Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

भारत के बजाय अफ्रीकन देशों में प्रयोग होगी R21 मलेरिया वैक्सीन, सीडीएल कसौली ने परीक्षण में किया पास

R21 malaria vaccine भारत में इसके इस्तेमाल के लिए पहले यह ट्रायल जरूरी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute) ऑफ इंडिया द्वारा नोवावैक्स की सहायक तकनीक का लाभ उठाते हुए निर्मित और उन्नत आर21/मैट्रिक्स-एम™ मलेरिया वैक्सीन को घाना के खाद्य व औषधि प्राधिकरण की ओर से देश में उपयोग के लिए लाइसेंस दिया गया है।

By manmohan vashishtEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 05 Jul 2023 05:30 AM (IST)
Hero Image
अफ्रीकन देशों में प्रयोग होगी R21 मलेरिया वैक्सीन।

संवाद सहयोगी, सोलन: मलेरिया के उपचार के लिए निर्यात की जाने वाली वैक्सीन परीक्षण में पास हो गई है। केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) कसौली में इस वैक्सीन के बैच परीक्षण के लिए आए थे।

सीडीएल में वैक्सीन के गहन परीक्षण के बाद गुणवत्ता में सही पाए जाने पर इन बैच को पास किया गया है। सीडीएल ने वैक्सीन के बैच पास कर इसे निर्मित करने वाले संस्थान को भेज दिए हैं। सीडीएल के अधिकारियों के अनुसार यह वैक्सीन भारत में इस्तेमाल के बजाय विदेशों में प्रयोग के लिए निर्यात होगी।

सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) की ओर से निर्मित आर21/मैट्रिक्स-एम मलेरिया वैक्सीन के बैच परीक्षण के लिए तीन माह पूर्व सीडीएल कसौली पहुंचे थे।

उसके बाद तीन माह तक परीक्षणों के कई दौर से गुजरने के बाद ये सही पाए गए हैं। इस टीके को पांच से 36 माह की आयु के बच्चों में उपयोग के लिए स्वीकृति मिली है, क्योंकि यह आयु वर्ग में मलेरिया से मृत्यु का बड़ा खतरा रहता है।

(फोटो- सीडीएल कसौली)

भारत में नहीं हुआ क्लीनिकल ट्रायल

सीरम इंस्टीट्यूट को इस वैक्सीन के निर्माण के लिए निर्यात करने की अनुमति है न कि भारतीय बाजार में इस्तेमाल के लिए। सीडीएल सूत्रों के अनुसार इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल विदेश में ही हुए, जबकि भारत में इसके क्लीनिकल ट्रायल नहीं हुए हैं।

देश में इस्तेमाल से पहले ट्रायल जरूरी

भारत में इसके इस्तेमाल के लिए पहले यह ट्रायल जरूरी है। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा नोवावैक्स की सहायक तकनीक का लाभ उठाते हुए निर्मित और उन्नत आर21/मैट्रिक्स-एम™ मलेरिया वैक्सीन को घाना के खाद्य व औषधि प्राधिकरण की ओर से देश में उपयोग के लिए लाइसेंस दिया गया है।

सीडीएल कसौली के निदेशक सुशील साहू कहते हैं कि-

सीरम इंस्टीट्यूट की निर्मित आर21 मलेरिया वैक्सीन के बैच सीडीएल से पास हो गए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट को निर्यात के लिए इसकी अनुमति है। भारत के बजाये यह वैक्सीन अफ्रीकन देशों में इस्तेमाल के लिए है।