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Himachal News: घंटों तक जाम से जूझते रहे मां चिंतपूर्णी के भक्त, प्रशासन के ट्रैफिक प्लान की पोल खुली

सावन अष्टमी मेले के अवसर पर मां चिंतपूर्णी के दर्शन करने आए भक्तों को घंटो तक जाम में जूझना पड़ा। सावन अष्टमी मेले से पहले दुरुस्त प्लान न होने से यातायात व्यवस्था बिगड़ती रही। होशियारपुर-चिंतपूर्णी मार्ग पर भक्तों का सैलाब उमड़ा तो ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गई। ये मंजर पुलिस वालों के लिए भी असहज करने वाली थी।

By Neeraj Kumari Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 14 Aug 2024 11:42 AM (IST)
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सावन अष्टमी मेले के अवसर पर मां चिंतपूर्णी के दरबार में लगा मेला (फाइल फोटो)
जागरण टीम, चिंतपूर्णी। श्री चिंतपूर्णी मंदिर में वर्ष के सबसे बड़े आयोजन सावन अष्टमी मेले के लिए किए गए प्रशासनिक दावे धरातल पर यथार्थ में नहीं बदल पाए।

सबसे बड़ी नाकामी ट्रैफिक प्लान की रही, जिसके कारण मां चिंतपूर्णी के दरबार में उपस्थिति दर्ज करवाने आए भक्तों को घंटों तक जाम में फंसना पड़ा और यह सिलसिला मंगलवार को भी देखा गया।

भीड़ का अंदाजा नहीं लगा पाया प्रशासन

कोरोना काल के बाद इस आयोजन के दो वर्ष तक लगी रही बंदिशों और गत वर्ष पंजाब के 12 जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति बनने से भक्तों की संख्या इस अवधि में अपेक्षा से कम रही थी। ऐसे में प्रशासन संभावित भीड़ का अंदाजा नहीं लगा पाया।

मेले से पहले पर्याप्त होमवर्क नहीं किया गया और जो व्यवस्था गत चार वर्षों से चल रही थी वही इस बार मेले में करने पर सहमति बनी।

पहले पांच दिन तक भीड़ का दबाव कम रहा, लेकिन जब भक्तों का सैलाब होशियारपुर-चिंतपूर्णी मार्ग पर उमड़ा तो यातायात व्यवस्था लड़खड़ा गई। फील्ड में डटे यातायात पुलिसकर्मियों के लिए यह स्थिति असहज करने वाली थी।

भरवाईं-मोईन बाईपास मार्ग का नहीं हुआ प्रयोग

कुछ वर्ष पहले वाहनों की भीड़ बढ़ने पर चिंतपूर्णी-भरवाईं मुख्य मार्ग को वनवे कर दिया जाता था। वापसी पर वाहनों को मोईन बाईपास से भरवाई चौक तक भेजा जाता था। इससे यातायात व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने में सहायता मिलती थी।

साथ ही गंगोट पंचायत में सड़क के किनारे खाली पड़े खेतों को पार्किंग के रूप में प्रयोग किया जाता था। इस निजी पार्किंग से स्थानीय लोगों को लाभ मिलता था और हजारों दोपहिया व चौपहिया वाहन खड़े हो जाते थे। इस बार वाहनों की संख्या अधिक होने पर छोटे वाहनों को भी भरवाईं में रोक दिया।

भरवाईं में हैवी पार्किंग के अलावा वाहनों को खड़ा करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। ऐसे में भक्तों ने वाहनों को भरवाईं व आसपास के क्षेत्रों में सड़क के किनारे खड़ा कर दिया। इससे जाम की स्थिति निरंतर बनती रही।

मंदिर के पूर्व न्यासी ने कही ये बात

पूर्व मंदिर न्यासी संजीव शर्मा ने कहा कि भक्तों को भरवाईं से चिंतपूर्णी तक पहुंचने के लिए पैदल आना पड़ा और उसके बाद घंटों तक मां के दर्शन के लिए कतारों में लगना पड़ा। यदि पहले की तरह ट्रैफिक प्लान तैयार किया होता तो ढलियारा से मुबारिकपुर तक जाम की स्थिति न बनती।

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वैकल्पिक मार्गों से भी सुधारी जा सकती है यातायात व्यवस्था

बणे दी हट्टी से वाया अमलैहड़-धलवाड़ी मार्ग से चिंतपूर्णी के सावन अष्टमी मेले में मुख्य सड़क से दबाव कम हो सकता है, लेकिन कई वर्षों से इस मार्ग का निर्माण कार्य अधूरा है। भद्रकाली व बधमाणा से भी ट्रैफिक रूट प्लान तैयार किया जा सकता है।

किन्नू से रेही वाया डूहल भटवालां संपर्क मार्ग भी बेहतर वैकल्पिक मार्ग सिद्ध हो सकता है। अलोह से मिरगू वाया राड़ा पैड़ा मार्ग से भी यातायात संचालित किया जा सकता है, लेकिन अभी तक इस सड़क की हालत नहीं सुधरी है। धलवाड़ी बाईपास से जवाल गांव के मार्ग को जोड़ा जाए तो शीतला मंदिर मार्ग पर यातायात व्यवस्थित हो सकता है।

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