Lumpy Virus: बरसात शुरू होते ही हिमाचल में लंपी वायरस ने दोबारा दी दस्तक, बचाव के लिए गाईडलाईन जारी
Himachal Lumpy Virus बरसात का मौसम शुरू होते ही लंपी वायरस ने पांव पसारना शुरू कर दिया है। राज्य सरकार व पशुपालन विभााग ने सभी जिलों के अस्पतालों को इस बीमारी से निपटने के लिए गाईडलाईन जारी की है। लंपी वायरस को लेकर वरिष्ठ चिकित्सक डा अमित शमा से दैनिक जागरण ने इस बीमारी के लक्षण और इसके बचाव के उपायों पर विस्तृत बातचीत की।
By satish chandanEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Wed, 19 Jul 2023 03:35 PM (IST)
ऊना, जागरण संवाददाता: देवभूमि हिमाचल राज्य में बरसात का मौसम शुरू होते ही लंपी वायरस ने पांव पसारना शुरू कर दिया है। राज्य के कई जिलों में इस बीमारी की चपेट में कई पशु आ गए हैं। राज्य सरकार व पशुपालन विभााग ने सभी जिलों के अस्पतालों को इस बीमारी से निपटने के लिए गाईडलाईन जारी की है।
विभाग ने पशुपालकों को जरूरी दिशा निर्देश देने व वैक्सीनेशन का दूसरा फेस शुरू करने के लिए दवादयों की खेप भेज दी है। पशुओं को लंपी वायरस से बचाने के लिए वशुपालन विभाग ने युद्धस्तर पर कार्य शुरू कर दिया है। वहीं राहत की बात है कि ऊना जिला में अभी तक ऐसा कोई मामला नहीं आया है।
लंपी वायरस को लेकर नगर परिषद मैहतपुर बसदेहडा पशु अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा अमित शमा से दैनिक जागरण ने इस बीमारी के लक्षण और इसके बचाव के उपायों पर विस्तृत बातचीत की। डा अमित शमा ने कहा कि लंपी वायरस जानलेवा बीमारी नहीं है। इस बीमारी का समय रहते व उचित उपचार करवाकर पशु स्वस्थ हो जाता है।
पशुपालकों को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना होगा। इसके अलावा पशु में इस बीमारी के लक्षण नजर आने पर पीडित को समीपवर्ती पशु चिकित्सालय में उपचार करवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऊना जिला में वैक्सीनेशन का शत प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है।
1 प्रश्न=लंपी वायरस क्या है और इस बीमारी से पीडित पशुओं में क्या लक्ष्ण हैं। जिससे इसकी पहचान हो सके।
उतर: लंपी वायरस एक कोरोना की तरह संक्रमण से होने वाली बीमारी है। जो एक पशु से दूृसरे पशु में फैलती है। लंपी वायरस से पीडित पशु के शरीर पर फफोले होने के साथ-साथ तेज बुखार हो जाता है। पशु सुस्त रहने लगता है, खान पान में कमी और मूंह से लार निकलना लंपी वायरस के लक्षण हैं।
2-प्रश्न: लंपी वायरस का असर कितने दिन रहता है और इसके बचाव के क्या उपाय हैं।उतर: लंपी वायरस का पशु में पांच से सात दिन तक असर रहता है। पीडित पशु का उचित उपचार होने से पशु एक सप्ताह में ठीक हो जाता है। लंपी वायरस से पीडित पशु का टीकाकरण करवाने के साथ-साथ चिकित्सक द्वारा दिए गए जरूरी दिशा निर्देशों की पालना करना होगी।3-प्रश्न: लंपी वायरस की चपेट में कोन कोन से पशु आते हैं।
उतर:अधिकतर मामलों में गोवंश लंपी वायरस की चपेट में आकर संक्रमित होता है। जबकि भैंस व अन्य पशुओं में इस बीमारी के लक्षण नामात्र पाए गए हैं।4-प्रश्न: लंपी वायरस से पीडित पशु के पालकों को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।उतर: लंपी वायरस से पीडित पशु को वैक्सीन लगवाने के साथ-साथ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखपा चाहिए। पशु के वाडे की समय-समय पर पूरी तरह से साफ सफाई करनी चाहिए। इसके अलावा कीटपाशक दवाओं का भी छिडकाव करना चाहिए। जिससे बरसात के मौसम में पनपने वाले कीटो से पशुओं की रक्षा हो सके
5-प्रश्न: लंपी वायरस कैसे फैलता है।उतर: लंपी वायरस एक संक्रमित बीमारी है। जो एक पशु से दूसरे पशु में फैलती जाती है। लंपी वायरस खून चूसने वाली मक्खी के कारण होता है। जो पशु की तवचा के साथ चिपक जाती है और संक्रमण फैला देती है। जिससे दूसरे पशु वायरस की चपेट में आ जाते हैं।6-प्रश्न: लंपी वायरस से ग्रस्त पशु का दूध पीना क्या सेहत के लिए हानिकारक है।
उतर: लंपी वायरस से ग्रस्त पशु का दूध पीना कतई हानिकारक नहीं है। इसके लिए दूध को अच्छी तरह से उवालकर पीने से कोई हानि नहीं होती है। समाज में इस बारे गलत धारणा फैलाई गई है कि बीमार पशु का दूध नहीं पीना चाहिए।7-प्रश्न: पिछले वर्ष इस बीमारी के काफी मामले आए थे और ठीक हो चुके पशुओं पर क्या प्रभाव पडा है।उतर: लंपी वायरस के पिछले वर्ष पहले फेस में काफी मामले सामने आए थे। जिनमें से अधिकतर सही उपचार होने के बाद ठीक हो गए थे। पिछले वर्ष इस बीमारी से ठीक हुए पशुओं में अव देखने में आया है कि उनकी गर्भधारण करने की क्षमता कम हुई है। वहीं गर्भधारण किए पशुओं की उचित देखभाल की जरूरत है। पशु को दूध में हल्दी मिलाकर पाने से फायदा होता है।
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