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Himachal Politics: बच गई सुक्खू सरकार... पर संकट अब भी बरकरार, जानें कैसी रही प्रदेश की राजनीति में हलचल

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई और इसके बाद शुरू हुआ राजनीतिक खेल जो कि और तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भाजपा विधायकों के साथ बुधवार सुबह साढ़े सात बजे राजभवन पहुंचे। वहीं राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को घटनाक्रम से अवगत करवाते हुए कहा कि सरकार अल्पमत में है। जानें हिमाचल प्रदेश की की राजनीति में कैसी रही हलचल।

By Jagran News Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Thu, 29 Feb 2024 04:15 AM (IST)
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सुक्खू सरकार पर संकट अब भी है बरकरार (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, शिमला। Himachal Politics Crisis: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद शुरू हुआ राजनीतिक खेल और तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भाजपा विधायकों के साथ बुधवार सुबह साढ़े सात बजे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को घटनाक्रम से अवगत करवाते हुए कहा कि सरकार अल्पमत में है।

जिस तरह कांग्रेस के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, उसके बाद माना जा रहा था कि बुधवार को बजट पारित नहीं होगा और सरकार गिर जाएगी, लेकिन विपक्ष की अनुपस्थिति में बजट ध्वनिमत से पारित हो गया।

सदन की कार्रवाई अनिश्चित काल के लिए हुई स्थगित

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। दो दिन से चल रही उठापटक के बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार अभी भले ही बच गई हो, लेकिन संकट बरकरार है, क्योंकि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कह चुका है।

ये पहुंचे शिमला

68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 40, भाजपा के 25 व तीन निर्दलीय विधायक हैं, बावजूद इसके राज्यसभा चुनाव में दोनों दलों को 34-34 वोट मिले थे। कांग्रेस के छह व तीन निर्दलीय विधायक भाजपा के पक्ष खड़े थे। कांग्रेस हाईकमान ने भाजपा की रणनीति को भांपते हुए सरकार बचाने को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिव कुमार व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पर्यवेक्षक बनाया, जो बुधवार दोपहर शिमला पहुंचे।

पार्टी मामलों के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ल व छतीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले से शिमला में थे। राजनीतिक संकट से पार पाने व सरकार को बचाने के लिए सभी ने होटल सिसिल के बंद कमरे में रणनीति बनाई।

विधायकों से की बात

सूत्रों की मानें तो केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों व विधायकों से बात कर पूछा है कि नाराजगी किस बात को लेकर है। यदि सरकार बचाने के लिए नेतृत्व परिवर्तन करना पड़े तो अगली पसंद कौन होगा। कांग्रेस के जिन छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है, उनसे भी चर्चा की। माना जा रहा है कि नाराज विधायक मुख्यमंत्री को बदलने की बात कर रहे हैं।

खरगे लेंगे निर्णय चर्चा के बाद पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट तैयार कर मंत्रियों व विधायकों की राय के बारे में फोन के माध्यम से हाईकमान को अवगत करवाया। अब गुरुवार को ये नेता दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव केसी वेणुगोपाल को रिपोर्ट सौंपेंगे।

खरगे लेंगे निर्णय

हिमाचल में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलना है या सुखविंदर सिंह को इस पद पर रहने देना है, इसका निर्णय खरगे लेंगे। हमारे राष्ट्रीय ब्यूरो के मुताबिक खरगे ने इस मामले में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से बात की है। प्रियंका के भी कुछ विधायकों से बातचीत किए जाने की चर्चा है। कांग्रेस ने सरकार बचाने के लिए कुछ कड़े कदम से लेकर सभी विकल्प खुले रखने की बात कही है।

विक्रमादित्य ने वापस नहीं लिया त्याग-पत्र, शर्तों पर कायममंत्री विक्रमादित्य सिंह ने देर शाम कहा कि मैंने अपना त्याग-पत्र वापस नहीं लिया है। त्याग-पत्र वापस लेने और त्याग-पत्र पर जोर न देने में अंतर है। जो परिस्थितियां बनी हैं और अपनी शर्तों के बारे में पर्यवेक्षकों को बता दिया है।

त्याग पत्र पर नहीं दिया जाएगा जोर

जब तक पर्यवेक्षकों की बातचीत और कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक त्याग-पत्र पर जोर नहीं दिया जाएगा। वार्ता का परिणाम आने के बाद समर्थकों से बातचीत कर अंतिम निर्णय लूंगा। इससे पहले बुधवार सुबह उन्होंने प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि मंत्री पद से त्याग-पत्र दे रहा हूं।

इस दौरान उन्होंने नाराजगी के कारण बताए और कहा कि हाईकमान को इसके बारे में अवगत करवा दिया है। प्रदेश की जनता के कहने पर उन्होंने वीरभद्र सिंह की प्रतिमा रिज मैदान पर लगाने का मामला सरकार व हाईकमान के समक्ष बार-बार उठाया।

उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह की बदौलत कांग्रेस सत्ता में आई, पर उनकी प्रतिमा को रिज मैदान पर लगाने के लिए सरकार दो गज भूमि उपलब्ध नहीं करवा पाई। उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टी हाईकमान इस मामले में संज्ञान लेगा। उन्होंने कहा कि हर स्तर पर पार्टी का साथ दिया है और मुझे लक्ष्मण रेखा का पता है।

भाजपा विधायकों के निकालने से गर्माया सदन का माहौल

दिन में 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने मंगलवार को सदन में हुए घटनाक्रम में शामिल विपक्ष के सदस्यों पर कार्रवाई करने की मांग उठाई। विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित 15 भाजपा विधायकों को सदन से निष्कासित कर दिया। इसके बाद सदन में माहौल गर्मा गया। गतिरोध बढ़ने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी।

भोजनावकाश के बाद सवा दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। जिन विधायकों को निष्कासित किया था, उन्हें सदन में नहीं आने दिया गया। भाजपा के 10 विधायक सदन में आए। भाजपा विधायक सतपाल सत्ती ने कहा कि सदस्यों का निष्कासन गलत है और विरोधस्वरूप वह सदन से बाहर चले गए।

व्हिप के बावजूद नहीं रुके

असंतुष्ट विधायक कांग्रेस ने बजट पारित करने के लिए सभी विधायकों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था। कांग्रेस के जिन छह विधायकों राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, इंद्रदत लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देविंदर भुट्टो ने क्रॉस वोटिंग की थी, वे भोजनावकाश के दौरान ही सदन परिसर से चले गए।

दोपहर बाद सभी दोबारा पंचकूला पहुंच गए। हर्षवर्धन ने सदन में कहा कि व्हिप जारी होने के बाद भी कांग्रेस के छह विधायक सदन में उपस्थित नहीं हुए, ऐसे में नियमानुसार उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने उनके विरुद्ध अयोग्यता याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया है।

विशेष परिस्थितियों में बुलाया जा सकता है सत्रसामान्य तौर पर सत्र का आयोजन छह माह के भीतर करना अनिवार्य है। विशेष परिस्थितियों को देखते हुए विशेष सत्र कभी भी बुलाया जा सकता है। राज्यपाल प्रमाण को आधार बनाकर नियमों का हवाला देकर विधानसभा अध्यक्ष को विशेष सत्र आयोजित करने के लिए निर्देशित कर सकते हैं।

तारादेवी मंदिर में टेका माथा

दिनभर चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मंत्रियों व विधायकों के साथ मुख्यमंत्री सायं पांच बजे के बाद शिमला के तारादेवी मंदिर पहुंचे। सबने मंदिर में माथा टेका।

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