धीरे-धीरे जब हम बड़े हुए तो थोड़ा-थोड़ा करके इसके बारे में जानने लगे। 'चक दे इंडिया' के गाने पर खूब झूमे। हालांकि, उस वक्त भी अधूरा ही ज्ञान था, फिर ज्ञानचक्षु खुले तो पता चला कि यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी खेला जाता है। अखबारों और रेडियो पर प्रसारित होने वाले समाचारों में हॉकी मैच के बारे में सुनने और पढ़ने लगे।
थोड़े बहुत खिलाड़ियों के नाम याद होने लगे। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का नाम दिमाग में छप गया। फिर भी हॉकी के बारे में पूरी जानकारी नहीं हासिल हुई। जब जिज्ञासा ने करवट ली तो इसके इतिहास के बारे में जानने की इच्छा हुई। इसी जिज्ञासा के चलते इस आर्टिकल के माध्यम से हॉकी की इतिहास के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।
'आओ तुम्हें इतिहास में ले चलें'
हॉकी की जड़ें प्राचीनता की गहराई तक दबी हुई हैं। घुमावदार छड़ियों और गेंद से खेले जाने वाला यह खेल कई सभ्यताओं के इतिहास में पाया गया है। पुरातत्वविदों को मिस्र के एक प्राचीन बेनी हसन की कब्रों में लगभग 4,000 साल पुरानी नक्काशियों में लाठी और एक गेंद के साथ लोगों के खेलने के चित्र मिले। इससे अंदेशा लगाया गया कि मिस्र में इस को खेला जाता रहा होगा।
पुरातत्वविदों की खोज और आगे बढ़ी तो पता चला कि 1,000 ईसा पूर्व इथियोपिया में इस खेल के प्रमाण मिले। किवदंतियों के अनुसार अफ्रीकन देशों में "गेना" के रूप में एक गेम खेला जाता था, जो फील्ड हॉकी से मेल खाता है। यह क्रिसमस के अवसर पर खेला जाता था। जबकि, खेल का एक प्राचीन रूप लगभग 2,000 ईसा पूर्व ईरान में भी इसी प्रकार का खेल खेला जाता था। मंगोलिया में 'बीकोउ' नामक एक खेल जाता था जो हॉकी के ही समान था।
बातें मध्य काल की
ग्रीस में 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व इस खेल को खेला जाता था। पुरातत्वविदों को खुदाई में संगमरमर के पत्थर पर एक नक्काशी मिली थी, जिसमें कई पुरुषों को एक खेल खेलते हुए दिखाया गया है। जो फील्ड हॉकी के समान था। चीन में "बु दा किउ" नामक खेल प्रचलित था जो हॉकी से मिलता-जुलता था। 5वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व में ही आयरलैंड में 'हर्लिंग' नामक खेल खेला जाता था, यह पूरी तरह हॉकी तो नहीं पर उसी के जैसा था। 1200 ईसा पूर्व स्कॉटलैंड में "गेलिक या शिंटी खेल " से प्रचलित हुआ।
बड़ी दिलचस्प है आधुनिक कहानी
यूरोप, यूनान, अफ्रीका, और एशियाई देशों में इसे अलग-अलग नामों से खेला जाता रहा। 13वीं शताब्दी के आसपास फ्रांस में ला सोल नाम से। कोलंबस द्वारा नई दुनिया (अमेरिका) की खोज करने के बाद 15वीं और 16वीं एजटेक सभ्यता में इस खेल का उल्लेख मिलता है, लेकिन दुनिया के सबसे पुराने खेलों में से एक, हॉकी की शुरुआत संभवत: 1527 में स्कॉटलैंड से मानी जाती है। तब इसे अंग्रेजी में होकी (Hokie) के नाम से जाना जाता था।
मौजूदा समय की हॉकी की शुरुआत 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों द्वारा हुई थी। तब ये स्कूल में एक लोकप्रिय खेल हुआ करता था और फिर ब्रिटिश साम्राज्य में 1850 में इसे भारतीय आर्मी में भी शामिल किया गया। जिन-जिन देशों में अंग्रेजी शासन रहा, वहां-वहां हॉकी के खेल का विस्तार हुआ।
अब आती है नामकरण की बारी
ऐसा माना जाता है कि "हॉकी" नाम फ्रांसीसी शब्द के हॉक्वेट से लिया गया है, जिसका अर्थ है "चरवाहे का डंडा"। फिर भी यह एक धारणा ही है। इससे लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलाता है। हालांकि, जैसे हॉकी की उत्पत्ति अस्पष्ट बनी हुई है। वैसे ही नामकरण की भी अंधेरे में हैं।
