता लगा उसे रोकने के लिए योजना तैयार करेगा।
राज्य आपदा प्रबंधन ने एक अलग योजना तैयार की
इसके लिए कोई भी संस्थान, स्वयंसेवी संस्था और अन्य लोग शोध के लिए राज्य आपदा प्रबंधन से प्रोजेक्ट ले सकते हैं। राज्य आपदा प्रबंधन ने एक अलग योजना तैयार की है। इसके तहत शोध को लेकर संस्थानों, संस्थाओं व अन्य लोगों को आपदा प्रबंधन को प्रोजेक्ट भेजना होगा। प्रोजेक्ट की मंजूरी के बाद शोध किया जा सकेगा और सरकार प्रतिशोध 10 लाख रुपए की राशि देगा। शोध प्राकृतिक आपदा से संबंधित किसी भी विषय पर कर सकता है। इसके तहत भूस्खलन, बाढ़ और भारी बारिश के कारण व इससे बचने के उपाय। भवन निर्माण की पुरानी और नई तकनीक में कौन सी तकनीक उपयोगी है।
निर्माण कार्यों को लेकर अपनी नई नीति तैयार
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में जुलाई और अगस्त में आई त्रासदी के बाद बादल फटने, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा को लेकर अध्ययन करने के निर्देश दिए थे। सीएम के निर्देशों को अमलीजामा पहनाते हुए राज्य आपदा प्रबंधन ने इसको लेकर योजना तैयार की है। अध्ययन की सभी रिपोर्टों के आधार पर सरकार निर्माण कार्यों को लेकर अपनी नई नीति तैयार कर सकती है।
लगातार बढ़ रहा नुकसान का आंकड़ा
प्रदेश में मानसून के दौरान हुई भारी से नुकसान का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में अभी तक मानसून के दौरान नुकसान का आंकड़ा 9,712.50 करोड़ तक पहुंच गया है, जिसके अभी और बढ़ने की संभावना है। मानसून के दौरान 509 लोगों की मौत हुई है और 528 से अधिक लोग घायल हुए थे।
सबसे अधिक नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है। लोक निर्माण विभाग को 2,949.55 करोड़, जल शक्ति विभाग को 2419.10 करोड़, पावर को 1917.89 करोड़, कृषि को 398.20 तथा बागवानी को 172.65 करोड़ का नुकसान हो चुका है।