धार क्षेत्र के लिए वर्षों पहले देखा सपना आज तक अधूरा, 11 पंचायतों के कई गांव मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पाए
धार की 11 पंचायतों के कई गांव आज भी विकास की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पाए हैं। इसका कारण सड़क व परिवहन सुविधा का अभाव भी है। यदि योजनाबद्ध तरीके से इन गांवों की सुध ली होती तो निश्चित तौर पर ग्रामीणों का जीवन आसान हो जाता। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इस क्षेत्र के लिए पर्याप्त योजनाओं को धरातल पर आकार देने में कंजूसी बरती गई।
संवाद सहयोगी, चिंतपूर्णी। चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के धार क्षेत्र की 11 पंचायतों के कई गांव आज भी विकास की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पाए हैं। इसका कारण सड़क व परिवहन सुविधा का अभाव भी है। यदि योजनाबद्ध तरीके से इन गांवों की सुध ली होती तो निश्चित तौर पर ग्रामीणों का जीवन आसान हो जाता। विडंबना यही रही कि राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इस क्षेत्र के लिए पर्याप्त योजनाओं को धरातल पर आकार देने में कंजूसी बरती गई। पिछड़ी बस्तियों के उत्थान के लिए चुनावी आश्वासनों व वादों से बात आगे नहीं बढ़ पाई।
इन पंचायतों की दूरदराज की बस्तियों के लिए घंगरेट से किन्नू तक बाईपास मार्ग वरदान साबित हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि इसके लिए कार्ययोजना कौन तैयार करेगा। इस मार्ग का 1992 में सर्वेक्षण हुआ था, लेकिन वन भूमि अधिक होने से उस समय योजना धरातल पर नहीं उतरी।
घंगरेट से किन्नू तक 11 पंचायतें हैं
घंगरेट से किन्नू तक 11 पंचायतें हैं। इनकी आबादी 16 हजार से अधिक है। खरोह, गिंडपुर मलौण, घंगरेट, भटेहड़, धर्मसाल महंता, जवाल, धर्मसाल मंहता खास, बधमाणा, डूहल भटवालां, डूहल बंगवाला व लोहरा अप्पर पंचायत की बस्तियों में पहुंचने के लिए मुख्य सड़क नहीं है। इन पंचायतों में संपर्क मार्गों से ही पहुंचा जा सकता है। निचली बस्तियों में अब भी ढंग से संपर्क सड़कें नहीं पहुंच पाई हैं। कुछ पंचायतों को अपवाद मान लिया जाए तो शेष में परिवहन सुविधा के नाम पर मुद्रिका बस सेवा के अलावा कोई विकल्प नहीं है।भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो ये पंचायतें सीधी रेखा में हैं। निचली बस्तियों को लक्ष्य मानकर बाईपास मार्ग का निर्माण किया जाए तो सभी पंचायतें आपस में जुड़ जाएंगी और निकटवर्ती गांवों की दूरी आपस में बहुत कम हो जाएगी। पूर्व विधायक हरिदत्त शर्मा व पूर्व मंत्री स्वर्गीय प्रवीण शर्मा ने इस प्रोजेक्ट के लिए सपना अवश्य देखा था, लेकिन 24 वर्ष बाद भी ऐसी किसी योजना पर एक इंच तक काम नहीं हो पाया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।चिंतपूर्णी की यातायात समस्या होगी दूर
यदि घंगरेट से किन्नू तक जंक्शन मार्ग या बाईपास का निर्माण होता है तो धार्मिक नगरी चिंतपूर्णी के साथ सटे संपर्क मार्ग भी इससे जुड़ जाएंगे। अमोकला प्रीतम, डूहल, धलवाड़ी, जवाल की बहिंबा, कुनेत रतियां, चाहंग बस्ती व बधमाणा के संपर्क मार्गों का उपयोग यातायात का बोझ कम करने में किया जा सकेगा। यदि किसी वाहन चालक ने किन्नू से जौड़बड़, शीतला, घंगरेट या तलवाड़ा जाना हो तो उसे वाया चिंतपूर्णी होकर नहीं आना पड़ेगा। इन क्षेत्रों में पहुंचने के लिए 15 से 20 किलोमीटर अतिरिक्त सफर कम होगा। कुछ रूट की बसें चलने से भी दूरदराज के गांवों के लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा।किन्नू से घंगरेट तक बाईपास मार्ग बनाने के लिए योजना बनाई जा सकती है, लेकिन इन पंचायतों में सड़क के लिए भूमि का अधिग्रहण करना बड़ा मुद्दा है। यदि लोग सड़क के लिए भूमि उपलब्ध करवाते हैं तो बाईपास मार्ग के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा सकता है।
-विजय कुमार, कनिष्ठ अभियंता, लोक निर्माण विभाग भरवाईं।