Shimla News: गुजारा भत्ते से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें जिला अदालतें : हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने गुजारा भत्ते से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली सभी जिला अदालतों को आदेश दिया वे आवेदनों का निपटारा करते समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने ओंकार शर्मा की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Sun, 25 Dec 2022 04:14 PM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता : हाई कोर्ट ने गुजारा भत्ते से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली सभी जिला अदालतों को आदेश दिया कि वे आवेदनों का निपटारा करते समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने ओंकार शर्मा की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चार नवंबर, 2020 को विस्तृत आदेश पारित कर निर्देशित किया था कि पक्षकारों की संपत्तियों का रहस्योद्घाटन करने वाले शपथपत्र के बिना कोई भी अंतरिम गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता।
संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा न्यायालय के समक्ष रखना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि गुजारा भत्ता पाने के लिए दोनों पक्षों को शपथपत्र के माध्यम से अपनी संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा न्यायालय के समक्ष रखना होगा। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को नजरंदाज कर फैमिली कोर्ट बिलासपुर ने 25 मार्च, 2021 को प्रार्थी ओंकार शर्मा को आदेश दिया था कि वह अपने पिता को 2000 रुपये प्रतिमाह अंतरिम गुजारा भत्ता दे। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में प्रार्थी के पिता ने अपनी संपत्तियों की जानकारी देने वाला कोई शपथपत्र नहीं दिया था। प्रार्थी का कहना था कि वह सेना से 2019 में सेवानिवृत्त हुआ था। उसे 14 हजार पेंशन मिलती है। इसके 72 वर्षीय पिता ने गुजारा भत्ता पाने के लिए उसके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत आवेदन दायर किया था। निचली अदालत ने पिता के आवेदन पर बेटे को 2000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने के आदेश दिया था। प्रार्थी ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
एसएसबी कांस्टेबल की सेवा से बर्खास्तगी सही
प्रदेश हाई कोर्ट शिमला ने एसएसबी कांस्टेबल को अनुशासनहीनता व कदाचार का दोषी पाते हुए उसकी सेवा से बर्खास्तगी को सही ठहराया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने रमेश कुमार की याचिका को खारिज करते हुए विभागीय कार्रवाई में उसकी बर्खास्तगी की सजा में दखल देने से इन्कार कर दिया। मामले के अनुसार प्रार्थी 1990 में एसएसबी में बतौर ड्राइवर कांस्टेबल भर्ती हुआ था।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।