Himachal Pradesh News: बायोजेनेटिक ड्रग कंपनी पर पंजाब की नारकोटिक्स टीम ने की छापेमारी, 1.98 करोड़ एल्प्राजोलम गोलियां सीज
हिमाचल के बद्दी में पहुंची पंजाब की नारकोटिक्स एसटीएफ को बड़ी लापरवाही सामने दिखाई दी। दरअसल एल्प्राजोलम नशीली दवा की कंपनी ने एक साल में 60 करोड़ गोलियां बनाई गई। इसके चलते पंजाब की नारकोटिक्स टीम ने छापेमारी की थी। झाड़माजरी स्थित बायोजेनेटिक ड्रग उद्योग में पंजाब की टीम 33 घंटे की जांच के बाद बैरंग लौट आई है। साथ ही 40 कुलो एल्प्राजोलम पाउडर को भी जब्त किया है।
सुनील शर्मा, बीबीएन (सोलन)। नशा सौदागरों की जड़ें तलाशनें हिमाचल के बद्दी पहुंची पंजाब की नारकोटिक्स व एसटीएफ टीम की छापेमारी पूरी हो चुकी है। सोमवार को 33 घंटे फैक्ट्री में जांच के बाद टीम वापस पंजाब लौट गई है। टीम ने लगातार एक ही मालिक के सहयोगी उद्योग बायोजेनेटिक्स ड्रग लिमिटेड से 1.98 करोड़ एल्प्राजोलम की गोलियों को सीज किया है। इसके साथ ही 40 किलो एल्प्राजोलम पाउडर भी जब्त कर लिया गया है, जिससे लगभग आठ करोड़ गोलियां बनाई जानी थी।
पंजाब की टीम ने खुलासा किया है कि बायोजेनेटिक्स ड्रग उद्योग ने विगत मई माह से अब तक लगभग 60 करोड़ एल्प्राजोलम की गोलियां तैयार की हैं और देश के कोने कोने में भेजी हैं। जांच ने यह भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर इन दवाओं की इतनी खपत कहां की जा रही है। बता दें कि पंजाब की टीम मोहाली में दर्ज एनडी एंड पीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले के तार जोड़ते हुए हिमाचल पहुंची थी और अब नारकोटिक्स की टीम ने बद्दी के दो उद्योगों से नशीली दवाओं की बड़ी खेप पकड़ने में सफलता मिली है।
दवा एजेंसियों के नाम पर चल रहे कार बाजार
नारकोटिक्स की टीम ने जांच में पाया कि बद्दी के स्माइलैक्स समूह में निर्मित दवाओं को देशभर में सप्लाई करने के लिए छह कंपनियों के साथ समझौता किया है। इनमें से सहारनपुर स्थित श्रीश्याम कंपनी के कार्यालय पर जब दबिश दी गई तो वहां दवा एजेंसी के नाम पर कार बाजार चल रहा था, जबकि किसी भी तरह का कोई भी गोदाम या दवाएं वहां नहीं मिली। वहीं इसी तरह की एजेंसियां लखनऊ और कानपुर में भी दर्शायी गई हैं। उन स्थानों पर भी जल्द दबिश होगी।एसओपी को पूरी तरह से नकारा
एनसीबी की जांच में यह भी पता चला है कि राज्य दवा नियंत्रक कार्यालय द्वारा नारकोटिक्स ड्रग को बेचने के लिए बनाई गई एसओपी की भी पूरी तरह अनदेखी की गई है। प्रतिबंधित या चिकित्सक की सलाह पर दी जाने वाली दवाओं को बनाने व बेचने के लिए नियमों में काफी सख्ती की गई है। दवा उत्पादन के दौरान एपीआई से लेकर ग्राहक को देने तक पूरा रिकार्ड उद्योग को रखना होता है।
इसके साथ ही जिस राज्य में या जिला में यह दवाई भेजी जाती है उस राज्य या जिला के ड्रग कंट्रोलर, ड्रग इंस्पेक्टर व पुलिस विभाग के अधिकारी को सूचित करना जरूरी होता है, ताकि इनके दुरुपयोग न हो सके। इसके साथ ही उद्योग से जब इस स्टॉक की कंसाइनमेंट किसी संबंधित एजेंसी को भेजी जाती है तो कंसाइनमेंट पहुंचने के बाद उपरोक्त एजेंसी उद्योग को वापस इसकी जानकारी लिखित में देती है। इस तरह के नियमों की अनुपालना उद्योग द्वारा नहीं की गई है।
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