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Himachal News: तीन साल भी नगर निगम की सत्ता नहीं संभाल पाई कांग्रेस, महापौर ऊषा शर्मा की सदस्यता को दिया अयोग्य करार

सोलन नगर निगम में पार्टी व्हिप के उल्लंघन पर कांग्रेस समर्थित महापौर ऊषा शर्मा और पार्षद व पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर को पार्षद की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया है। सोलन नगर निगम स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. धनीराम शांडिल के विस क्षेत्र में आता है लेकिन वह यहां पर अपने नौ कांग्रेस पार्षदों के कुनबे को भी नहीं संभाल पाए।

By manmohan vashisht Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 12 Jun 2024 08:13 PM (IST)
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Himachal News: तीन साल भी नगर निगम की सत्ता नहीं संभाल पाई कांग्रेस
मनमोहन वशिष्ठ,  सोलन। पहली बार नगर निगम बने सोलन में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सत्ता को कांग्रेस तीन साल भी नहीं संभाल पाई। सोलन नगर निगम में पार्टी व्हिप के उल्लंघन पर कांग्रेस समर्थित महापौर ऊषा शर्मा और पार्षद व पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर को पार्षद की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया है।

सोलन नगर निगम स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. धनीराम शांडिल के विस क्षेत्र में आता है, लेकिन वह यहां पर अपने नौ कांग्रेस पार्षदों के कुनबे को भी नहीं संभाल पाए। कांग्रेस की आपसी फूट का सबसे ज्यादा लाभ भाजपा को मिला है।

पहले कांग्रेस समर्थित पार्षदों की फूट के चलते बहुमत में न होते हुए भी भाजपा उपमहापौर के पद को कब्जाने में सफल रही, अब दो कांग्रेस पार्षदों के अयोग्य करार होने के बाद 15 पार्षदों के हाउस में भाजपा बहुमत के आंकड़े में आ गई है। इससे दोनों हॉट सीटों पर भाजपा अपनी दावेदारी मजबूती से दिखाएगी।

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कांग्रेस बहुमत के बावजूद भी आपसी फूट में उलझी

17 सदस्यीय सोलन नगर निगम में चुनाव के बाद कांग्रेस समर्थित नौ पार्षदों, भाजपा समर्थित सात पार्षदों जबकि एक निर्दलीय पार्षद ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के नौ पार्षदों में से पूनम ग्रोव को महापौर जबकि राजीव कौड़ा को ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर उपमहापौर बनाया गया था। ढाई साल खत्म होने से पहले ही कांग्रेस समर्थित पार्षदों में आपसी मतभेद शुरू हो गए थे।

उसके बाद विस चुनाव से पहले सोलन में प्रियंका गांधी की रैली से पहले कांग्रेस के चार पार्षदों ने भाजपा के पार्षदों के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी के महापौर पूनम ग्रोवर व उपमहापौर राजीव कौड़ा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव उपायुक्त को सौंपा था।

उसके बाद बहुमत साबित होने से पहले ही महापौर व उपमहापौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद कांग्रेस के दोनों गुटों में खटास ज्यादा बढ़ गई। पूनम ग्रोवर व ऊषा शर्मा ने डॉ. शांडिल से कई बार हस्तक्षेप करने की मांग की, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

कांग्रेस की फूट में भाजपा को मिला लाभ

महापौर व उपमहापौर पदों के लिए कांग्रेस के नाराज गुट को मनाने के लिए कई दिनों तक मंत्रियों व विधायकों की बैठकों का दौर चला, लेकिन बात नहीं बनीं। चार दिसंबर 2023 को नए महापौर व उपमहापौर के लिए बैठक रखी, लेकिन उसमें कोई नहीं आए।

सात दिसंबर को दूसरी बैठक में विधायक व मंत्री डाॅ. धनीराम शांडिल अपने साथ पांच पार्षदों को लेकर पहुंचे। नाराज गुट के चार पार्षद अलग आए।

भाजपा समर्थित सात व एक निर्दलीय पार्षद के साथ बैठक में आए। महापौर के चुनाव के लिए नाराज गुट ने ऊषा शर्मा को उतारा जबकि भाजपा ने उपमहापौर के लिए मीरा आनंद को आगे किया।

कांग्रेस ने सरदार सिंह ठाकुर को महापौर जबकि संगीता को उपमहापौर के पद को चुनाव में उतारा, लेकिन बहुमत के बावजूद विधायक की अगुवाई वाली कांग्रेस का धड़ा जीत से बडे अंत से चूक गया। भाजपा ने कांग्रेस की फूट का लाभ उठाकर उपमहापौर का पद झटक लिया।

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