इस बार रक्षाबंधन पर नहीं पड़ेगा भद्रा का साया, जानें क्यों अशुभ माना जाता है भद्राकाल
भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन पर इस बार वर्षों बाद ऐसा संयोग देखने को मिल रहा है जब बहनें 15 अगस्त को किसी भी समय राखी बांध सकेेंगी इस बार भद्रा का खलल भी नहीं पड़ेगा।
शिमला, जेएनएन। भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन में इस बार भद्रा का खलल नहीं पड़ेगा। भद्र काल के दौरान किसी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। वर्षों बाद ऐसा योग आया है कि जिसमें भद्रा नहीं पड़ेगी। बहनें सारा दिन भर भाई की कलाई में राखी बांध सकेंगी। जाहिर है कि दूर रहने वाली बहनों को इसका फायदा होने वाला है। विवाहिता स्त्रियोंं को पहले घर पर ननद का इंतजार करना होता है उसके बाद ही वह अपने भाई के घर राखी बांधने पहुंचती हैं।
ऐसे में अगर भद्रा की दशा का योग हो तो बहनें शुभ मुहूर्त पर भाई को राखी पहनाने नहीं पहुंच पाती थी। इस बार भद्रा का न होना बहनों के लिए सौगात साबित होगा। इस साल रक्षाबंधन 15 अगस्त यानि वीरवार को है। इस दिन स्वतंत्रता दिवस भी है। राखी का त्योहार हर साल सावन के आखिरी दिन में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ में राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। साथ ही भाई भी अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य किसी शुभ मुहूर्त को देखकर किया जाता है।
इसी तरह बहनें अपने भाई के हाथ में भी राखी अच्छे समय को देखकर ही बांधती हैं। साल 2019 में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त पूरे दिन रहने वाला है। टूटू स्थित टेकरी मंदिर के मुख्य पंडित चंद्रशेखर ढीमरी ने बताया कि इस बार रक्षा बंधन का पर्व भद्रा दोष से मुक्त है। ऐसा संयोग बहुत कम देखने को मिलता है।
डाकघरों में राखियां पोस्ट करने के लिए लगी कतारें
भाई बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक रक्षाबंधन के लिए मंगलवार को बाजारों में खूब चहल-पहल रही। सोलन के मॉल रोड़, अप्पर बाजार व चौक बाजार में महिलाओं ने जमकर राखी की खरीददारी की व शहर के कई शॉपिंग मॉल ने लोगों के लिए ऑफर भी रखे।
बाजार में 10, 20, 50 से लेकर 500 रुपये तक की राखियां अलग अलग डिजाइनों में उपलब्ध हैं। सोलन के मॉल रोड पर राखी के व्यापारी सनी बंसल, कमल व मोहमद नैमी ने बताया की बाजार में चांदी की राखी, एंटीक राखी, मेटल, चंदन की राखी, प्लेन धागे, डायमंड लुक वाली राखियां खूब बिक रही है। छोटा भीम, कृष्णा, गणेशा, मोटू पतलू आदी राखियां बच्चों को काफी पसंद आ रही है। सोलन के मुख्य डाकघर व
अन्य डाकघरों में भी बीते एक सप्ताह से लोगो की खूब कतारें लगीं। मुख्य डाकघर से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते सप्ताह यहां से तीन हजार स्पीड पोस्ट व रजिस्टरी भारत के विभिन्न राज्यों के लिए की गई।
क्यों अशुभ है भद्राकाल?
किसी भी मांगलिक कार्य से पहले भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है। क्योंकि भद्रा काल में मंगल-उत्सव का आरंभ या अंत अशुभ माना जाता है। इसलिए भद्रा काल की अशुभता को मानकर कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। आइये बताते हैं कि आखिर क्या होती है भद्रा और क्यों इसे अशुभ माना जाता है?
पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और राजा शनि की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी कड़क बताया गया है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचाग के एक प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दिया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया। किंतु भद्रा काल में तंत्र कार्य, अदालती और राजनैतिक चुनाव कार्यों आदि करने से सफलता मिलती है।
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