Shimla News: सर्द रातों में भी डटे हैं शिक्षक, बच्चों के साथ धरने पर बैठीं महिला टीचर्स का छलका दर्द; जानिए क्या है मांगें
हिमाचल प्रदेश के शिमला में व्यावसायिक शिक्षकों का धरना जारी है। शिक्षक निजी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने और नीति निर्माण की मांग के समर्थन में धरने पर बैठे हैं। महिला शिक्षक भी छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं। सरकार ने वार्ता के लिए 12 नवंबर का न्योता दिया है लेकिन शिक्षक बिना शर्त वार्ता करने को तैयार नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला। शिमला की सर्द रातों में भी वोकेशनल शिक्षकों का हौसला बुलंद है। शनिवार रात शिमला के 10.8 न्यूनतम तापमान में भी शिक्षक धरने पर डटे रहे। निजी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने और नीति निर्माण की मांग के समर्थन में शिमला के चौड़ा मैदान में व्यावासयिक शिक्षक सातवें दिन रविवार को भी धरने पर डटे रहे।
महिला शिक्षक भी छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठी हैं। 11 वर्ष से सेवाएं दे रही महिला शिक्षिकाओं की जिम्मेदारियों ने उनकी आंखें नम कर दी और आंखों से आंसू छलक पड़े। व्यावसायिक शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि हालांकि उन्हें सरकार के साथ वार्ता के लिए 12 नवंबर का न्योता मिला है लेकिन सरकार ने शर्त दी है कि वार्ता से पहले उन्हें धरना समाप्त करना होगा, लेकिन यह शर्त कतई मंजूर नहीं है।
शिक्षक को सरकार-विभाग की शर्त मंजूर नहीं
व्यावसायिक शिक्षक संघ के महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन शर्त यह है कि शिक्षकों को धरना समाप्त करना होगा और उसके बाद ही शिक्षा मंत्री से बात हो सकेगी।उन्हें सरकार और विभाग की यह शर्त मंजूर नहीं है। बिना किसी शर्त के सरकार उन्हें वार्ता का न्योता दे अन्यथा धरना अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगा। अब आश्वासन से बात नहीं बनेगी।
बच्चों के साथ बैठी महिला शिक्षक का छलका दर्द
गत सरकार ने भी उन्हें आश्वासन दिए और वर्तमान सरकार ने भी उनसे सत्ता में आने से पहले वादा किया था। उनके लिए कुछ न कुछ करेगी लेकिन अब सरकार वादा भूल गई है। उनकी सिर्फ एक मांग है कि सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर रखा जाए। हिमाचल के करीब 1100 स्कूलों में 2174 व्यावसायिक शिक्षक है।चंबा से आई आरती ठाकुर ने कहा कि वह 11 वर्ष से सेवाएं दे रही हैं और अधिकार के लिए महिला होने के बावजूद धरने पर बैठी हैं। मानसिक प्रताड़ना के कारण आंसू जरूर यहां छलके हैं, लेकिन परिवार के प्यार और विश्वास के बावजूद वह हक की लड़ाई के लिए डटे हैं।
बच्चे के साथ धरने पर बैठी सोलन की दीपिका राणा ने कहा कि यहां काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। बावजूद इसके सरकार से एक मांग है कि कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
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