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Shimla News: अब जाम की समस्या होगी खत्म, 53 करोड़ की लागत से बनी डबल लेन ढली टनल आज जनता को होगी समर्पित

राजधानी को ऊपरी शिमला से जोड़ने वाली ढली टनल सोमवार को लोगों को समर्पित होगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू सोमवार सुबह 11 बजे इसका उद्घाटन कर इसे जनता को समर्पित करेंगे। टनल के उद्घाटन के लिए इसकी पूरी तैयारियां हो गए है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस टनल का कार्य किया गया है। मार्च 2022 में इस टनल को बनाने का काम शुरू हुआ था।

By Shikha Verma Edited By: Nidhi Vinodiya Updated: Mon, 25 Dec 2023 04:35 AM (IST)
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53 करोड़ की लागत से बनी डबल लेन ढली टनल आज जनता को होगी समर्पित
शिखा वर्मा, शिमला। राजधानी को ऊपरी शिमला से जोड़ने वाली ढली टनल सोमवार को लोगों को समर्पित होगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू सोमवार सुबह 11 बजे इसका उद्घाटन कर इसे जनता को समर्पित करेंगे। टनल के उद्घाटन के लिए इसकी पूरी तैयारियां हो गए है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इस टनल का कार्य किया गया है। मार्च 2022 में इस टनल को बनाने का काम शुरू हुआ था। डेढ साल के रिकॉर्ड समय के भीतर इसका काम पूरा किया गया है। इसी साल सितंबर महीने में टनल के दोनों छोर को मिलाया गया था। इस टनल को आकर्षक बनाने के लिए इसकी दीवारों पर पहाड़ी संस्कृतियों को दर्शाया गया है।

53 करोड़ की लागत से तैयार हुई है टनल

ढली टनल को 53 करोड़ की लागत से बनाया गया है। यह टनल 147 मीटर लंबी है। इसमें डबल लेन हैं। यानि वाहनों के लिए एक तरफ का जो ट्रैफिक यहां पहले रूकाया जाता था अब वह नहीं रूकवाना पड़ेगा। इस सुरंग के शुरू होने से संजौली व ढली में आए दिन लगने वाले जाम से निजात मिलेगी।

चंडीगढ़ की तरह बनाया गया है यहां चौक

ढली टनल के पास चंडीगढ़ की तरह ही चौक को बनाया गया है। इस चौक का निर्माण यहां पर जाम से छुटकारा पाने के लिए किया गया है। इस चौक का उपयोग यातायात को डाइवर्ट करने के लिए किया गया है।

डबल लेन है सुरंग

ये सुरंग पूरी तरह से आधुनिक तकनीक के बनाई गई है। डबल लेन बनने वाली सुरंग के दोनों तरफ लोगों को पैदल चलने के लिए रास्ता भी बनाया गया है। डबललेन के माध्यम से सुरंग में गाड़ियों के आने-जाने की व्यवस्था होगी। इससे जाम से निजात मिलेगी और लोगों के समय की बचत होगी।

सुरंग के नीचे ही बनाया है डक्ट

इसके नीचे उपयोगी सेवाओं के लिए केबल बिछाने व पानी या बिजली की पाइप निकालने या संचार केबल निकालने का प्रावधान भी किया गया है। अंतराराष्ट्रीय स्तर की कंपनी को ये काम सौंपा गया था। इस कंपनी ने दिल्ली, बेंगलुरू ऋषिकेश सहित अनेक शहरों में मैट्रो एवं सड़क सुविधा के तहत कई सुरंगें बनाई हैं।

सुरंग के ऊपर बने हैं भवन

जिस जमीन पर सुरंग का निर्माण किया गया है। उसके ऊपर भवन बने हैं। भवनों को खोदाई या सुरंग के बनाते समय किसी तरह का खतरा न हो इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस तकनीक से सुरंग के ऊपर बने भवनों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा गया है।

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