महिला हॉकी के भी बारे में जानें
शुरू-शुरू में महिलाओं के हॉकी खेलने पर प्रतिबंध था, लेकिन इस प्रतिबंध के बाद भी महिलाओं में हॉकी खेल के प्रति रुचि थी। 1927 में महिलाओं की हॉकी टीम के लिए एक संस्था का गठन किया गया, जिसका नाम 'इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ विमेंस हॉकी एसोसिएशन'
(IFWHA) रखा गया। इस संस्था से धीरे-धीरे महिला टीम का निर्माण होने लगा। इससे महिलाओं में हॉकी के प्रति रूचि बढ़ती गई। 1974 में हॉकी का पहला महिला विश्व कप का आयोजन किया गया। 1980 में महिला हॉकी को ओलंपिक में शामिल किया गया।
भारत में हॉकी
भारत में हॉकी की बात करें तो इसे ब्रिटिश सेना के रेजिमेंट में सबसे पहले शामिल किया गया था। भारत में सबसे पहले ये खेल छावनियों और सैनिकों द्वारा खेला गया। भारत में झांसी, जबलपुर, जांलधर, लखनऊ, लाहौर आदि क्षेत्रों में मुख्य रूप से हॉकी खेला जाता था। लोकप्रियता बढ़ने के चलते भारत में पहला हॉकी क्लब और 1855 में कोलकाता में गठन किया गया था।
इसके बाद मुंबई और पंजाब में भी हॉकी क्लब का गठन किया गया। 1928 से 1956 का दौर भारत के लिए स्वर्णिम काल रहा है। 1925 में भारतीय हॉकी संघ (Indian Hockey Federation, IHF) की स्थापना हुई थी। IHF ने पहला अंतरराष्ट्रीय टूर 1926 में किया था, जब टीम न्यूजीलैंड दौरे पर गई थी। भारतीय हॉकी टीम ने 21 मैच खेले और उनमें से 18 में जीत हासिल की। इसी टूर्नामेंट में ध्यानचंद जैसी दिग्गज शख्सियत को दुनिया ने पहली बार देखा था, जो आगे चलकर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने।
भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में पहली बार 1928 में कदम रखा। भारत को 1928 के ओलंपिक खेलों में ग्रुप ए में रखा गया था जिसमें बेल्जियम, डेनमार्क, स्वीटजरलैंड और ऑस्ट्रिया की टीम थी। भारत ने यहां स्वर्ण पदक जीता। यहीं से भारतीय हॉकी टीम के सुनहरे अतीत की शुरुआत हुई थी और फिर भारत ने अब तक रिकॉर्ड 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं।
हॉकी खेल के बारे में
हर खेल की तरह इस खेल में भी दो टीमें होती हैं। टॉस होता है और जीतने वाली टीम स्ट्राइक लेती है। प्रत्येक टीम में 11-11 खिलाड़ी होते हैं, जिसमें एक गोलकीपर, चार डिफेंडर, तीन मिडफील्डर और तीन अटैकर होते हैं। इसके साथ ही पांच खिलाड़ी सबस्टिट्यूट के तौर पर बाहर होते हैं। हॉकी के मैदान की लंबाई 91.4 मीटर और चौड़ाई 55 मीटर होती है। गोलपोस्ट की चौड़ाई 3.66 मीटर और ऊंचाई 2.14 मीटर होती है। इस मैदान का आकार आयताकार होता है। खेल का मैदान एक विशेष घास से ढका रहता है। इस घास को सिंथेटिक घास कहते हैं। मैदान के बीचो-बीच एक मध्य रेखा पाई जाती है। यह रेखा मैदान को दो भागों में बांटती है।
हॉकी स्टिक की लंबाई सामान्य तौर पर 105 सेमी होती है। इसका वजन 737 ग्राम से अधिक नहीं हो सकता है। फील्ड हॉकी मैच खेलने की अवधि 60 मिनट होती है। हॉकी गेंद की बात करें तो यह सफेद रंग की होती है। इसका वजन 156 ग्राम से लेकर 163 ग्राम तक हो सकता है और इसकी परिधि 22.4 से 23.5 सेमी तक होती है। हॉकी में पेनल्टी कॉर्नर, पेनल्टी स्ट्रोक, फ्री हिट और लॉन्ग कॉर्नर जैसी शब्दावली यूज की जाती है।
डिस्क्लेमर- इस स्टोरी का संदर्भ 'ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ' की आधिकारिक साइट से लिया गया है। फिर भी अगर कहीं तथ्यों के साथ हेर-फेर होता है तो पाठक स्वयं अपने विवेक का इस्तेमाल करें।