शिमला में कम नहीं हो रहा बंदरों और कुत्तों का आतंक, रिपन अस्पताल में रोजाना 10 से 20 मामले काटने के पहुंच रहे
Shimla News राजधानी शिमला में बंदरों और कुत्तों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। शहर में बंदरों व कुत्तों के काटने के रोजाना मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Sat, 18 Feb 2023 02:10 PM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता। राजधानी शिमला में बंदरों और कुत्तों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। शहर में बंदरों व कुत्तों के काटने के रोजाना मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
शहर के कई स्थानों पर कुत्तों व बंदरों के झुंड लोगों को घेर रहे हैं। इनकी संख्या बढ़ने पर शहर में महिलाओं और बच्चों को अकेले चलने में डर लग रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत स्कूल के बच्चों को आने-जाने में होती है।
कामकाजी महिलाओं से लेकर घरेलू महिलाएं बंदरों व कुत्तों के आतंक से परेशान हैं। इनकी संख्या बढ़ने से लोगों को सुरक्षित घर पहुंचने में डर लगता है। शहर के उपनगर हों या फिर शहर के मुख्य स्थल रिज मैदान व मालरोड, सभी जगह कुत्तों व बंदरों के झुंड दिखाई देते हैं।
2022 में बंदरों व कुत्तों के काटने के मामले
शहर के रिपन अस्पताल में पिछले साल बहुत ज्यादा मामले कुत्तों व बंदरों के काटने के आए थे। पिछले साल कुत्तों के काटने के 1637 मामले आए हैं, वहीं बंदरों के काटने के 672 मामले सामने आए हैं।
बंदरों के काटने के हर माह इतने मामले
बंदरों के काटने के जनवरी में 15, फरवरी में 12, मार्च में 51, अप्रैल में 79, मई में 76, जून में 87, जुलाई में 93, अगस्त में 76, सितंबर में 85, अक्टूबर में 41, नवंबर में 31, दिसंबर में 26 मामले आए हैं।आवारा कुत्तों के काटने के भी बढ़ रहे मामले
आवारा कुत्तों के काटने के जनवरी में 92, फरवरी में 81, मार्च में 170, अप्रैल में 134, मई में 151, जून में 140, जुलाई में 130, अगस्त में 154, सितंबर में 147, अक्टूबर में 140, नवंबर में 134, दिसंबर में 164 मामले सामने आए हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।बंदरों के डर से गिरकर भी चोटिल हो रहे लोग
रिपन अस्पताल में बंदरों व कुत्ते के काटने के 10 से 20 मामले रोजाना पहुंच रहे हैं। कई बार इनके आतंक के कारण लोगों की टांगें, बाजू भी टुट चुके हैं। लोग इनसे बचने के लिए भागते हैं, इसी हड़बड़ाहट में वे नीचे गिर जाते हैं, इस कारण भी लोग जख्मी हो रहे हैं।