ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले रहे सावधान, सीआइडी ने जारी की एडवायजरी
साइबर अपराधियों ने अब ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को भी निशाना बनाना शुरु कर दिया है इस मामले में सीआइडी ने भी एडवायजरी जारी की है।
By Babita kashyapEdited By: Updated: Mon, 26 Aug 2019 10:24 AM (IST)
शिमला, रमेश सिंगटा। महिलाएं अगर साड़ियों की ऑनलाइन शॉपिंग कर रही हों तो जरा सावधान हो जाएं। ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर कई एप जाली तरीके से तैयार की गई हैं। देश के कई राज्यों में सक्रिय ठगों ने हिमाचल में भी महिलाओं को निशाना बनाना आरंभ कर दिया है। सूत्रों के अनुसार स्टेट सीआइडी के साइबर सेल के पास दो शिकायतें दर्ज हुई हैं।
पहली शिकायत शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही छात्रा की आई है। दूसरी शिकायत निजी शिक्षण संस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही छात्रा ने दर्ज करवाई है। दोनों मामलों में जांच शुरू हो गई है। मेडिकल कॉलेज की छात्रा ने सीआइडी को बताया कि उसने साड़ी डॉट कॉमइंडिया के नाम से बनी एप को देखकर आठ हजार रुपये की साड़ी खरीदने का मन बनाया। साड़ी आई भी लेकिन यह गुणवत्ता में घटिया निकली। संबंधित एप संचालक से संपर्क साधा तो जवाब आया कि पैसा रिफंड कर देंगे। शातिर ठगों ने झांसा देकर छात्रा का बैंक खाता नंबर हासिल कर दिया। छात्रा के पैसे रिफंड तो हुए नहीं, बैंक खाते से 10 हजार रुपये उड़ा लिए गए। वहीं, इंजीनियरिंग छात्रा ने भी एप के जरिये ऑनलाइन साड़ी मंगवाई।
इसके बदले 10 हजार रुपये चुकाए। लेकिन साड़ी की बाजार में कीमत सात हजार रुपये थी। इससे उसे तीन हजार रुपये का चूना लगा। दोनों छात्राओं ने सीआइडी से मांग की है कि उनका पैसा वापस लौटाने में मदद करें। प्रारंभिक जांच में एप जाली पाई गई हैं। हालांकि अभी जांच लंबी चलेगी।
पत्रकार से भी हुई ठगी
ऑनलाइन शॉपिंग करना शिमला के एक पत्रकार को भी महंगा साबित हुआ। पत्रकार ने तीन कमीजें 1200 रुपये में खरीदीं। लेकिन वे एक बार भी पहनने लायक नहीं थीं। इनके बटन टूटे थे। संबंधित पत्रकार घटिया कमीजों के साथ शिकायत करने साइबर थाने पहुंचे। साइबर पुलिस ने भी माना कि पहली नजर में ये कमीजें घटिया स्तर की मामूल होती हैं। इस शिकायत की भी जांच हो रही है।
सीआइडी की सलाह
सीआइडी ने एडवायजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि साइबर ठगों से सचेत रहें। बिना जांचे-परखे ऑनलाइन शॉपिंग न करें। राज्य से बाहर के बैंक खातों में पैसा न जमा करवाएं। ई-मेल पासवर्ड व एटीएम पिन तीन से चार महीने में बदल दें। पासवर्ड नाम व स्थान से न रखें।
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