ऊना का 5600 साल पुराना सदाशिव महादेव मंदिर: सावन महीने में शिव पूजा का होता है विशेष महत्व, पढ़ें क्या है मान्यता
ऊना में 5600 साल पुराने सदाशिव महादेव मंदिर का विशेष महत्व है। सावन के माह में यहां विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु आते हैं और शिव भगवान को जल अर्पित करते हैं। सावन के हर सोमवार को श्रद्धालुओं का हुजूम यहां जुड़ता है। विशेष पूजा का भी यहां महत्व है। मंदिर कमेटी की माने तो सावन महीने में लाखों की संख्या में यहां शिवभक्त अपना शीश नवाते हैं।
जीएस जस्सल,बंगाणा। हिमाचल प्रदेश के ऊना स्थित तलमेहड़ा में 5600 साल पुराना सदाशिव महादेव मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर में सावन महीने में शिव पूजा का विशेष महत्व है।
इसके लिए बाहरी राज्यों से शिवभक्तों का आना लगा रहता है। सावन के प्रत्येक सोमवार को भक्तों का हुजूम इस प्राचीन मंदिर में उमड़ता है। हजारों भक्त प्राचीन शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। पंजाब समेत अन्य राज्यों से शिवभक्त सावन में विशेष पूजा के लिए मंदिर पहुंचते हैं।
सदाशिव मंदिर पांडवों के पुरोहित धौम्य ऋषि की तपोस्थली है। जिसके चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य की छठा बिखेरती शिवालिक पहाड़ियां और सामने धौलाधार की बर्फ से ढकी पहाड़ियों का दिलकश नजारा शिवभक्तों को सुकून प्रदान करता है।
यूं तो इस धार्मिक स्थल में वर्षभर शिव भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन मंदिर कमेटी के अनुसार सावन महीने में लाखों की संख्या में शिवभक्त माथा टेकने आते हैं।
मंदिर में लंगर की रहती है मुफ्त व्यवस्था
मंदिर कमेटी के प्रधान प्रवीण शर्मा ने बताया कि भक्तों के लिए यहां फ्री लंगर की सुविधा है। बाहर से आने वाले लोगों को रात को ठहरने की व्यवस्था है।चार हजार से अधिक भक्त एक साथ ठहर सकते हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। भीड़ के मद्देनजर मंदिर में निकासी द्वार व सीढ़ियों पर शेड बनाया गया है।
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