हिमाचल: शौर्य चक्र विजेता स्व. बहादुर सिंह की पत्नी का निधन, ड्यूटी के प्रति अदम्य निष्ठा के लिए राष्ट्रपति ने दिया था सम्मान
हिमाचल प्रदेश में शौर्य चक्र विजेता स्वर्गीय बहादुर सिंह की पत्नी का निधन हो गया। बहादुर सिंह को उनकी ड्यूटी के प्रति अटूट निष्ठा के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है, और उन्हें उनके पति के बलिदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

पति की बहादुरी के लिए राष्ट्रपति शौर्य चक्र प्राप्त करतीं संदला देवी का फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नाहन। हिमाचल प्रदेश में जिला सिरमौर के श्रीरेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र ने एक ऐसी वीरांगना को खो दिया, जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अपने पति की विरासत को सम्मान के साथ संभाला।
शौर्य चक्र से सम्मानित डाक विभाग के स्वर्गीय बहादुर सिंह की धर्मपत्नी संदला देवी का सोमवार को गांव सांगना में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 75 साल की थीं। उनके निधन से समूचे संगड़ाह क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
ड्यूटी के प्रति दिखाई थी अदम्य निष्ठा
बता दें कि स्वर्गीय बहादुर सिंह भारतीय डाक विभाग में पोस्टमैन के पद पर नालागढ़ में कार्यरत थे। उन्होंने अपनी ड्यूटी के प्रति जो अदम्य निष्ठा दिखाई, वह इतिहास में दर्ज है। एक दिन जब वह 9 लाख का सरकारी कैश बैंक में जमा करवाने जा रहे थे, तब कुछ अज्ञात लुटेरों ने उनसे पैसा लूटने के इरादे से गोली चला दी।
प्राण निकलने पर ही छूटा था कैश से भरा सूटकेस
अपनी जान की परवाह किए बिना बहादुर सिंह ने सरकारी पैसे से भरा हुआ सूटकेस नहीं छोड़ा। लुटेरे उन्हें गोली मारने के बावजूद करीब 70 मीटर तक घसीटते रहे। अंत में लुटेरों ने उनके सीने में गोली मारी। लुटेरे तब पैसे लेने में कामयाब हुए, जब उनके प्राण निकल गए। उनकी इस असाधारण बहादुरी और सर्वोच्च कर्तव्यनिष्ठा को देश ने नमन किया।
राष्ट्रपति ने किया था संदला देवी को सम्मानित
स्वर्गीय डाक कर्मी बहादुर सिंह की ईमानदारी और बहादुरी को ध्यान में रखते हुए देश के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पहले उनकी पत्नी संदला देवी को साल 2004 में मेघदूत पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके उपरांत उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों में से एक 'शौर्य चक्र' से भी सम्मानित किया गया।
मरणोपरांत यह सम्मान उनकी बहादुरी का गवाह
शौर्य चक्र सम्मान भारतीय नागरिकों (सिविलियन) के लिए साहस की एक दुर्लभ और असाधारण मिसाल है। यह पुरस्कार सेना के कर्मियों के साथ-साथ नागरिकों को भी दिया जाता है, लेकिन एक डाक कर्मी को मरणोपरांत यह सम्मान मिलना उनकी बहादुरी का गवाह है। संदला देवी ने अपने पति के बलिदान के बाद उनके चार बेटों को पाला और उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित किया।
एक बेटा सेना में सेवारत
जिला भाजपा प्रवक्ता प्रताप सिंह रावत के अनुसार रिश्ते में उनकी चाची संदला देवी के बेटे जगपाल सिंह भारतीय डाक विभाग में पोस्टल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं, जबकि अमृत सिंह भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी देश सेवा की इस महान परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके तीसरे बेटे जगदीश कुमार सरकारी ठेकेदार हैं, जबकि सबसे बड़े पुत्र दलीप सिंह अग्रणी किसान हैं।
उनके निधन की खबर सुनते ही राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों के कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनके आवास पर पहुंचकर शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी।

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