Solan News: केंद्रीय योजना की मदद से लिखी उद्यम की सफल गाथा, महिला ने बद्दी में स्थापित किया साइनेज उद्योग
प्रदेशभर व पड़ोसी राज्यों में सड़क किनारे लगे साइन बोर्ड कंचन देवी की सफलता भी दर्शा रहे हैं। अल्टीमेट साइनेज इंडस्ट्री बद्दी की मालिक कंचन का जीवन कभी घर-परिवार तक ही सीमित था। अब उनकी कंपनी का टर्नओवर एक करोड़ रुपये है।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Mon, 23 Jan 2023 05:50 PM (IST)
सोलन, भूपेंद्र ठाकुर : प्रदेशभर व पड़ोसी राज्यों में सड़क किनारे लगे साइन बोर्ड कंचन देवी की सफलता भी दर्शा रहे हैं। अल्टीमेट साइनेज इंडस्ट्री बद्दी की मालिक कंचन का जीवन कभी घर-परिवार तक ही सीमित था। लेकिन अब उनकी कंपनी का टर्नओवर एक करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि, यहां तक पहुंचने में कंचन देवी ने लंबा रास्ता तय किया है। पति के सहयोग ने भी इस सफर को कुछ हद तक आसान बना दिया है।
दस लोगों भी रोजगार भी दे रहीं है कंचन
मूलत: बिलासपुर जिला की रहने वाली कंचन ने वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपये ऋण लेकर बद्दी में अपना बिजनेस स्थापित किया था। मात्र चार सालों में कंचन ने ऋण भी चुका दिया है। इस बिजनेस के माध्यम से वह 10 लोगों को रोजगार भी दे रहीं हैं। वर्तमान में इनकी कंपनी हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर में भी काम कर रही है।
इनके पास ज्यादातर कार्य सरकारी विभागों का रहता है, जिनमें प्रमुख रूप से साइन बोर्ड, एल्यूमीनियम 3डी चैनल, स्टेनलेस स्टील ब्रश, एक्रेलिक लेटर, होर्डिंग आदि बनाने का काम शामिल है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) बिलासपुर का बोर्ड व उस पर एक्रेलिक लेटर वर्क भी कंचन की कंपनी ने ही किया है।
10 दिन लिया था प्रशिक्षण
मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखने वाली कंचन का बिलासपुर के धार टटोह के निवासी पवन कुमार से 2007 में विवाह हुआ था। 39 वर्षीय कंचन के मन में बचपन से ही कुछ नया करने की तमन्ना थी। पवन बद्दी में किसी साइनेज उद्योग में काम करते थे। कंचन पति के साथ बद्दी आई तो 2019 में यूको बैंक आरसेटी से उद्यामिता का 10 दिन का प्रशिक्षण लिया। इस प्रशिक्षण से प्रेरित होकर कंचन ने अपना उद्योग स्थापित किया। कुछ वर्षों में वह एक सफल उद्यमी के रूप में सामने आई हैं।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना बनी वरदान
कंचन देवी ने बताया कि उनको किसी भी प्रकार के बिजनेस का कोई अनुभव नहीं था। वह शुरुआती दौर में काफी परेशानी भी हुई थी। स्वरोजगार शुरू करने में बैंक की बड़ी भूमिका रहती है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना वरदान बनी। 2020-21 में जब कोरोना के दौरान आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा तो सरकार ने उद्योगों के लिए टॉप प्लान दिया था, जिसके तहत बैंक से बिना ब्याज करीब 4.50 लाख रुपये एक वर्ष के लिए मिले। इनसे काम चलाने में काफी सहायता मिली।दृढ़ इच्छाशक्ति से बाधा नहीं बना कम किताबी ज्ञान
बिलासपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कंदरौर से 12वीं कक्षा तक पढ़ी कंचन ने कभी छोटी-मोटी नौकरी करने का प्रयास नहीं किया। उनका बचपन से ही सपना था कि वह अपना व्यवसाय करेंगी। इच्छाशक्ति इतनी दृढ़ थी कि कभी किताबी ज्ञान बाधा नहीं बना। पति की नौकरी से तो इतना पैसा भी नहीं मिलता था कि परिवार का पालन पोषण अच्छे से हो सके। अब कंपनी के कार्यों में पति का सहयोग लेती हैं। फायनांस और मार्केटिंग से संबंधित सभी कार्य स्वयं संभाल रही हैं। कंचन देवी घरेलू महिला होने के साथ आज एक सफल उद्यमी भी हैं। कंचन का कहना है कि व्यवसाय में उनका कोई गुरु नहीं है। समय और अनुभव सबसे बड़े मार्गदर्शक रहे हैं।
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