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Work From Home के लिए शिमला से बेस्ट कुछ नहीं, वादियों में लुत्फ उठा रहे कॉरपोरेट सेक्टर के कर्मचारी

पहाड़ों की रानी शिमला इस समय वर्क फ्रॉम होम के लिए सबसे बेस्ट जगह है। कॉरपोरेट सेक्टर के कर्मचारी वादियों में काम का लुत्फ उठा रहे हैं। सप्ताह के दिनों में काम और फिर वीकेंड पर पहाड़ों का सैर-सपाटा। वर्क लाइफ पूरी तरह से संतुलित नजर आ रही है। अधिकतर कर्मचारी होम स्टे में ठहर रहे हैं और घर के भोजन का लुत्फ उठा रहे हैं।

By Parkash BhardwajEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 26 Sep 2023 06:20 PM (IST)
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वर्क फ्रॉम होम के लिए शिमला से बेस्ट कुछ नहीं, वादियों में लुत्फ उठा रहे कॉरपोरेट सेक्टर के कर्मचारी
शिमला, राज्य ब्यूरो। Work From Home In Shimla हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला कॉरपोरेट सेक्टर के कर्मियों का पसंदीदा स्थल बन चुका है। शहर के साथ लगते मशोबरा क्षेत्र से आसमान की ओर नजर उठाएं तो सामने बर्फ से लदी चोटियां मन मोह लेती हैं। ग्रामीण परिवेश के इस माहौल में वर्क फ्रॉम होम करने का मजा ही कुछ अलग है। यह कॉरपोरेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए पसंदीदा स्थल बन चुका है।

लोग एक सप्ताह से लेकर तीन माह तक होम स्टे में रहकर तरोताजा होकर जाते हैं। कोरोनाकाल को अभिशाप के तौर पर लिया जाता है। लेकिन प्रदेश के पर्यटन उद्योग के लिए कोरोनाकाल असीमित अवसर देकर गया है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में निर्मित होम स्टे मालिकों को पर्यटकों का इंतजार नहीं करना पड़ता है। स्वयं पर्यटक सस्ती रहने की सुविधा के लिए पहुंचते हैं। प्रदेश में साढ़े तीन हजार से अधिक होम स्टे हैं।

प्रदूषण रहित पर्यटन की ओर कदम

वर्ष 2008 में शुरू हुई होम स्टे योजना (Home Stay Scheme In Himachal) प्रदूषण रहित पर्यटन की ओर बढ़ाया गया कदम था। जिसने पर्यटकों की जेब की क्षमता अनुसार ठहरने का स्थान प्रदान किया। होम स्टे की लोकप्रियता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि करीब पंद्रह हजार कमरों में बाईस हजार बिस्तरों की सुविधा है। देश के विभिन्न भागों से ठहरने के लिए आने वाले पर्यटकों को घर जैसे माहौल और हिमाचली व्यंजनों का आनंद प्राप्त होता है।

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होम स्टे के मालिक ने क्या बताया?

ब्लदेयां के साथ लगते क्षेत्र में देवीधार होम स्टे मालिक संजय ठाकुर बताते हैं कि कोरोनाकाल के दौरान जहां सबकुछ बंद हो गया था। हमारे होम स्टे में मुंबई के दो युवा ठहरने के लिए पहुंचे थे, पूरा दिन ये लोग लैपटॉप पर काम करते व्यस्त दिखते थे। लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि दोनों सात दिन ठहरने के लिए आए थे और 45 दिन यहां पर ठहर कर गए। उसके बाद इन युवाओं के संपर्क वाले लगातार आते चले गए। हमारे पास कमरों का शुल्क पंद्रह सौ रुपये दैनिक है। लेकिन अधिक समय के लिए ठहरने वालों के लिए मासिक किराया फार्मूला अपनाया जाता है। यदि मशोबरा क्षेत्र में निर्मित होम स्टे की बात बताऊं तो यहां पर उच्च रेंज के भी कमरे उपलब्ध हैं।

प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा पर्यटन

देश के 795 गांवों में प्रदेश के तीन गांवों को राष्ट्रीय स्तर की पर्यटन प्रतियोगिता में शामिल किया गया। कांगड़ा का बीड-बिलिंग पैराग्लाइडिंग (Paragliding In Bir Billing) केंद्र, किन्नौर का छितकुल गांव और लाहौल-स्पीति (Lahaul Spiti) का एक गांव शामिल किया गया। प्रतिस्पर्धा में किन्नौर के छितकुल गांव ने देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया। ये पुरस्कार प्राप्त करने के लिए छितकुल पंचायत प्रधान सुभाष चंद और उप-मंडलाधिकारी एवं जिला पर्यटन विकास अधिकारी शशांक गुप्ता दिल्ली में पुरस्कार प्राप्त करने के लिए पहुंचे हैं।

प्राकृतिक आपदा के दो महीनों को अलग रख छोड़ें तो प्रदेश में जून माह तक डेढ़ करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंच चुके थे। अब पर्यटन का मतलब शहरों के बड़े पांच सितारा होटल नहीं रह गया है, घूमने के लिए आने वाले घरेलू पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी ग्रामीण क्षेत्रों के पर्यटन स्थलों के होम स्टे में रहना पसंद करते हैं। ग्रामीण पर्यटन प्रतियोगिता में किन्नौर का छितकुल गांव इसलिए पुरस्कार प्राप्त कर रहा है क्योंकि इस गांव में पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ आधारभूत ढांचागत सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। - देवेश कुमार, प्रधान सचिव पर्यटन

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