Himachal Tourism: प्राकृतिक आपदा से शिमला में पर्यटन कारोबार ठप, होटलों में ऑक्यूपेंसी 1 से 2 फीसद तक पहुंची
हिमाचल प्रदेश में हुई भारी बारिश ने खूब तबाही मचाई है। शिमला में रेल सेवा पिछले एक सप्ताह से बंद पड़ी है। कालका शिमला नेशनल हाइवे भी लगातार बंद हो रहा है। भूस्खलन व शहर में हो रहे नुकसान के बाद पर्यटकों ने शिमला का रूख करना ही बंद कर दिया है। इससे पर्यटन कारोबारियों के साथ सरकार को भी इससे करोड़ों की चपत लगी है।
By Anil ThakurEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Sun, 20 Aug 2023 01:24 PM (IST)
शिमला, जागरण संवाददाता: राजधानी शिमला सहित प्रदेश में हुई भारी बारिश ने खूब तबाही मचाई है। शिमला में रेल सेवा पिछले एक सप्ताह से बंद पड़ी है। कालका शिमला नेशनल हाइवे भी लगातार बंद हो रहा है। भूस्खलन व शहर में हो रहे नुकसान के बाद पर्यटकों ने शिमला का रूख करना ही बंद कर दिया है।
हालत ये है कि शिमला शहर व इसके साथ लगते पर्यटन स्थलों में होटल पूरी तरह खाली है। कुछ होटलों में ऑक्यूपेंसी 1 से 2 फीसद है। वीकेंड पर होटलों में ऑक्यूपेंसी रहती थी लेकिन इस सप्ताह वह भी नहीं है। जुलाई-अगस्त में पीक पर रहने वाला पर्यटन कारोबार अगस्त महीने में पूरी तरह औंधे मुंह गिर गया है। इससे पर्यटन कारोबारियों के साथ सरकार को भी इससे करोड़ों की चपत लगी है।
अगस्त महीने में जहां शिमला शहर के होटलों में ऑक्यूपेंसी 60 फीसद तक रहती थी। वीकेंड पर यह आमद और ज्यादा बढ़ जाती थी। लेकिन इस बार ऑक्यूपेंसी 2 फीसदी तक पहुंच गई है। आपदा से पर्यटन कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है।
पर्यटन कारोबारियों की बढ़ी चिंता
शिमला का ऐतिहासिक रिज मैदान, माॅल रोड़ हमेशा पर्यटकों से गुलजार रहता था। वह भी इन दिनों सुनसान नजर आ रहा है। पर्यटन उद्योग में होटलों के अलावा टैक्सी ऑप्रेटर, होम स्टे, घुड़सवारी करवाने वाले, साहसिक गतिविधियां, फोटोग्राफर, रेस्तरां, ढाबा सहित अन्य तरह के कारोबार चलते हैं। ये सभी प्रभावित हुए हैं। प्राकृतिक घटनाओं के बाद पर्यटक शिमला का रुख नहीं कर रहे हैं।
शिमला होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र सेठ ने बताया कि पर्यटन से जुड़े कारोबारी, टेक्सी चालक घुड़सवारी कराने वाले के साथ सरकार को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद सकारात्मक पक्ष को देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगस्त महीने में शिमला शहर में ऑक्यूपेंसी 60 फीसदी से ज्यादा रहती थी, लेकिन इन दोनों ऑक्यूपेंसी न के बराबर है।
महेंद्र सेठ ने कहा कि पर्यटन पर्यटकों की आवाजाही ना होने से बिजली पानी के बिल देना भी मुश्किल हो गया है। इसके अलावा स्टाफ की सैलरी सहित अन्य तरह के खर्चे निकालना भी मुश्किल हो गया है।
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