लूटने और लुट जाने के ये चोर रास्ते, Crypto Currency के नाम पर हो रही ठगी
हिमाचल प्रदेश में आए दिन क्रिप्टो करेंसी से हुए फ्रोड के मामले सामने आ रहे हैं। कई अधिकारी भी इसमें फंसते नजर आते हैं। लोग बड़ी ही आसानी से इस धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। वहीं उनकी अब तक की जमा पूंजी कुछ ही मिनटों में उड़ जाती है। खबर के माध्यम से पता लगाया गया है कि आखिर कैसे हो जाते हैं लोग इन ठगों का शिकार?
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Thu, 12 Oct 2023 11:28 AM (IST)
नवनीत शर्मा, शिमला। वित्तीय संकट से जूझते हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में बीते कई दिन 1000 करोड़ की उस ठगी के नाम रहे हैं जो क्रिप्टो करेंसी के नाम पर निवेश से जुड़ी है। इसी खबर के पार जाने की तैयारी की, तो सामने दो तीन दृश्य बने।
पहला दृश्य किन्ही सुभाष शर्मा का है जो किसी दीक्षा समारोह के वस्त्र धारण किए हुए हैं। उन्हें डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी का प्रमाण पत्र दिया गया, जिस पर अंकित था कि उसकी विशेषज्ञता क्रिप्टो एजुकेशन में है। यह मानद उपाधि उन्हें किसी अमेरिकन यूनिवर्सिटी फॉर ग्लोबल पीस ने दी है। एक चित्र उन्हें गोवा में मिले नेल्सन मंडेला नोबेल शांति पुरस्कार-2020 का है।
धीरे-धीरे आ रहे मामले सामने
दूसरा दृश्य कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर के उन लोगों का है जो धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं और बता रहे हैं कि कैसे उनकी हालत उस व्यक्ति की तरह हो गई जो हाथ में सोने का कड़ा पहनना चाहता था पर कलाई से भी हाथ धो बैठा। सामने दिखे हिमाचल के मंडी जिले में बल्ह घाटी के एक किसान ओम प्रकाश। उन्होंने 200 रुपये किलोग्राम तक टमाटर बेचा, खूब पैसे कमाए पर 50 लाख रुपये, सुभाष शर्मा के बताए जा रहे लोगों सुखदेव और हेमराज के कहने पर उस धंधे में लगा दिए जिसके बारे में उन्होंने कहा था-’ क्रिप्टो में निवेश कीजिए....मल्टी लेवल मार्केटिंग सिस्टम है न...चेन बनाइए....पैसा दुगना कीजिए।’यह भी पढ़ें: क्रिप्टो करेंसी ठगी मामला: जांच में हुए कई चौंकाने वाले खुलासे, एक हजार करोड़ रुपये की हुई थी ठगी; 35 जगहों पर छापेमारी
सुखदेव और हेमराज उत्साही पुलिस अधिकारी अभिषेक दुल्लर की अध्यक्षता वाले विशेष जांच दल के हत्थे चढ़ गए हैं, अब हिमाचल प्रदेश का उच्च न्यायालय ही उनका निर्णय करेगा। किंतु अमेरिकन यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी एवं नेल्सन मंडेला नोबल पीस अवार्ड पाने वाला क्रिप्टो विशेषज्ञ सुभाष शर्मा दुबई निकल गया है। अब विदेश मंत्रालय के माध्यम से वहां तक संपर्क करना ही पुलिस का अगला कदम है। इस सारे प्रकरण में मेरठ का मिलन गर्ग इस नेटवर्क की तकनीकी रीढ़ था। वह अब तक वैसे ही गायब है जैसे किसी बोझ उठाने वाले, शरीफ समझे जाते पशु के सर से सींग।
लाभ को दिखाने के लिए बदल दिया जाता था सॉफ्टवेयरअपराध का यह नवोन्मेष इतना सुनियोजित था कि पैसे लेने के लिए जाने वाले लोग नोट गिनने की तीन- तीन मशीन लेकर जाते थे। किसी निवेशक को संदेह न हो, इसलिए कुछ समय के बाद निवेश और उस पर हो रहे लाभ को दिखाने के लिए सॉफ्टवेयर भी बदल दिया जाता था। अधिक निवेश करने वालों को विदेश यात्रा का अवसर पूरे सम्मान और सुविधाओं के साथ दिया जाता था। लोगों के वैचारिक सत्र हुआ करते थे, जिनमें बताया जाता था कि आप दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति कैसे कर सकते हैं। और इस तरह छोटे रास्ते से लंबी दूरी तय करने वाले कुछ लोगों ने छोटे रास्ते से लंबी दूरी तय करने के इच्छुक लोगों को सरलता से लूट लिया। कुछ बिंदु सामने आते हैं।
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