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ऊना का 5600 साल पुराना सदाशिव महादेव मंदिर: सावन महीने में शिव पूजा का होता है विशेष महत्व, पढ़ें क्या है मान्यता

ऊना में 5600 साल पुराने सदाशिव महादेव मंदिर का विशेष महत्व है। सावन के माह में यहां विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु आते हैं और शिव भगवान को जल अर्पित करते हैं। सावन के हर सोमवार को श्रद्धालुओं का हुजूम यहां जुड़ता है। विशेष पूजा का भी यहां महत्व है। मंदिर कमेटी की माने तो सावन महीने में लाखों की संख्या में यहां शिवभक्त अपना शीश नवाते हैं।

By Neeraj Kumari Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 20 Jul 2024 03:25 PM (IST)
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सदाशिव मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित प्राचीन शिवलिंग। जागरण

जीएस जस्सल,बंगाणा। हिमाचल प्रदेश के ऊना स्थित तलमेहड़ा में 5600 साल पुराना सदाशिव महादेव मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर में सावन महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व है।

इसके लिए बाहरी राज्यों से शिवभक्तों का आना लगा रहता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को भक्तों का हुजूम इस प्राचीन मंदिर में उमड़ता है। हजारों भक्त प्राचीन शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। पंजाब समेत अन्य राज्यों से शिवभक्त सावन में विशेष पूजा के लिए मंदिर पहुंचते हैं।

सदाशिव मंदिर पांडवों के पुरोहित धौम्य ऋषि की तपोस्थली है। जिसके चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य की छठा बिखेरती शिवालिक पहाड़ियां और सामने धौलाधार की बर्फ से ढकी पहाड़ियों का दिलकश नजारा शिवभक्तों को सुकून प्रदान करता है।

यूं तो इस धार्मिक स्थल में वर्षभर शिव भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन मंदिर कमेटी के अनुसार सावन महीने में लाखों की संख्या में शिवभक्त माथा टेकने आते हैं।

मंदिर में लंगर की रहती है मुफ्त व्यवस्था

मंदिर कमेटी के प्रधान प्रवीण शर्मा ने बताया कि भक्तों के लिए यहां फ्री लंगर की सुविधा है। बाहर से आने वाले लोगों को रात को ठहरने की व्यवस्था है। 

चार हजार से अधिक भक्त एक साथ ठहर सकते हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। भीड़ के मद्देनजर मंदिर में निकासी द्वार व सीढ़ियों पर शेड बनाया गया है।

कैसे पहुंचे इस मंदिर में

इस मंदिर के लिए रोड कनेक्टिविटी अच्छी है। ऊना-भोटा हाईवे से खुरवाईं से जोल होते हुए और नलवाड़ी से तलमेहड़ा होते हुए मंदिर पहुंचा जा सकता है। वहीं, ऊना-अंब हाईवे पर बडूही से चौकीमन्यार से जोल होते हुए मंदिर पहुंचा जा सकता है।

हिमाचल निगम व निजी बसों की व्यवस्था मंदिर पहुंचने के लिए उपलब्ध रहती है। बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के लिए ऊना और चुरूडू टकारला नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। ऊना से मंदिर तक टैक्सी तथा बस सुविधा भी उपलब्ध है।

ऐसा है इतिहास

5600 वर्ष पूर्व महाभारत काल में पांडवों के पुरोहित ऋषि ने अपनी तीर्थ यात्रा के दौरान ध्यूंसर की पहाड़ियों पर भगवान शिव की आराधना की थी।

इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि से वर मांगने को कहा। इस दौरान ऋषि ने वर मांगा कि जो मेरे द्वारा स्थापित धौम्येश्वर शिवलिंग की सच्चे मन से आराधना करेगा उसकी मनोकामना पूरी हो जाए।

इस मंदिर में आकर जो भी शिवभक्त सच्चे मन से शिवजी की आराधना करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है मंदिर कमेटी द्वारा ऐसा कहा जाता है।

मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि कमेटी की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली गईं है।

सभी श्रद्धालुओं से आग्रह है कि मंदिर में सफाई व्यवस्था का पूर्ण ध्यान रखें व मंदिर में प्रतिबंधित चीजों को उपयोग में ना लाएं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर के द्वार सावन माह हर समय खुले रहेंगे।

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