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38 साल बाद फिर गूंजेगी शिमला के ऐतिहासिक चर्च की पवित्र घंटियाें की आवाज

Christmas 2019 शिमला के रिज मैदान में बने एेतिहासिक क्राइस्ट चर्च की पवित्र घंटियों की आवाज आज 38 साल बाद फिर से सुनाई देगी।

By Babita kashyapEdited By: Updated: Sat, 21 Dec 2019 11:02 AM (IST)
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38 साल बाद फिर गूंजेगी शिमला के ऐतिहासिक चर्च की पवित्र घंटियाें की आवाज
शिमला, जेएनएन। हिल्स क्वीन शिमला के रिज मैदान स्थित ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च की पवित्र घंटियों (वेल्स) आवाज शनिवार से फिर सुनाई देगी। 38 साल बाद घंटियों की मरम्मत का काम पूरा हो गया है।1982 में चर्च की घंटियों में तकनीकी खराबी आ गई थी। सालों के प्रयासों के बाद इस साल क्रिसमस के मौके पर घंटियों को शुरू किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इन पवित्र घंटियों की गूंज पूरे शहर में सुनाई देगी। चर्च में घंटियों की मरम्मत के लिए कारीगीर लगे हुए थे।

क्राइस्ट चर्च के प्रेस इंचार्ज सोहन लाल ने बताया कि चर्च में प्रार्थना से पहले घंटी बजने का विशेष महत्व है।घंटी बजने से पता चलेगा की चर्च में प्रार्थना शुरू होने वाली है। वैसे तो चर्च में कई घंटियां हैं, लेकिन एक विशेष घंटी अरसे से नहीं बजी है।

यह घंटी इंग्लैंड से लाकर चर्च में स्थापित की गई थी। इसे विशेष प्रकार की म्यूजिल कार्ड के ऊपर जोड़ा गया है। इसमें लगे हैंमर और पाइप की सहायता से मधुर संगीत बजता है। ऐतिहासिक घंटी होने की वजह से यह आज तक ठीक नहीं हो पाई थी। इसे ठीक करने के लिए चंडीगढ़ से सामान मंगवाया गया। कारीगर भी चंडीगढ़ से आए हैं। क्रिसमस के पवित्र अवसर पर इसके शुरू होने से ईसाई समुदाय के लोगों में विशेष उत्साह है। 

चर्च का इतिहास

शिमला का क्राइस्ट चर्च उत्तरी भारत में दूसरा सबसे पुराना चर्च है। इसकी खूबसूरती आज भी लोगों को लुभाती है। अंग्रेजी शासनकाल में बना यह चर्च आज भी शिमला की शान बना हुआ है। 1857 में नियो गोथिक कला में बना यह चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिश कम्यूनिटी के लिए बनाया गया था जिसे उस समय सिमला कहते थे। क्राइस्ट चर्च को कर्नल जेटी बोयलियो ने 1844 में डिजाइन किया था। इसका निर्माण करीब 13 साल बाद 1857 में शुरू किया गया। 

ये भी है खासियत

चर्च में पांच बड़ी खिड़कियां हैं जो कीमती कांच से बनाई गई हैं। ये ईसाई धर्म के विश्वास, उम्मीद, परोपकार, धैर्य, विनम्रता का प्रतीक है। यह चर्च हर रविवार को खुला रहता है। हर साल देश विदेश से शिमला आने वाले लाखों सैलानी इस चर्च में जाना नहीं भूलते हैं। यहां आने वाले सैलानी चर्च के सामने फोटो भी खिंचवाते हैं।

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