Himachal News: राजगढ़ में किसान के बेटे ने रचा इतिहास, बिना कोचिंग क्लियर किया सहायक कमांडेंट का एग्जाम
राजगढ़ (Himachal News) के रणदीप सिंह सरोल्टा ने संघ लोक सेवा आयोग से सहायक कमांडेंट की परीक्षा पास की है। ऐसा करने वाले वो रायगढ़ उपमंडल के पहले युवा हैं। रणदीप के पिता एक किसान है। उन्होंने इंडियन नेवी में भी विभिन्न पदों पर कार्य किया है। हालांकि सेना में अधिकारी बनने के लिए उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
जागरण संवाददाता, सिरमौर। राजगढ़ क्षेत्र के रणदीप सिंह सरोल्टा ने राष्ट्रीय स्तर की सहायक कमांडेट की परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग से उतीर्ण करके अपने माता पिता और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। राजगढ़ क्षेत्र के यह पहले ऐसे युवा है, जिन्होंने यह परीक्षा उतीर्ण की है।
इंडियन नेवी में भी दे चुके हैं सेवाएं
इससे पहले रणदीप सिंह इंडियन नेवी में विभिन्न पदों पर रहकर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सेना में अधिकारी बनने के जुनून में उन्होंने पिछले वर्ष इंडियन नेवी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। बता दें कि सहायक कमांडेंट बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली लिखित और शारीरिक परीक्षा से गुजरना पड़ता है। इन परीक्षाओं से गुजरने के उपरांत युवक को संघ के बोर्ड के समक्ष अपनी प्रतिभा दिखानी होती है।
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पिता करते हैं खेती-बाड़ी
रणदीप सिंह सरोल्टा का जन्म वर्ष 1989 में राजगढ़ के समीप डोहर गांव में हुआ था। साधारण परिवार में जन्में इस युवा ने सेना में ऑफिसर बनकर अपने माता पिता के सपनों को साकार बनाया है। इनके पिता जगदीश चंद सरोल्टा एक साधारण किसान है और माता निर्मला देवी एक सफल गृहिणी है। इनकी पत्नी प्रतिभा चौहान पंजाब नेशनल बैंक सोलन में सेवारत है। यह एक डेढ वर्षीय बेटी के पिता भी हैं।
बता दें कि रणदीप सिंह ने पांचवी तक की पढ़ाई अपने पैतृक गांव से ही की। उसके बाद उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय नाहन से 12वीं की परीक्षा पास की। पढ़ाई में शुरू से ही होनहार होने के कारण रणदीप सिंह इंडियन नेवी में भर्ती हो गए। इंडियन नेवी में अपनी सेवा देते हुए उन्होंने अंग्रेजी और लोक प्रशासन विषय में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा पत्रकारिता एवं जनसंचार विषय में स्नातक डिप्लोमा (बीजेएमसी) किया है।
बिना कोचिंग पास की परीक्षा
रणदीप सिंह सरोल्टा ने बातचीत में बताया कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के राष्ट्रीय स्तर की यह कठिन परीक्षा पास की है। उन्होंने कहा कि बचपन से ही उन्हें सेना की वर्दी पहनने का शौक था। इंडियन नेवी में चयनित होने के बाद उनका यह सपना पूरा हो गया। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद रणदीप ने सहायक कमांडेट बनने के लिए मेहनत की और अब उनका सेना अधिकारी बनने का सपना भी पूरा हो गया है।
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