Move to Jagran APP

Sri Renuka Ji Fair: श्रीरेणुकाजी मेले में दिखी सिरमौरी संस्कृति की शानदार झलक, पारंपरिक बुड़ाह लोकनृत्य की हुई प्रतियोगिताएं

अंतरराष्ट्रीय श्रीरेणुकाजी मेले के तीसरे दिन सिरमौरी संस्‍कृति की शानदार झलक देखने को मिली। रेणु मंच पर जिला सिरमौर के विभिन्न लोक कलाकारों से सुसज्जित दलों ने बुड़ाह पारंपरिक लोक नृत्य के साथ वाद्य यंत्रों की धुन से लोगों को मंत्रमुग्ध किया और अपनी-अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया। सिरमौर जिला कि सांस्कृतिक विरासत को लोक संगीत से ही जाना और समझा जा सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Fri, 24 Nov 2023 03:47 PM (IST)
Hero Image
श्रीरेणुकाजी मेले में दिखी सिरमौरी संस्कृति की शानदार झलक
जागरण संवाददाता, नाहन। अंतरराष्ट्रीय श्रीरेणुकाजी मेले के तीसरे दिन शुक्रवार को सिरमौर जिला के पारंपरिक बुड़ाह लोक नृत्य प्रतियोगिता के द्वारा सिरमौरी संस्कृति की शानदार झलक देखने को मिली है। रेणु मंच पर जिला सिरमौर के विभिन्न लोक कलाकारों से सुसज्जित दलों ने बुड़ाह पारंपरिक लोक नृत्य के साथ वाद्य यंत्रों की धुन से लोगों को मंत्रमुग्ध किया और अपनी-अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया।

इन कलाकारों ने प्रतियोगिता में लिया भाग

बुड़ाह दल प्रतियोगिता में शिरगुल कला मंच घाटों, बुडाह लोकनृत्य दल सैंज, पारंपरिक लोक नृत्य हानत, गोगा वीर सांस्कृतिक कला मंच पखवान गणोग, गुगा महाराज बुढ़ियात सांस्कृतिक क्लब क्यारका, बुडाह दल ऊंचा टिक्कर के कलाकारों ने प्रतियोगिता में भाग लिया।

यह भी पढ़ें: ददाहु गिरी नदी से श्री रेणुका जी तक विशाल शोभायात्रा, एक सप्ताह तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय मेले का हुआ शुभारंभ

इस प्रतियोगिता में बुडाह लोक नृत्य दल सैंज तथा बुडाह नृत्य दल ऊंचा टिक्कर संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रहे। इसी प्रकार द्वितीय स्थान पर पारंपरिक बुडाह लोकनृत्य दल घाटों रहा। प्रथम तथा द्वितीय स्थान पर रहे विजेताओं को श्री रेणुकाजी विकास बोर्ड द्वारा नकद पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।

नृत्य के आरंभ में गाया जाता है इतिहास

उल्लेखनीय है कि सिरमौर जिला कि सांस्कृतिक विरासत को लोक संगीत से ही जाना और समझा जा सकता है। बुडाह नृत्य जिला सिरमौर में दीवाली के पर्व पर अमावस्या से भैया दूज तक किया जाता है। इस नृत्य के आरम्भ में इसके इतिहास को भी गाया जाता है।

जिसके अनुसार बुडाह नृत्य को पाण्डवों ने श्री कृष्ण के परामर्श से आयोजित किया था। इस नृत्य के मंचन के समय ऐतिहासिक वीरगाथायें, युद्ध गाथायें व हारुलों का गायन किया जाता है। पाम्परिक नृत्य का मुख्य आकर्षण इसकी पोशाक, आभूषण, डांगरा के अलावा लोक वाद्य यंत्र जैसे बांसुरी, हुडक थाली दमामु/दमान्टु आदी हैं।

यह भी पढ़ें: सिरमौर में मचेगी अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले की धूम, 450 जवान रहेंगे तैनात; 22 नवंबर से होगा शुभारंभ

श्रीरेणुकाजी विकास बोर्ड के अध्यक्ष और उपायुक्त सिरमौर सुमित खिमटा और उनकी टीम द्वारा अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुकाजी मेले के अवसर पर इस सांस्कृतिक विरासत को संजोय इस प्रकार के लोक नृत्यों का मंचन करवाने का निर्णय अत्यंत प्रशंसनीय है। इसके मंचन से युवा पीढ़ी को अपने प्राचीन संस्कृति की झलक को करीबी से देखने का सौभाग्य मिलता है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।