Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Vikram Batra Death Anniversary: ये दिल मांगे मोर... छात्रों में भी देशभक्ति का जुनून पैदा करती है 'शेरशाह' की जीवन गाथा

Himachal News कारगिल युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले विक्रम बत्रा (Vikram Batra Death Anniversary) की जीवनगाथा और सेना में जाने के उनके जुनून को आज भी याद किया जाता है। उनकी बहादुरी के किस्से हिमाचल में बच्चों को बढ़ाए जाते हैं। स्कूलों में अध्यापकों का कहना है कि छात्र भी उनके किस्से बड़ी ही उत्सुकता से सुनते हैं।

By Anil Thakur Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 06 Jul 2024 06:12 PM (IST)
Hero Image
देश आज नम आंखों से विक्रम बत्रा को याद कर रहा है।

जागरण संवाददाता, शिमला। कारगिल युद्ध के हीरो और परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन बिक्रम बतरा (Captain Vikram Batra) का बलिदान दिवस है। पूरा देश आज नम आंखों से विक्रम बत्रा को याद कर रहा है।

उनकी वीरगाथा आज विद्यार्थियों में न केवल देशभक्ति का जूनून पैदा करती है, बल्कि सेना में जाने के लिए उनका मनोबल भी बढ़ाती है। कक्षा-6 में हिमाचल लोक संस्कृति व योग विषय में हिमाचल के कारगिल के वीर विजेता का अध्याय बच्चों को पढ़ाया जाता है।

इस अध्याय में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है कि कैसे हिमाचल के वीर सपूतों ने कारगिल युद्ध में बहादुरी दिखाई। अपनी जान की परवाह न करते हुए उन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों काे न्यौछावर कर दिया।

बच्चे बड़े उत्साहित होकर सुनते हैं विक्रम की कहानी

शिक्षकों के अनुसार बच्चें बड़ी उत्सुक्ता से वीर सपूतों के बारे में पढ़ते हैं। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दाड़गी के प्रधानाचार्य डॉ. राजेंद्र बंसल ने बताया कि कारगिल के वीर विजेताओं के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाता है।

न केवल कक्षाओं में बल्कि बलिदान दिवस व जन्म दिवस पर भी कार्यक्रमों में बच्चों को इनकी जीवनी के बारे में बताया जाता है। ये देश के रियल हिरो हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों में इनके जीवन व सेना के शौर्य वीरगाथाओं को जानने की काफी ज्यादा उत्सुक्ता देखने को मिलती है।

इसको लेकर कई तरह के सवाल पूछते हैं। इनकी जीवनी व शौर्य गाथाओं को पढ़ाया जाना एक अच्छा प्रयास है, इन विषयों का विस्तार होना चाहिए।

शौर्य गाथाएं सुनकर आज भी कांप जाती है रूह

कारगिल युद्ध में जाबांज सैनिकों की शौर्य गाथाएं सुनकर रूह आज भी कांप जाती है। पाकिस्तान ने धोखे से जब 1999 कारगिल के कई चोटियों पर कब्जा कर लिया था, भारतीय सेना ने उन चोटियों को कब्जा मुक्त कराने के लिए ऑप्रेशन विजय शुरू किया था।

इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बतरा ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी इस बहादुरी के लिए भारत सरकार ने मरणोपरांत कैप्टन विक्रम बतरा को सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया।

कारगिल के असली नायक कैप्टन विक्रम बत्तरा को कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। 1999 को महज 18 महीने की नौकरी के बाद ही कैप्टन बत्तरा को कारगिल जाना पड़ा।

22 जून 1999 को द्रास सेक्टर की प्वाइंट 5140 चोटी जिस पर दुश्मन ने कब्जा जमाया हुआ था, कैप्टन बत्तरा ने अद्भुत वीरता का परिचय देते हुए 10 पाक सैनिकों को मारकर उस चोटी पर तिरंगा फहराया।

चोटी फतेह करने की जानकारी कैप्टन बत्तरा ने अपने कमांडिंग अफसर को कहा था कि सर अब मुझे दूसरा टास्क दें, क्योंकि यह दिल मांगे मोर।

यह भी पढ़ें- Himachal Tourism: पहाड़ों पर भारी बारिश से पर्यटकों की संख्‍या घटी, वीकेंड पर होटलों में 45 प्रतिशत पहुंची ऑक्‍यूपेंसी

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें