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Hockey World Cup 2023: 'जहां बिजली तक नहीं थी, वहां से चमका ये सितारा', संघर्ष से भरपूर रहा इस भारतीय का जीवन

Hockey World Cup 2023 Nilam Xess 24 साल के भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team 2023) के डिफेंडर खिलाड़ी नीलम खेस (Nilam Xess) ओडिशा के सुंदरगढ़ के एक छोटे से कस्बे कदोबहाल गांव के रहने वाले है जहां पांच साल पहले बिजली तक नहीं हुआ करती थी।

By Jagran NewsEdited By: Priyanka JoshiUpdated: Fri, 13 Jan 2023 10:25 AM (IST)
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FIF Hockey World Cup 2023, Nilam Xess, Indian Hockey Team (Photo-design)
नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। Hockey World Cup 2023, Nilam Xess। पंख से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होती है..., ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन इस कहावत को सच कर दिखाया है 24 साल के भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team 2023) के डिफेंडर खिलाड़ी नीलम खेस (Nilam Xess) ने, जो अपनी जिंदगी में गरीबी के उस दौर से गुजरा है, जिसे आप और मैं शायद ही कभी महसूस कर सकते है।

बता दें कि नीलम (Nilam Xess) ओडिशा के सुंदरगढ़ के एक छोटे से कस्बे कदोबहाल गांव का रहने वाला है, जहां पांच साल पहले बिजली तक नहीं हुआ करती थी, लेकिन नीलम ने अपने सपने को पूरा करने में किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ी। हॉकी विश्व कप 2023 (Hockey World Cup 2023) में भारत का आज यानि 13 जनवरी को पहला मुकाबला स्पेन के साथ होना है, जिसमें नीलम भारत की तरफ से डेब्यू करने वाले है। ऐसे में इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं नीलम की स्ट्रागल स्टोरी के बारे में विस्तार से।

Hockey World Cup 2023: Nilam Xess की स्ट्रागल स्टोरी

दरअसल, हॉकी विश्व कप 2023 (Hockey World Cup 2023) में भारतीय टीम की तरफ से डेब्यू करने वाले नीलम (Nilam Xess) का जन्म ओडिशा के सुंदरगढ़ के एक गांव कदोबहाल, रायबोगा में 7 जनवरी 1998 को किसान परिवार में हुआ था। गरीब परिवार में जन्म लेने वाले नीलम को बचपन से ही पैसें कमाने के लिए काम करना पड़ता था। मिट्टी से बने घर में रहकर नीलम बकरी चराने के लिए खेतों में जाया करते थे।

महज 7 साल की उम्र में ही उन्हें हॉकी से लगाव हो गया था। वह स्कूल में ब्रेक के दौरान अपने भाई के साथ मैदान पर एक स्टिक से हॉकी खेलते थे। घर पर बिना बताए हॉकी खेलने पर उन्हें घर वालों से कई बार डांट तक सुननी पड़ी थी। नीलम के गांव में बिजली और पानी की सुविधा भी नहीं थी। उन्हें घरवालों ने हॉकी छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा लेकिन उन्होंने अपना सपना नहीं छोड़ा।

साल 2010 में उन्हें मेहनत का फल मिला और उनका सेलेक्शन सुंदरगढ़ के स्पोर्ट्स हॉस्टल के लिए हुआ। इसके बाद उन्हें इस बात की जानकारी मिली की हॉकी में भी पैसा कमाया जा सकता है। हॉकी में अपना करियर बनाने के लिए उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और कड़ी मेहनत भारतीय हॉकी टीम में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। नीलम ने इस बारे में खुद एक बयान में कहा, ''मुझे पता चला कि हॉकी खेलकर भी पैसा कमाया जा सकता है। इज्जत मिलती है, इसलिए मैंने खिलाड़ी बनने के लिए कड़ी मेहनत की। फिर मैंने लदन ओलंपिक्स 2012 देखा। इसके बाद मैंने देश के लिए खेलने के लिए गोल सेट किया''

इसके साथ ही नीलम ने कदोबहाल के बारे में कहा, ''बिजली नहीं थी दुनिया में क्या हो रहा है मुझे तो ये भी नहीं पता था। कभी-कभी मुझे अपनी कहानी बताने में शर्म आती है, लेकिन फिर मैं सोचता हूं कि वाह मैं कहां पहुच गया। लेकिन नीलम अपनी पढ़ाई पूरी करके अच्छी नौकरी करना चाहते थे।''

साल 2016 से हॉकी में चर्चा में आए नीलम

हॉकी के खेल में नीलम सबसे पहले चर्चा में साल 2016 में आए। उस वक्त उन्हें बॉय अंडर-18 एशिया कप के लिए भारतीय हॉकी टीम का कप्तान (Indian Hockey Team Captain) के रूप में चुना गया था। इसके बाद नीलम ने अपने शानदार खेल के दमपर साल 2016 में सीनियर हॉकी टीम में जगह बनाई थी। इसके बाद अब वह एक बार फिर से भारतीय हॉकी टीम में रहते हुए अपनी टीम को 47 साल बाद हॉकी वर्ल्ड कप की ट्रॉफी को जिताने में पूरी कोशिश करेंगे।

अभी तक कच्चे घर में रहता है नीलम का परिवार

बता दें कि नीलम के परिवार वाले अभी तक कच्चे घर में रहकर अपने दिन गुजार रहे है। इस बात के बारे में नीलम के पिता बिपिन ने एनआई न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा, ''हमें अभी तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। कच्चे घर में रहने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हमारा बेटा जब छुट्टियों में घर आता है तो वह भी इसी कच्चे घर में रहता है। अगर सरकार हमें किसी भी योजना के तहत पक्का घर मुहैया कराती है तो हम आभारी होंगे''

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