बेटे को दिया जन्मदिन पर बेहतर सोच का तोहफा पिता ने लिया नेत्रदान का निर्णय
पिछले 1 सप्ताह से सोच रहा था कि बेटे को जन्मदिन पर क्या तोहफा दें। तोहफा दूंगा तो वह जल्द उसे तोड़ देगा। इसलिए मन में विचार आया कि उसे विचारों का ऐसा तोहफा दूं जो वह जिंदगी भर याद रखें।
By Jagran NewsEdited By: Richa RanaUpdated: Tue, 29 Nov 2022 03:12 PM (IST)
नाहन, जागरण संवाददाता। पिछले 1 सप्ताह से सोच रहा था कि बेटे को जन्मदिन पर क्या तोहफा दें। तोहफा दूंगा, तो वह जल्द उसे तोड़ देगा। इसलिए मन में विचार आया कि उसे विचारों का ऐसा तोहफा दूं, जो वह जिंदगी भर याद रखें। इसलिए बेटे के जन्मदिन पर नेत्रदान करने का निर्णय लिया। यह बात शिलाई विधानसभा क्षेत्र की
अशयाडी टिंबी पंचायत प्रधान अनिल चौहान ने कहे। अनिल ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में दृष्टि का अपना स्थान एवं महत्व है। आंखें न सिर्फ हमें रोशनी देती हैं, बल्कि हमारे मरने के बाद भी वह किसी नेत्रहीन व्यक्ति की जिंदगी में रोशनी ला सकती हैं। टिंबी गांव के 31 वर्षीय अनिल के बाद भी अब उसकी आंखें दुनिया देख सकेंगी। साथ ही अन्य किसी जरूरतमंद व्यक्ति की आंखों में रोशनी की किरण लाएंगी।
जन्मदिन पर दिया अच्छे विचारों का ताेहफा
अनिल चौहान के 5 वर्षीय बेटे हार्दिक चौहान का 28 नवंबर को जन्मदिवस था। लिहाजा वह पिछले कई दिनों से सोच रहे थे कि बेटे को 5वें जन्मदिवस पर क्या खास तोहफा दें। लिहाजा सोच आई कि क्यों न अपने बेटे को एक नई सोच के साथ पुणित कार्य का उपहार दें। ऐसे में उन्होंने नेत्रदान करने का मन बनाया, ताकि बेटे को भी पुणित कार्य के प्रति प्रेरणा मिल सके। वर्तमान में अनिल चौहान टिंबी ग्राम पंचायत के प्रधान भी हैं। अनिल चौहान ने बताया कि बेटे को एक नई सोच व अलग उपहार देने के मकसद से वह आईजीएमसी शिमला से नेत्रदान करने के लिए फार्म लेकर आएं और सोमवार को बेटे के जन्मदिवस के अवसर पर इसकी सारी औपचारिकताएं पूरी करके स्पीड पोस्ट के माध्यम से यह फार्म आईजीएमसी शिमला के नेत्र (आई) बैंक के नाम भेज दिया है।किरण बाला ने नेत्रदान संबंधी फार्म पर हस्ताक्षर किए हैं
अनिल की धर्मपत्नी अनुराधा ने भी अपने पति के इस फैसले का स्वागत करते हुए इस संबंध में अपनी रजामंदी दी है। इस पुणित कार्य में बतौर निकटतम संबंधी के तौर पर उनकी पत्नी अनुराधा व एक अन्य गवाह किरण बाला ने नेत्रदान संबंधी फार्म पर हस्ताक्षर किए हैं। अनिल के पास दो बेटे हैं। अनिल चौहान ने कहा कि बहुत सारे लोग बिना आंखों के भी जिंदगी जी रहे हैं। इसलिए मेरे जाने के बाद भी उनकी आंखें किसी जरूरतमंद व्यक्ति के काम आएं, तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। वैसे भी नेत्रदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। अगर आप किसी को अपनी आंखें दान देते हैं, तो इससे एक नहीं, दो लोगों को रोशनी मिलती है। यानी आप दो लोगों के जीवन में खुशियों की रोशनी दे सकते हैं। यही वजह है कि बेटे के जन्मदिवस पर एक सोच व उपहार के तौर पर उन्होंने यह कदम उठाया है। इस कार्य को लेकर उनकी पत्नी ने भी मंजूरी दी हैं।
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