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Himachal News: 4 दिन से पानी में जिंदगी बिताने को मजबूर हैं कामगार , प्रशासन नहीं ले रहा है सुध

हिमाचल में इन दिनों प्राकृतिक आपदा (Himachal Disaster) से कहर बरपा हुआ है लेकिन बाथू औद्योगिक क्षेत्र के पास बाहरी राज्यों के असहाय पड़े कामगारों की प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है। इन कामगारों की बस्तियों में 4 दिनों से पानी भरा हुआ है। प्रशासन मदद करने की बजाय केवल दलीलें दे रहा है। झुग्गियों में पानी भरने से बीमारी फैलने का भी खतरा है।

By satish chandan Edited By: Rajiv Mishra Updated: Thu, 15 Aug 2024 10:54 AM (IST)
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4 दिनों से झुग्गियों में भरे पानी में रहने को मजबूर हैं कामगार
सतीश चंदन, ऊना। बिडंवना है कि जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो उसके बाद बड़े-बड़े वादे, घोषणाएं व जांच कमेटियां गठित की जाती हैं लेकिन यह सब महज दिखावा होने के साथ ही लीपापोती तक ही सीमित होकर रह जाता है। शायद यही कारण है कि उद्योगों के आगे लंबे समय से झुग्गियां खड़ी रहीं। हुम खड्ड ने रौद्र रूप दिखाया तो इनके उजड़ने से कड़ी कार्रवाई की दलीलें भी अपनी सच्चाई बयां कर गईं।

15 वर्षों से नहीं हो पाया पुनर्वास

बाथू औद्योगिक क्षेत्र के तहत उद्योगों में करीब 15 वर्षों से काम करने वाले बाहरी राज्यों के मजदूर पिछले चार दिन से बाढ़ के खौफ से अभी तक बाहर नहीं निकल पाए हैं क्योंकि जिला प्रशासन न तो झुग्गियों को पानी से बाहर निकाल पाया और न ही इन कामगारों के लिए पुनर्वास का प्रबंध हो पाया है।

हालांकि प्रशासन की तरफ से यह ठोस बहाना हो सकता है कि यह झुग्गियों वाले ऐसे क्षेत्र में ही क्यों बसे, यहां पर बाढ़ के पानी का खतरा था, या फिर निकासी का ठोस प्रबंध ही नहीं था। तो अब प्रशासन क्या करे, क्यों इनकी मदद करे।

केवल दलीलें दे रहा है प्रशासन

बावजूद इन सब प्रश्नों के प्रशासन को इसका जवाब जरूर देना होगा कि युदि झुग्गियों में लंबे समय से रह रहे कामगार ने इस प्रकार की कोई गलती की है तो निरीक्षण करने की जिम्मेदारी किस की थी। और ऐसी झुग्गियों को समय रहते क्यों नहीं हटाया गया।

फिलहाल अब प्रशासनिक कमियों की मार झेल रहे इन झुग्गियों में रहने वाले मजदूरों का कसूर ढूढंने से बेहतर है कि इनकी सुध ले लेकिन प्रशासन तो पीछे हट रहा है।

पानी के बीच तैर रही हैं झुग्गियां

रविवार सुबह से हुई वर्षा बंद हुए चार दिन हो गए है लेकिन इन झुग्गियों में रहने वाले बाहरी राज्यों के कामगारों को अभी भी बरसात का पानी कहर बना दिख रहा है। क्योंकि इनकी झुग्गियों पानी के बीच तैर रही हैं।

खाने, पीने व पहनने का सारा सामान खराब हो चुका है। बचे हुए कपडों को दूषित पानी से निकालकर सुखाया भी जा रहा है ताकि जीवन जीने के लिए कुछ बचाया जा सके। लेकिन मौजूदा समय में यह जीने के लिए मदद की वाट जोह रहे है।

बीमारी फैलने का बना है डर

झुग्गियों के आगे जमा हुए पानी में कई कीड़े मकोड़े घूम रहे है। दूषित पानी की दुर्गंध से किसी भयंकर बीमारी के फैलने का भय बना हुआ है। बेशक ये लोग अपने छोटे बच्चों को दूषित पानी के पास जाने से रोक रहे है लेकिन बेबसी में इनकी शैतानियों को वे अब नजरअंदाज कर रहे हैं।

इन नौनिहालों को नहीं पता कि इस दूषित पानी से किसी भयंकर बीमार की चपेट में आ सकते है। अधिकांश कामगार अभी बेकार बैठे हुए हैं। रात को सड़क के किनारे सो रहे हैं और खाने-पीने का उचित प्रबंध नहीं है।

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पानी निकालने का नहीं हो रहा है प्रबंध

कई समाजसेवी पिछले तीन दिनों से इनको खाना खिला रहे हैं और स्वच्छ पानी टैंकरों के माध्यम से उपलब्ध करवा रहे है लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई प्रबंध अभी तक नहीं किए गए है। मंगलवार रात को उपायुक्त ऊना जतिन लाल के निर्देशानुसार झुग्गियों में से दमकल विभाग निकासी के लिए पहुंचा था।

आसपास के लोगों ने दमकल विभाग को खाली हाथ लौटा दिया कि इन झुग्गियों में निकलने वाला दूषित पानी उनकी दुकानों में घुस जाएगा। इसलिए इस पानी की निकासी करने के लिए पानी को वैकल्पिक प्रबंध किया जाए।

बाथू-बाथड़ी औद्योगिक क्षेत्र में झुग्गियां बनाकर रहने वाले लोगों को अपने जीवन की स्वयं भी देखभाल करनी चाहिए, उन्हें जब पता है कि कभी झुग्गियां में आग लग जाती है तो अब बरसात का पानी कहर बना है तो इन लोगों को आगामी समय में झुग्गियों की बजाए वैकल्पिक प्रबंध जरूर करने चाहिए। संबंधित उद्योगों को अपने कामगारों को ठहराने का कोई प्रबंध करना चाहिए। झुग्गियों में से पानी की निकासी न होने के कारण पानी इकटठा है। एसडीएम हरोली व तहसीलदार हरोली को निर्देश दिए गए है कि मौके पर निरीक्षण करके कुछ ठोस प्रबंध किए जाएं। इनकी स्वास्थ्य जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें भेजी जाएंगी।

जतिन लाल, उपायुक्त, जिला ऊना।

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