कालका-शिमला हाईवे पर सफर जरा संभलकर, जगह-जगह पहाड़ों से दरक रहा मलबा Solan News
कालका से शिमला वादियों की सैर का फैसला जरा सोच समझ कर लें। इन दिनों मानसून प्रदेश में दाखिल हो चुका है और सड़कों पर सफर बेहद खतरनाक बना हुआ है।
सोलन, जेएनएन। कालका से शिमला वादियों की सैर का फैसला जरा सोच समझ कर लें। इन दिनों मानसून प्रदेश में दाखिल हो चुका है और सड़कों पर सफर बेहद खतरनाक बना हुआ है। प्रदेश में कोटरोपी जैसे हादसों के बाद से कटे और टूटे पहाड़ों को देखकर सैलानी दंग रह जाते हैं। ऐसा ही नजारा इन दिनों परवाणू से सोलन तक देखा जा रहा है। यहां पहाड़ों को बुरी तरह छलनी किया गया है। गौर हो कि इन दिनों यहां फोरलेन निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है, जिस कारण अब यह पहाड़ लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। हल्की सी अनदेखी किसी भी वाहन चालक को महंगी पड़ सकती है। इस मार्ग पर सफर करते समय परवाणू से सोलन तक हर कदम पर खतरनाक नजारा बना हुआ है। पहाड़ों से कभी पत्थर सड़क पर गिर रहे हैं तो कभी ढेर सारा मलबा नीचे उतर कर आ रहा है। वहीं दूसरी लेन में भी सड़क के धंसने का दौर जारी है। ऐसे में वाहन चालकों के लिए यहां चलना खतरे से खाली नहीं है।
जाबली से कुम्मारहट्टी तक अधिक खतरा
चंडीगढ से शिमला की तरफ चलते वक्त जाबली से कुम्मारहटटी तक का सफर बेहर खतरनाक बना हुआ है। यहां पहाड़ों की कटिंग 90 डिग्री तक कर दी गई है। 300 फीट ऊंचे पहाड़ हैं लेकिन उनको मात्र पांच से दस फीट तक ही आरसीसी वॉल से कवर किया गया है। इस कारण पहाड़ों पर काफी मात्रा में मलबा और चट्टाने लटकी हुई हैं। कई स्थानों पर पेड़ हवा में लटके हुए हैं। तेज बारिश के दौरान और धूप निकलने पर कभी भी वह वाहनों को अपनी चपेट में ले सकते हैं।
हो चुके हैं हादसे
पिछले करीब तीन वर्ष से फोरलेन निर्माण का कार्य जारी है। ऐसा नहीं है कि यह हालात इस वर्ष ही पैदा हुए हैं। सड़क पर अचानक मलबा आना और चटटाने गिर जाना आम बात हो गई है। अब तक ऐसे कई हादसे हो चुके हैं जिनमें कई लोगों की जान तक चली गई है।