Shimla History: फिर गुलजार हुई 'पहाड़ों की रानी' शिमला, नाम में छुपा है पुराना इतिहास; जानिए इससे जुड़े रोचक तथ्य
पहाड़ों की रानी शिमला अपने नाम के पीछे बहुत पुराना इतिहास (Shimla Name History) लिए खड़ी है। शिमला की संरचना ब्रिटिश काल में हुई थी। उस समय अंग्रेज अपना अधिकतर समय यही बिताया करते थे। आइए जानते हैं शिमला से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
जागरण डिजटल डेस्क, शिमला। शिमला में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। सैलानी यहां दूर-दूर से वादियों का आनंद उठाने पहुंच रहे हैं। पहाड़ों की रानी कहलाए जाने वाले शिमला का इतिहास (Shimla History) भी कुछ खास रहा है। ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों ने इसकी संरचना काफी सोच समझकर की थी।
आइए जानते हैं हिमाचल की ग्रीष्मकालीन राजधानी का नाम आखिर 'शिमला' (Shimla Name History) कैसे पड़ा और कैसे यहां के ऐतिहासिक भवन पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
तो बात है उन दिनों कि जब हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था। उस दौरान अंग्रेजों को उत्तर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में अपने देश की तस्वीर दिखती थी। उन्हें यह जगह इतनी पसंद आ गई थी कि इसे हू-ब-हू इंग्लैंड के एक शहर की शक्ल देने की कोशिश की गई। यही कारण है कि आज भी यहां कि इमारतें पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
शिमला का पुराना नाम क्या था?
ब्रिटिश शासन के दौरान पूर्व में यह ग्रीष्मकालीन राजधानी (Shimla Summer Capital) थी और अंग्रेज साल के अधिकतर माह शिमला में ही गुजारते थे। शिमला शहर कई पहाड़ियों पर बना हुआ है। शिमला का नाम ‘श्यामला’ से लिया गया था। श्यामला देवी महाकाली का एक रूप है। जिनका नाम इस सुंदर शहर को दिया गया था। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि श्यामला का मतलब एक नीले घर से है, जो कि एक फकीर द्वारा जाखू पहाड़ी (Shimla Jakhu Temple) पर स्लेट से बनाया गया था।
शिमला को 'सिमला' क्यों लिखा जाता रहा?
शिमला को सिमला कहे जाने का भी एक रोचक किस्सा है। दरअसल, अंग्रेज शिमला का नाम सही से नहीं बोल पाते थे, वे शिमला को सिमला कहते थे। यही कारण है कि अंग्रेजी भाषा में भी इसे सिमला लिखा जाने लगा। फिर 1980 में हिमाचल सरकार ने इसका नाम हिंदी के हिसाब से बदलकर शिमला रखने की अधिसूचना जारी की।
शिमला की संरचना किसने की थी?
- ब्रिटिशकाल के दौरान शिमला को बसाने और फिर संवारने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वे थे लेफ्टिनेंट चार्ल्स पॅट कैनेडी, जो कि पहाड़ी राज्यों के तत्कालीन सहायक राजनीतिक एजेंट लेफ्टिनेंट रॉस के उत्तराधिकारी थे।
- लेफ्टिनेंट चार्ल्स पॅट कैनेडी ने 1822 में लेफ्टिनेंट कैनेडी के नाम पर ‘केनेडी हाउस’ के नाम पर पहला स्थायी घर बनाया था। फिर 1830 में इसे शहर की तरह बसाने की कवायद हुई।
- अब दो साल बाद यानी कि 1832 में ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड पीटर ऑरोनसन ने महाराजा रणजीत सिंह से जमीन ले ली क्योंकि इस जगह की अधिकतर जमीनें पटियाला रियासत के पास थीं।
- साल 1864 इसका विकास कुछ इस तरह किया गया कि फिर इसे समर कैपिटल या ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया। फिर अंग्रेजों का आवागमन यहां बढ़ता ही गया और अब भी पर्यटक यहां दूर-दूर से घूमने आते हैं।
क्या शिमला पहले पंजाब की राजधानी थी?
1947 में आजादी के बाद, शिमला कुछ सालों के लिए पंजाब की राजधानी बन गई थी और बाद में इसे हिमाचल प्रदेश की राजधानी बना दिया गया।
एक नहीं सात-सात पहाड़ियों पर बसा है शिमला
शिमला कुल मिलाकर सात पहाड़ियों पर बसा हुआ है। इन सात पहाड़ियों में जाखू हिल, एलिसियम हिल, बैंटनी हिल, प्रॉस्पेक्ट हिल, ऑब्जर्वेटरी हिल, इनवरम हिल और समर हिल शामिल हैं।
इन सभी में सबसे प्रसिद्ध और ऊंची जाखू पहाड़ी है, जिसपर भगवान हनुमान का मंदिर स्थित है। मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा पूरी दुनिया में सबसे ऊंची है। इसकी लंबाई 108 फीट है।
कालका-शिमला रेल लाइन का निर्माण कब हुआ?
शिमला और ऐतिहासिक इमारतों का जिक्र हो लेकिन यहां पहुंचने वाली हेरिटेज रेलगाड़ी की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता।
साल 1903 में कालका से शिमला के बीच रेल लाइन का निर्माण हुआ था। खास बात यह है कि इस रेललाइन को यूनेस्को ने हेरिटेज रेलवे ट्रैक का दर्जा दिया था।
1903 में बिछी इस 96 किलोमीटर की रेललाअन में 102 सुरंगे, 800 पुल और 18 रेलवे स्टेशन हैं। इसी रेल ट्रैक पर 1906 में ब्रिटिशकाल के दौरान भाप का इंजन दौड़ाया गया था। हालांकि, 1971 के बाद इसे बंद कर दिया गया और फिर 2001 में इसका संचालन शुरू हो गया।
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Source: हिमाचल सरकार और शिमला जिले की आधिकारिक वेबसाइट (https://hpshimla.nic.in/hi/)